आरएसएस के चाल और माइक्रो मैनेजमेंट में महाराष्ट्र में भाजपा की हुई ऐतिहासिक जीत

 

– बंगाल और झारखंड में जमीन पर नहीं दिख पाया वह काम, बदलनी होगी रणनीति

अशोक झा, सिलीगुड़ी: अभी सुबह से शाम तक बंगाल के हर गली मोहल्ले में महाराष्ट्र में भाजपा की जीत ओर बंगाल और झारखंड में हार पर चर्चा हो रही है। देवेंद्र फडणवीस का महाराष्‍ट्र का नया मुख्‍यमंत्री बनना लगभग तय है। नाम का ऐलान 28 नवंबर को हो सकता है। इसके लिए दिल्‍ली में मंथन चल रहा है। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को जो जीत हासिल हुई है उसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनसे जुड़ी संगठनों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या उसके सहयोगी संगठनों ने हरियाणा चुनाव के बाद ही महाराष्ट्र के चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर लिया था। यहां तक की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान के तमाम जगहों से स्वयंसेवकों के साथ-साथ उन जगहों के संगठन मंत्री भी पूरे महाराष्ट्र में पहुंच चुके थे। पूरी माइक्रो प्लानिंग RSS के स्वयंसेवकों एवं RSS के सहयोगी 36 संगठन ने किया था। बंगाल और झारखंड में जमीन पर यह सब देखने को नहीं मिल पाया। क्या ऐसा कोई फार्मूला बंगाल में कभी संभव हो पाएगा?क्या बंगाल में संघ और भाजपा की तैयारी जमीन पर उतनी मजबूत नहीं है? क्यों संघ शाखाओं पर जोड़ देती है? क्या भाषा और जनसंपर्क में आ रही कठिनाई? छोड़िए इन बातों का जिक्र हम फिर से फुर्सत में करेंगे।
कैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने किया खेल:पूरे महाराष्ट्र में स्वयंसेवक भारतीय जनता पार्टी की जीत की नींव मजबूत करने में लगे हुए थे। 1 व्यक्ति 2 घर का फॉर्मूला: RSS के जो स्थानीय स्वयंसेवक थे उन्हें ‘एक स्वयंसेवक दो घर’ की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके तहत इन लोगों ने अपने कार्य को क्रियान्वित करना शुरू किया। लोगों को दो व्यक्तियों के घर पर जाकर 100% मतदान की बात करनी है, सनातन की बात करनी है, हिंदू धर्म की बात करनी है, राष्ट्रीय हित की बात करनी है। उसे उन व्यक्तियों के घर पर कुछ खाना-पीना नहीं है, सिर्फ अपनी बात उनके सामने रखनी है और जब तक वह मोटिवेट नहीं हो जाते तब तक उनके संपर्क में रहना है। जब लगे कि वो व्यक्ति अपनी बातों से प्रभावित हो चुका है, मोटिवेट हो चुका है, फिर अगले दो घर लक्ष्य रखा जाता था। कोई दिखावा नहीं किया जाएगा। कोई फोटो नहीं खींची जाएगी, सोशल मीडिया पर नहीं डाला जाएगा। इस तरीके से संघ ने एक-एक व्यक्ति से संपर्क करना शुरू किया। संघ एवं उसके सहयोगी संगठनों ने हर जिले में 25 से 30 हजार छोटी-छोटी बैठकें की। महाराष्ट्र चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले दो महीने में महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों की प्रांत स्तर की लगभग 10 से 12 बड़ी बैठक ली। मुंबई, मराठवाडा, विदर्भ, कोकण इन तमाम क्षेत्रों में आरएसएस ने कई बैठके ली हैं। अक्टूबर और नवम्बर महीने में हर जिले की संघ और बीजेपी के बीच सामान्य बैठक हुई। महाराष्ट्र चुनाव में संघ एवं उसके 36 सहयोगी संगठन पूरे तरीके से चुनाव में सक्रिय हो गए थे ।आरएसएस के सह सरकार्यवाह अतुल लिमये ने भारतीय जनता पार्टी की जीत का खाका तैयार किया था। उन्होंने सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी की जीत की जमीन मजबूत करने के लिए आरएसएस के सभी सहयोगी संगठनों को सक्रिय किया। आरएसएस के 36 सहयोगी संगठनों ने जमीनी स्तर पर चुनावी समीकरण में भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत की। आरएसएस के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मजदूर संघ, किसान संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा शक्ति, मातृशक्ति, वनवासी आश्रम जैसे सभी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जागरण मंच के बैनर के तहत घर-घर जाकर प्रचार किया। लोग जागरण मंच ने प्रत्येक जिलों में 200 के आसपास छोटी-छोटी टोलियां बनाई थीं जो लोगों के घरों में जाकर 100% मतदान के साथ-साथ हिंदुत्व की बात करते थे।भाजपा को 148 में से 132 सीटों पर जीत : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति में शामिल भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

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