काशी के गंगा घाट पर ध्वनि प्रदूषण फैला रही सजी महफ़िल को पुलिस ने क्यों बंद कराया, जानिए कारण

 

वाराणसी।

वाराणसी के भेलूपुर थाना अंतर्गत तुलसी घाट के पास रहने वाले नागरिकों द्वारा पुलिस विभाग के अलावा ‘सत्या फाउण्डेशन’ के हेल्पलाइन नंबर 9212735622 पर लगातार शिकायत मिल रही थी कि कुछ लोग घाट पर समूह बनाकर, गाना बजाना करते हैं। हालांकि इसमें लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं होता मगर फिर भी लोगों की नींद खराब होती है। सत्या फाउण्डेशन द्वारा कुछ दिनों पहले ही सोशल मीडिया पर शिकायत के बाद पुलिस ने कार्यवाही भी की थी। फॉलो अप के क्रम में, कल शनिवार की रात 10 बजे के बाद, ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था, ‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव, चेतन उपाध्याय तुलसी घाट पर पहुंचे और सीढ़ियों से नीचे उतर कर देखा कि एक जगह महफ़िल सजी है और गिटार और कंठ संगीत (Instrumental & Vocal) की जुगलबंदी चल रही है मगर बिना लाउडस्पीकर वाली आवाज भी घाट की नीरवता को भंग कर रही थी और आसपास के मकानों में रहने वाले लोगों की नींद खराब करने के लिए बहुत काफी थी ये आवाज। चेतन उपाध्याय ने समूह से औपचारिक अनुमति लेकर, उनका लाईव वीडियो बनाना शुरू कर दिया। लाईव वीडियो शुरू होने के 60 सेकंड बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस के दो युवा सिपाही आये और सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी के साथ ही गाने को बंद करा दिया। इन युवाओं के समूह ने पुलिस को वादा किया कि दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे। इसके बाद स्थानीय लोग, पुलिस विभाग और ‘सत्या फाउण्डेशन’ को धन्यवाद देते हुए चैन की नींद सो पाए।

यह है गत रात्रि की पुलिस कार्रवाई वाला फेसबुक लाईव वीडियो: https://fb.watch/wbOtEmVt3o/

आइये जानते हैं कि जब लाउडस्पीकर नहीं बज रहा था तो क्यों और कैसे हुई पुलिस की कार्रवाई?

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम- 2000 (कृपया इसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के साथ जोड़कर पढ़ा जाए) के अनुसार, रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच मुंह से चिल्लाना (Shouting) या गाना (Vocal Music) या बजाना (Instrumental Music) भी गुनाह है। कानून के मुताबिक रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच, केवल लाउडस्पीकर ही नहीं, कोई भी कंठ संगीत अथवा वाद्य यंत्र भी केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही बजाया जा सकता है। दोषी को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ₹1,00,000 तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है।

क्या करें अगर कोई शोर करके बार-बार सताए?

‘सत्या फाउण्डेशन’ के सचिव चेतन उपाध्याय ने बताया कि अगर कोई बार-बार कानून की अवहेलना कर रहा है तो पुलिस का दायित्व बनता है कि स्वतः संज्ञान लेकर (Suo Moto), ध्वनि अपराध की वीडियोग्राफी करके मुकदमा दर्ज करे। इसके अलावा जागरूक नागरिकों से भी अपील है कि ध्वनि अपराध का एक लाईव वीडियो बनाकर फेसबुक या किसी भी सोशल मीडिया पर डाल दीजिए और अब इसी लाईव वीडियो का लिंक, मुकदमे के लिए अपनी लिखित तहरीर में डाल दीजिए। पुलिस थाने में गए बिना, घर बैठे ऑनलाइन एफ.आई.आर. दर्ज कराना चाहते हों तो गूगल प्ले स्टोर से उत्तर प्रदेश पुलिस के एप, UPCOP को डाउनलोड करें।

 

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