परंपरा और किस्मत चमकाने के बहाने जमकर चल रहे जुआं के अड्डे, खिलवाने वाले हो रहे मालामाल खेलने वाले कंगाल
अशोक झा: पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी। यह पहले ही सुरा और सुंदरी के लिए बदनाम है। इन दिनों दीपावली के नाम पर जुआं के अड्डे में तब्दील हो गया है। शहर के सिलीगुड़ी के खालपाड़ा, प्रधाननगर, सालूगाड़ा, चंपासारी, माटीगाड़ा, खपरैल, एनजेपी, बर्दमान रोड, मेडिकल, नक्सलबाड़ी, पानीटंकी, ईस्टर्न बाईपास, गेटबाजार, मिलन मोड, मिलनपल्ली, जलपाइगुड़ी, मयनागुड़ी, अलीपुरद्वार, कूचबिहार, सेवक, कर्सियांग समेत हिल्स और चाय बगान के विभिन्न क्षेत्रों में जुआ के अड्डे पर आज के युवा बर्बाद और इसे खिलवाने वाले आबाद हो रहे है। दीपावली नजदीक आते ही शहर में जुआ की सुगबुगाहट शोर में तब्दील हो गई है। सालभर जुआ खेलने के शौकीन जुआरियों की सरगर्मी दीपावली की आहट के साथ शहर में इन दिनों कुछ ज्यादा बढ़ गई है। शहर के कुछ लोग समाज में शराफत की चादर ओढ़कर घूमने वाले कुछ ऐसे चेहरे हैं जो शहर के विभिन्न मोहल्ले में जुआ खिलवाने का पूरा प्रबंध कर रखें हैं. शहर के कई मोहल्लों में किराए के मकान में जुआ खेलने के बदले में बाकायदा फीस के रूप में मोटे पैसे लिए जा रहे हैं. शहर में संचालित इस खेल में कोई लाखपति तो कोई खाकपति हो जाता है। इसमें जुआ खेलने वालों का चाहे भला हो या न हो, मगर जुआ खेलने का स्थान देने वाला ही मोटी मलाई डकार जाते हैं। उत्सव के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है, खासकर दिवाली के दिन जुआ खेलने की परंपरा को लेकर। आइए जानते हैं दिवाली के दिन जुआ खेलने की परंपरा के बारे में।हालांकि, इस पावन त्योहार के साथ एक और प्रथा जुड़ी हुई है-जुआ खेलना। भारत के कई हिस्सों में दिवाली के दिन जुआ खेलना एक परंपरा बन चुकी है, खासकर शहरों और कस्बों में लोग इसे बड़े पैमाने पर खेलते हैं। पौराणिक मान्यता: दिवाली पर जुआ खेलने की प्रथा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली की रात भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ चौसर खेला था, जिसमें भगवान शिव हार गए थे। इस घटना के बाद से यह परंपरा आरंभ हुई कि दिवाली की रात जुआ खेलने से पूरे साल के लिए सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
परंपरा से जोड़कर खेलते है यह खेल: हालाँकि, यह सिर्फ एक मान्यता है, और किसी भी प्राचीन धार्मिक ग्रंथ में इस घटना का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। महाभारत का उदाहरण और जुए के दुष्परिणाम: जुआ खेलने के दुष्परिणामों का सबसे बड़ा उदाहरण महाभारत से लिया जा सकता है, जहां पांडवों ने जुए की लत में अपना सब कुछ खो दिया। उन्होंने अपना राज्य, संपत्ति और यहां तक कि अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था, जो अंततः विनाशकारी साबित हुआ। यह घटना हमें यह सिखाती है कि जुआ केवल आर्थिक बर्बादी ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है।जुए की लत और इसके नकारात्मक प्रभाव: हालांकि, लोग यह मानते हैं कि दिवाली की रात जुआ खेलने से पूरे साल के लिए सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक या धार्मिक आधार नहीं है। इसके विपरीत, जुआ खेलने की लत व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर सकती है। जुए में एक बार हारने के बाद व्यक्ति अपनी हार की भरपाई करने के लिए बार-बार खेलने लगता है, जिससे वह आर्थिक संकट में फंस जाता है। यह न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन पर बुरा असर डालता है, बल्कि परिवार और समाज के लिए भी नकारात्मक परिणाम लाता है।क्या जुआ खेलना शुभ हो सकता है?: कई लोग इसे परंपरा के रूप में निभाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह शुभ है। दरअसल, जुआ खेलने से एक नकारात्मक प्रवृत्ति का विकास होता है, जो आगे चलकर बुरी आदतों और समस्याओं का कारण बनता है। जो लोग दिवाली की रात जुआ नहीं खेलते, उन्हें इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक मनोरंजन नहीं, बल्कि एक हानिकारक लत बन सकती है।दिवाली रोशनी, खुशी और नए सिरे से जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। इसे सकारात्मकता और समृद्धि के साथ मनाना ही शुभ माना जाता है। जुआ खेलना, चाहे वह परंपरा के नाम पर हो या मनोरंजन के लिए, अंततः नुकसानदायक हो सकता है। हमें यह समझना होगा कि सौभाग्य और समृद्धि कर्मों और मेहनत से प्राप्त होते हैं, न कि जुए जैसी हानिकारक गतिविधियों से। इस दिवाली, जुए से दूर रहकर अपने और अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित और खुशहाल भविष्य सुनिश्चित करें।दीपावली की रात को शगुन की रात माना जाता है. इस रात माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है और लोग मानते हैं कि जुए में जीत सालभर के भाग्य का संकेत देती है. लेकिन सच्चाई यह है कि जुआ खेलने से लत लग सकती है. अगर आपने पहले कभी दिवाली की रात जुआ नहीं खेला तो बेहतर है कि आप इससे बचें. दिवाली की रात जुआ खेलने की परंपरा को निभाने के बजाय, लोग इसे बिना पैसे लगाए खेल सकते हैं. इससे न केवल आपका मनोरंजन होगा, बल्कि परिवार और मित्रों के साथ संबंध भी मजबूत होंगे. पैसे लगाकर जुआ खेलना न केवल अशुभ हो सकता है, बल्कि यह आपको मानसिक तनाव में भी डाल सकता है।।ऐसे में इस दिवाली अगर आप खेलना चाहते हैं, तो इसे मनोरंजन के लिए करें, बिना पैसे के. इस तरह, आप न सिर्फ अपनी वित्तीय सुरक्षा को बनाए रखेंगे, बल्कि माता लक्ष्मी के आशीर्वाद को भी प्राप्त करेंगे।