प्रयागराज महाकुंभ 2025: क्यों कुंभ मेला में डुबकी लगाने से मिलता है सभी पापों से मुक्ति : महामंडलेश्वर जय किशन गिरि महाराज
कुंभ और महाकुंभ में बड़ा है अंतर, इसे समझने की जरूरत
अशोक झा, सिलीगुड़ी: 12 वर्ष बाद पूर्ण महाकुंभ इस बार धर्मनगरी प्रयागराज में 10 जनवरी से 26 फरवरी तक लगेगा। इस महाकुंभ में ज्यादा से ज्यादा सनातनियों को इसका लाभ मिले इसका प्रयास साधु संतों के अखाड़ा की ओर से किया जा रहा है। इसी क्रम में सिलीगुड़ी में पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर 1008 स्वामी जयकिशन गिरि आए हुए थे। उन्होंने पत्रकारों से महाकुंभ को लेकर विस्तार से बातचीत किया। इस मौके पर उनके साथ सिलीगुडी के विमल डालमिया, निरंजन मित्रुका,ब्रज मोहन गोल्यान, अरुण अग्रवाल और विष्णु केडिया मौजूद थे। ये सभी कुंभ के लिए संयोजक बनाए गए है। महामंडलेश्वर 1008 स्वामी जयकिशन गिरि ने पत्रकारों को महाकुंभ के महत्वों पर विस्तार से प्रकाश डाला।कुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर होता है-
कुंभ मेला का तीन साल में एक बार गोदावरी, शिप्रा, गंगा और संगम पर आयोजन किया जाता है। अर्ध कुंभ मेला छह वर्ष में एक हार हरिद्वार और संगम पर आयोजित किया जाता है। पूर्ण कुंभ मेला बारह वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। महाकुंभ मेला 144 वर्षों में एक बार (12 पूर्ण कुंभ के पूरा होने पर) आयोजित किया जाता है। यह प्रयागराज में केवल संगम घाट पर ही आयोजित किया जाता है।कुंभ का महत्व- माना जाता है कि कुंभ मेला उन चार धार्मिक स्थानों पर लगता है जहां ब्रह्मांडीय महासागर (क्षीर सागर) के मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। कुंभ मेले में भाग लेने वाले भक्त पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और ईश्वर का आशीर्वाद लेते हैं। महाकुंभ मेला :भारत में इसका आयोजन चार पवित्र नदियों और चार तीर्थ स्थानों पर ही आयोजन किया जाता है। इसी के कारण इस महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के संगम, हरिद्वार की गंगा नदी, उज्जैन की शिप्रा और नासिक की गोदावरी में किया जाता है मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष और पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एक बार फिर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। आइए जानते हैं साल 2025 में कब से कब तक होगा महाकुंभ और कहां लगेगा महाकुंभ मेला।
साल 2025 में कहा होगा महाकुंभ?बता दें कि साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाएगा। इससे पहले साल 2019 में अर्धकुंभ और 2013 में महाकुंभ यहां लग चुका है।कब से कब तक लगेगा महाकुंभ 2025?: बता दें कि साल 2025 में महाकुंभ 13 जनवरी से आरंभ होगा, जो 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन महाकुंभ आरंभ होगा, जो महाशिवरात्रि के साथ समाप्त होगा। यह महाकुंभ पूरे 45 दिनों तक रहेगा।
महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां, 13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा स्नान,14 जनवरी 2025- मकर संक्रांति,29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या, 3 फरवरी 2025- बसंत पंचमी, 12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा,26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि। कब-कब लगता है महाकुंभ मेला 2025?: बता दें कि 12 साल में एक बार महाकुंभ मेला लगता है, जो चार स्थानों में लगता है। इस साल महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है। आइए जानते हैं कहां लगेगा मेला इसका निर्णय कैसे किया जाता है। बता दें कि महाकुंभ लगने का निर्णय देवताओं के गुरु बृहस्पति और ग्रहों के राजा सूर्य की स्थिति के हिसाब से किया जाता है। प्रयागराज: जब गुरु बृहस्पति वृषभ राशि में है और ग्रहों के राजा मकर राशि में होते हैं, तो प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
नासिक: जब गुरु बृहस्पति और सूर्य देव दोनों की सिंह राशि में होते हैं, तो महाकुंभ मेला का आयोजन नासिक में किया जाता है।
हरिद्वार: जब देवताओं के गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में और ग्रहों के राजा मेष राशि में होते हैं, तो महाकुंभ हरिद्वार में लगता है।
उज्जैन: जब सूर्य मेष राशि में और गुरु बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं, तो कुंभ मेला उज्जैन में लगता है।कुंभ में शाही स्नान में आने वाले सनातनी के लिए निःशुल्क नर सेवा नारायण सेवा के साथ आवासीय वीआईपी सुविधा युक्त व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट तक श्रद्धालुओं के पहुंचने पर कैंप तक लाने व्यवस्था, रहने खाने की व्यवस्था की जाएगी। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रानी सती दादी भव्य मंगल पाठ, भजन संध्या, अमृत कथा , सुंदर कांड का पाठ का लाभ भी उठा पाएंगे। एक प्रश्न के जबाव में महामंडलेश्वर जयकिशन गिरि ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि उत्तर बंगाल से कम से कम एक लाख से अधिक लोग कुंभ स्नान में भाग लेंगे।