मणिपुर में थम नहीं रहीं हिंसा, अब उपद्रवियों ने अब सीएम आवास पर किया हमला,मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह सुरक्षित

भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागे, इंटरनेट बंद

बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: मणिपुर में फिर हिंसा शुरू हो गई है। इसी कड़ी में शनिवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के घर पर हमले की खबर आई है। अचानक ही CM बीरेन सिंह के आवास पर भीड़ पहुंच गई है। सूत्रों के बताया कि सीएम बीनेन सिंह घटना के समय उस घर में नहीं थे। उन्होंने बताया सीएम अपने ऑफिस में हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं। मणिपुर एक बार हिंसा की जबर्दस्त आग में झुलस रहा है। यहां गुस्साई भीड़ ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के निजी आवास पर हमला कर दिया।भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब मणिपुर सरकार ने राजधानी इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया है। यहां तीन लोगों की हत्या के बाद भड़के विरोध प्रदर्शनों के मद्देजनर छह जिलों में इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं।इसके चलते मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा की आग भड़क गई है. मणिपुर में शनिवार (16 नवंबर, 2024) को नाराज भीड़ में इंफाल घाटी में कई वाहनों में आग लगा दी. दरअसल जिरीबाम जिले में सशस्त्र उग्रवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का कथित रूप से अपहरण कर लिया।प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने सीएम एन बिरेन सिंह के आवास पर हमला कर दिया. प्रदर्शनकारी भीड़ सीएम आवास में घुसने की कोशिश कर रही थी और सुरक्षाकर्मियों से उनकी झड़प हो गई। इससे पहले हिंसक हो चुकी भीड़ ने कुछ विधायकों के घरों पर तोड़-फोड़ किया था. प्रदर्शनकारियों ने इंफाल में दो मंत्रियों और तीन विधायकों के घरों पर हमला किया है. अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने लाम्फेल सनाकेइथेल में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री सपम रंजन के आवास पर हमला किया और उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण मंत्री एल. सुसींद्रो सिंह के घर पर भी आक्रोशित भीड़ ने हमला किया।मणिपुर सरकार ने गृह मंत्रालय से कर दी ये मांग: मणिपुर सरकार ने गृह मंत्रालय को एक चिट्ठी भेजकर राज्य में ‘अशांत क्षेत्र’ लागू करने के फैसले की समीक्षा की मांग की है। इसके साथ ही सरकार ने घाटी के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को फिर से लागू करने पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की है।गुरुवार ( 14 नवंबर 2024) को केंद्र सरकार ने मणिपुर राज्य के छह पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा फिर से लागू कर दिया। इनमें हिंसा-प्रभावित जिरिबाम भी शामिल है. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए मणिपुर की “अस्थिर” स्थिति का हवाला दिया और कहा कि उग्रवादी समूहों की हिंसक घटनाओं में “सक्रिय भागीदारी” देखी गई है।इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड: मणिपुर में बढ़ते तनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने कई जिलों में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।16 नवंबर, 2024 से प्रभावी इस आदेश के तहत, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, और अन्य प्रभावित जिलों में इंटरनेट सेवाएं दो दिन तक निलंबित रहेंगी. यह कदम राज्य में अफवाहों और भड़काऊ कंटेट के फैलने को रोकने के लिए उठाया गया है, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है। सरकार ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद आया. कैबिनेट ने केंद्र सरकार से सेमकाई, लमसांग, लमलाई, जिरीबाम, लीमाखोंग और मोरंग पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों से फिर से AFSPA लागू करने के अपने फैसले पर विचार करने और उसे रद्द करने का अनुरोध किया।जिरीबाम में ताजा हिंसा के कुछ दिनों बाद 14 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन इलाकों में फिर से AFSPA लागू करने की घोषणा की थी। मणिपुर में 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी, जो थमने का नाम नहीं ले रही है. गत 12 नवंबर को हथियार बंद उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया था. इस पुलिस स्टेशन में सीआरपीएफ का कैंप है और पास में राहत शिविर भी लगा है. जवाबी कार्रवाई में सीआरपीएफ ने 11 उग्रवादियों को मार गिराया था। सीआरपीएफ के एक जवान को भी गोली लगी थी।
उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद बोरोब्रेका राहत शिविर से 6 लोगों की किडनैपिंग हो गई थी। दो दिन बाद मणिपुर-असम सीमा पर जिरी नदी और बराक नदी के संगम के पास तीन शव बरामद किए गए. इस किडनैपिंग और हत्या के विरोध में शनिवार शाम को प्रदर्शनकारी राजधानी इंफाल के कीशमपत जंक्शन पर एकत्र हुए और बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ नारे लगाए. बीजेपी हेडक्वार्टर के सामने भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी सीएम आवास तक मार्च करना चाहते थे और बीरेन सिंह से मिलना चाहते थे. उनकी मांग है कि 24 घंटे के भीतर राहत शिविर से 6 लोगों का अपहरण करने वाले दोषियों की गिरफ्तारी की जाए।मंत्रियों और विधायकों के घर पर हमला: भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस छोड़नी पड़ी. राज्य के अन्य हिस्सों में भी छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को मणिपुर के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों को निशाना बनाया, जिसके बाद सरकार को इंफाल घाटी में कर्फ्यू लगाना पड़ा. तनावपूर्ण हालात को ध्यान में रखते हुए मणिपुर सरकार ने 6 जिलों में इंटरनेट सर्विस सस्पेंड कर दी है। पुलिस अधिकारियों को संदेह है कि बरामद हुए शव जिरीबाम जिले से किडनैप किए गए छह लोगों में से ही हैं. इंफाल घाटी स्थित नागरिक सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि उग्रवादियों ने बोरोबेक्रा पुलिस थाने पर उनके हमले को सुरक्षा बलों द्वारा विफल किए जाने के बाद, पीछे हटते समय रिलीफ कैंप से 6 लोगों का अपहरण कर लिया था।उग्र भीड़ ने छह में से तीन विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की और उनकी संपत्तियों को आग लगा दी. सुरक्षा बलों ने इंफाल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. इंफाल घाटी के पूर्व और पश्चिम, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग जिलों में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के कारण अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगाया गया है. सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है. इम्फाल पश्चिम जिले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सपम रंजन लाम्फेल सनाकेइथेल के आवास पर भीड़ ने धावा बोल दिया।पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पूर्वी जिले के खुरई इलाके में उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण मंत्री एल सुसिंदरो सिंह के आवास पर भी धावा बोल दिया. भीड़ ने सुसींद्रो सिंह के आवास पर भी धावा बोलने का प्रयास किया, जिसके बाद सुरक्षा बलों को उन्हें तितर-बितर करने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले दागने पड़े. इंफाल पश्चिम जिले के सिंगजामेई इलाके में नगरपालिका प्रशासन आवास विकास मंत्री वाई खेमचंद के आवास को भी प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया.
मणिपुर में AFSPA का इतिहास: मणिपुर को 1980 से AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है. वर्ष 2004 की शुरुआत में 32 वर्षीय थांगजाम मनोरमा की हत्या के बाद स्थानीय लोगों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद इंफाल के कुछ हिस्सों से AFSPA वापस ले लिया गया था. साल 2022 के बाद से, धीरे-धीरे कुछ और जिलों से AFSPA हटाया गया. अप्रैल 2022 में छह जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से AFSPA हटा दिया गया था. 1 अप्रैल, 2023 को अन्य चार पुलिस स्टेशनों से इसे हटाने के साथ, कुल 19 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र से AFSPA हटा दिया गया था. ये सभी इलाके मैतेई बहुल इंफाल घाटी के थे।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 मार्च, 2023 को चार और पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र से AFSPA हटाने के निर्णय की घोषणा करते हुए एक बयान में कहा था, ‘मोदी सरकार के अथक प्रयासों के कारण मणिपुर में सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, इस कारण पहले अशांत घोषित क्षेत्रों से अफस्पा हटाने का फैसला लिया गया है.’ इस फैसले के एक महीने से कुछ अधिक समय बाद, 3 मई 2023 से राज्य में जातीय संघर्ष शुरू हो गया. अब 18 महीने हो चुके हैं, लेकिन मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष कम होने की बजाय और बढ़ता ही जा रहा है।मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?:मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई से तब हुई, जब मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की गई. दरअसल, मैतेई समुदाय ने इस मांग के साथ मणिपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी कि उन्हें जनजाति का दर्जा दिया जाए. मैतेई समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था. उससे पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था. मणिपुर हाई कोई ने याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार किया जाए। कुकी-जो समुदाय मैतेई को जनजाति का दर्जा देने के विरोध में हैं. इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं. ऐसे में मैतेई को जनजाति का दर्जा मिलने से आरक्षण में कुकी-जो समुदाय की हिस्सेदारी कम हो जाएगी. बहुसंख्यक मैतेई आबादी इंफाल घाटी और मणिपुर के मैदानी क्षेत्रों में रहती है, जबकि कुकी-जो समुदाय की ज्यादातर आबादी पहाड़ी इलाकों में रहती है. मैतेई हिंदू हैं, जबकि कुकी-जो ईसाई धर्म को मानते हैं।मणिपुर में इन दोनों समुदायों के बीच हिंसा का दौर डेढ़ साल से जारी है. इस दौरान 237 मौतें हुई हैं, 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. वहीं, 60 हजार लोग अपना घर-बार छोड़कर राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. मणिपुर में पिछले डेढ़ वर्ष में करीब 11 हजार एफआईआर दर्ज हुई हैं और 500 गिरफ्तारियां की गई हैं. मणिपुर राज्य पहाड़ी और मैदानी दो हिस्सों में बंट चुका है. मैदानी जिलों में मैतेई और पहाड़ी जिलों में कुकी रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच इस तरह की अदावत चल रही है कि यदि मैदानी इलाके से कोई मैतेई पहाड़ी इलाके और पहाड़ी इलाके से कोई कुकी मैदानी इलाके में आ गया तो ​उसका जिंदा वापस जाना शायद मुमकिन न हो।

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