आजाद हिन्द सरकार ने दिलाई भारत को आजादी

आजाद हिन्द सरकार ने दिलाई भारत को आजादी
*विश्व के 10 देशों ने आजाद हिन्द सरकार को दी थी मान्यता*
*भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष थे*

• द्वितीय विश्व युद्ध के समय विश्व के नेताओ में नेताजी सुभाष का नाम था शामिल
• नेताजी सुभाष का नाम सुनने से तीव्र रक्त का संचार हो जाता है
• अक्टूबर क्रांति ने कई देशों की आजादी में भूमिका निभाई

*वाराणसी।* विशाल भारत संस्थान के युवा परिषद द्वारा सुभाष भवन में आजाद हिन्द सरकार की स्थापना दिवस के अवसर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि बीएचयू के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रोफेसर ए०के० जोशी ने सुभाष मन्दिर में पुष्प अर्पित कर एवं दीपोज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस रिसर्च सेंटर की निदेशक आभा भारतवंशी ने कहा कि 1938 के बाद नेताजी के मन में परिवर्तन आ गया। वो समझ चुके थे कि अंग्रेज अहिंसा के चलते आजाद नहीं करेंगे। विदेश जाकर नेताजी सुभाष ने जो सरकार बनाई उसकी वजह से फौज का मनोबल बढ़ा और मित्र राष्ट्रों के खिलाफ लड़कर देश को आजादी दिलाई। भारत कैसा हो इसका पूरा खाका आजाद हिन्द सरकार के पास था। नेताजी औद्योगिकरण के पक्ष मंव थे। 1940 में जब साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया, तब नेताजी ने कहा कि कोई ऐसा कारण नहीं है जिससे ये कहा जा सकता है कि दो धर्मों के लोग एक साथ नहीं रह सकते। हम तो वर्षों से एक साथ रह रहे हैं। नेताजी देश की सम्पूर्ण आजादी की वकालत कर रहे थे। जब वे लड़े तो अंग्रेजों के समक्ष ये ज्ञात हो गया कि भारत के लोग लड़ सकते हैं और क्रांति ला सकते हैं। सुभाष की वजह से देश को आजादी मिली। यह बात इतिहास में भले ही छुपा दी गयी हो, लेकिन भारत का हर व्यक्ति जानता है कि देश को आजादी सुभाष बाबू की वजह से ही मिली।

डॉ० मृदुला जायसवाल ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सरकार बनाने के बाद शपथ ली थी कि मैं सुभाष चन्द्र बोस 38 करोड़ भारतीयों को आजाद कराने की शपथ लेता हूं। मैं अपने भारतीय भाई बहनों के लिए अपने जीवन का अंतिम मूल्य भी चुका दूंगा। आज तक नेताजी सुभाष का नाम ही देश भक्ति के लिए जाना जाता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाष बाबू ही थे। इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए।

डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि सुभाष बाबू का सपना तभी पूरा होगा, जब हिन्दू मुस्लिम मिलकर देश को आगे बढ़ाएंगे और खंडित हुए भारत को फिर से वापस लाकर अखंड बनाएंगे।

दलित चिंतक ज्ञान प्रकाश ने कहा कि आजाद हिन्दुस्तान में सांस लेने का अधिकार तो सुभाष चन्द्र बोस ने ही दी। ब्रिटिश हुकूमत अगर किसी से डरी तो वो थे सुभाष। 1945 के बाद सुभाष के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा। छुआछुत और भेदभाव को मिटाने में सुभाष के विचारों का प्रभाव पड़ा।

डॉ० अर्चना भारतवंशी ने कहा कि काशी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को राष्ट्रदेवता के रूप में पूजा कर सर्वोच्च सम्मान दिया। दुनियां में काशी ही एक मात्र स्थान है जहां नेताजी सुभाष का मन्दिर है। आजाद हिन्द सरकार की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के अंत का दस्तखत था। बाद में यह साबित हो गया।

विवेकानन्द सिंह ने स्वागत भाषण देकर युवा परिषद का प्रस्ताव रखा कि गांव-गांव में सुभाष चौक बनाकर राष्ट्र के प्रति समर्पित युवाओं की टोली तैयार करेंगे।

डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने कहा कि अखंड भारत का स्वतंत्रता दिवस तो 21 अक्टूबर को ही है क्योंकि इसी तारीख को सुभाष सरकार बना। नेताजी की उपेक्षा करने वालों ने देश को बांट दिया। आज सब कह रहे हैं कि सुभाष बाबू होते तो देश नहीं बंटता।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर ए०के० जोशी ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह को नेताजी सुभाष की आजाद हिन्द सरकार ने पहले ही आजाद करा लिया था। यह भारत की भूमि थी जहां नेताजी सुभाष ने तिरंगा झंडा फहरा दिया था। नेताजी युवाओं के आदर्श हैं। नेताजी के रास्ते पर चलकर ही देश को सुरक्षित बनाया जा सकता है। आजाद हिन्द सरकार ने देश के नागरिकों में ऐसी क्रांति भर दी, जिससे करांची से मुम्बई तक लोग सड़कों पर उतरकर आजाद हिन्द फौज के समर्थन में आ गए। इससे घबराकर अंग्रेजों को लगा कि अब वे अपने मित्रों के जरिये भारत पर हुकूमत नहीं कर सकते। सुभाष के प्रभाव ने देश को आजादी देने के लिए मजबूर कर दिया।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि ये ऐसी सरकार थी जिसने युवाओं से कहा कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा। देश को आजाद कराने के लिये युवाओं ने सब कुछ त्याग कर दिया। सुभाषवादी युवाओं ने देश की सेवा को अपना काम बना लिया। सुभाषवादी विचारधारा ने युवाओं को सेवा के लिए प्रेरित किया।

अध्यक्षता सुभाषवादी विचारक तपन घोष ने किया। संचालन खुशी रमन भारतवंशी ने किया।

इस अवसर पर नौशाद अहमद दूबे, अनिल पाण्डेय, मयंक श्रीवास्तव, आकाश यादव, सत्यम राय, नीलमणि सिंह, सुजीत सिंह, अजय सिंह, श्रियम सिंह, अंकुश शर्मा, शिव सरन सिंह, प्रतिष्ठा गिरी, प्रियांशी यादव, कुलदीप कुमार, विपिन सिंह, सरोज, पूनम, प्रभावती, मैना, संयोगिता, वीरेन्द्र प्रताप राय, खुर्शीदा, शमशाद, विकास यादव, सोनू यादव, अफ़रोज अहमद, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग मौजूद रहे।

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