जो हिंदू को छेड़ेगा उसे अब नहीं छोड़ेंगे: पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
9 दिवसीय हिन्दू जोड़ो यात्रा पर निकले है, हिंदुओं के बीच मौजूद जाति भेदभाव, छुआछूत, अगड़े और पिछड़े का फर्क मिटाने का करेंगे काम
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अशोक झा, सिलीगुड़ी: बागेश्वर धाम के बालाजी मंदिर में दर्शन के बाद लाखों अनुयायियों के साथ 9 दिन की पदयात्रा को शुरू किया है। इसमें बड़ी संख्या में उत्तर बंगाल के भी हिंदुत्व ध्वजवाहक पहुंचे है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अब तक छतरपुर से ओरछा तक 1 किलोमीटर की यात्रा की हैं। रोजाना करीब 20 किलोमीटर पद यात्रा करेंगे, ये पदयात्रा 29 नवंबर यानि 9 दिन तक चलेगी। यात्रा के कुछ घंटे पहले बाबा बागेश्वर ने बात करते हुए इस यात्रा का उद्देश्य बताया है। क्या है यात्रा का उद्देश्य: बाबा बागेश्वर ने इस यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा कि वह हिंदुओं को एकजुट करने के लिए यह यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा के जरिए वह हिंदुओं के बीच मौजूद जाति भेदभाव, छुआछूत, अगड़े और पिछड़े का फर्क मिटाने का काम करेंगे। हमारा उद्देश्य जात-पात को मिटाने के लिए भारत के साथ-साथ विदेश में रहने वाली हिंदुओं को सपोर्ट करना है। हिंदू एकता का उनके बोल दिखाना है हमें ये उम्मीद है कि हिंदू हर हाल में एक होंगे मकसद यही है कि भारत से हर हाल में चार-पांच के भेदभाव को मिटाकर भारत को भव्य और हिंदू राष्ट्र बनाना है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की 9 दिवसीय पदयात्रा का आज दूसरा दिन है। सुबह 8 बजे बागेश्वर बाबा अपनी यात्रा शुरू करेंगे। 22 नवंबर की सुबह यह पदयात्रा कदारी से प्रारंभ होकर गठेवरा पहुंचेगी। पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि,हम इन हिन्दूओं के हाथ में सत्य की पुस्तक देना चाहते हैं । इन हिन्दुओं के हाथ में रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता दी जानी है । हम इन हिन्दुओं के हाथों में तर्कसंगत सोच देना चाहते हैं। हम इन हिन्दुओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अधिकार देना चाहते हैं। हम हिन्दुओं के अधिकारों की बात करना चाहते हैं, हम संविधान की बात करना चाहते हैं, हम देश की एकता की बात करना चाहते हैं।भारत अत्यंत संकट में है । आप कहते हैं कि इसने ‘करो या मरो’ की स्थिति पैदा कर दी है। हमारे देश में हमारे मंदिरों पर दूसरों का नियंत्रण होने से और बड़ा संकट क्या हो सकता है ? वे ( हिन्दुद्वेषी ) राम के राज्य में रहते हैं ; लेकिन फिर भी वे राम के अस्तित्व का साक्ष्य मांगते हैं। बाबर और अकबर के शासनकाल में इन लोगों (कट्टरपंथियों) ने काशी विश्वनाथ मंदिर को मस्जिद घोषित कर दिया था। जहां भगवान कृष्ण प्रकट हुए थे वहां एक मस्जिद बनाई गई। उन्होंने कई जगहों पर देश पर अपना अधिकार जताया । वे हिंदू समुदाय से कह रहे हैं कि अब हमारे लिए ‘करो या मरो’ का समय आ गया है। अगर वे (कट्टरपंथी) कल बागेश्वर धाम में कब्रें बनाएंगे तो हम निश्चित रूप से मर जाएंगे । ‘ इसीलिए हम हिन्दुओं को एकजुट करने और जातिवाद को समाप्त करने के लिए यह (हिन्दुओं को संगठित) कर रहे हैं।’
हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए । जहां हम नहीं पहुंच रहे हैं, वहां हिन्दू धर्मांतरण बढ़ रहा है। धार्मिक नेताओं को गरीबों तक पहुंचना होगा। इस समुदाय को हम आदिवासी नहीं ‘अनादिवासी’ नाम दे रहे हैं । यह समाज भगवान राम के समय का है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए । हमारी पार्टी बजरंगबली की पार्टी है, जिसका चुनाव चिन्ह गदा है । हम कोई पक्ष नहीं निकालते । हम राजनीति में नहीं जाना चाहते । हम राजनीति में क्या करेंगे ? मैंने हनुमान के चरणों में शपथ ली कि मैं अपना जीवन हिन्दुओं के लिए जिऊंगा और हिन्दुओं के लिए मरूंगा।
मंदिर-मस्जिदों में ‘वंदे मातरम्’ गाया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि देशभक्त कौन है ! पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने बयान दिया कि मंदिर हो या मस्जिद, दोनों पूजा स्थलों पर ‘वंदे मातरम्’ का उच्चारण होना चाहिए। यदि यह नियम लागू होता है तो कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही है इससे यह स्पष्ट हो जायेगा ?
उन्होंने कहा कि देश में सभी समुदायों का समान स्थान है और उन्हें उचित सम्मान दिया जाता है; लेकिन एक बार वंदे मातरम् कहने का चलन आरंभ हो गया तो लोगों में देशभक्ति अपने आप विकसित हो जाएगी । यदि ऐसा कोई निर्णय लिया जाता है तो यह राष्ट्रीय एकता के हित में उठाया गया कदम होगा। लोगों के बीच धार्मिक बाधाएं दूर होंगी और लोगों में भाईचारा बढ़ेगा।