अशांत बांग्लादेश से भारत में घुसने के फिराक में दर्जनों आतंकी

सीमा पर बढ़ा तनाव भारत में बांग्लादेश के खिलाफ आक्रोश

 

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश में 5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की सरकार गिरने के बाद से हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं। इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय प्रभु को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया जिले में 30 नवंबर को त्रिपुरा से ढाका होते हुए कोलकाता जा रही एक बस पर हमला हुआ। बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के बाद हुए तख़्तापलट के दौरान कई आतंकी जेलों से छूट गए थे। अब खबर है कि इनमें से कुछ ने भारत में घुसने की कोशिश की है। ऐसी कुछ रिपोर्ट्स के बाद केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेश की बॉर्डर से लगे पश्चिम बंगाल के जिलों पर नज़र तेज कर दी है। ऐसे इलाकों पर सुरक्षा एजेंसिया खासतौर पर नजर रख रही है। एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी सूचना है कि पिछले चार महीनों में जिन 70 संदिग्ध आतंकवादियों का पता नहीं लगाया जा सका था, उनमें से कुछ देश में घुसने की कोशिश कर सकते हैं।
क्या जानकारी है?: बांग्लादेश के जेल प्रमुख सैयद मोहम्मद मोताहिर हुसैन ने 4 दिसंबर को ढाका में संवाददाताओं को बताया कि पांच जेलों से प्रदर्शन के दौरान निकलने वाले 2,200 जेल कैदियों में से 1,500 को पकड़ लिया गया है। अभी भी 700 से ज़्यादा कैदी फरार हैं और इनमें से 70 आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद थे। एक अधिकारी ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल को अलर्ट कर दिया गया है। इसके अलावा रेलवे सुरक्षा बल और राजकीय रेलवे पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है, क्योंकि बांग्लादेश की जेलों से फरार आतंकी घुसने के बाद ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं। सभी भारतीय राज्यों में से पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के साथ 2216 किलोमीटर की सीमा सबसे लंबी है। इस सीमा के 900 किलोमीटर हिस्से में नदियां बहती हैं।असम के कछार जिले से दो महिलाओं समेत तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीनों को कटिगोरा क्षेत्र में एक गश्ती दल ने उस समय पकड़ा जब वे एक कार में यात्रा कर रहे थे। पीटीआई भाषा के मुताबिक उन्होंने बताया, ‘‘तीनों बांग्लादेश के हबीगंज के निवासी हैं और उनकी पहचान झूमा दास, करुणा रानी दास और रिमोन वैष्णव के रूप में हुई है। ये सभी कटिगोरा सीमा के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे।’’अधिकारी ने बताया कि विदेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत लाने में कथित भूमिका के लिए कटिगोरा के दो और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस ने तीनों से पूछताछ की और आगे की जांच के लिए उन्हें सिलचर भेज दिया।बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दुओं पर अत्‍याचार हो रहा है, ये पूरी दुन‍िया को दिख रहा है. यहां तक क‍ि विरोध जताने के ल‍िए भारत ने अपने विदेश सच‍िव तक को ढाका भेज द‍िया. विदेश सच‍िव ने यूनुस की सरकार से दो टूक कहा क‍ि ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा के साथ ख‍िलवाड़ नहीं होना चाहिए. पूरे बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दू एकजुट हैं. लेकिन एक बाबा को लेकर उनका गुस्‍सा सातवें आसमान पर है. उनका आरोप है क‍ि यह बाबा मुहम्‍मद युनूस से दोस्‍ती गांठने में जुटा है. कहता फ‍िर रहा क‍ि बांग्‍लादेश में अल्‍पसंख्‍यकों पर कोई हिंसा नहीं हो रही. वहां के ह‍िन्‍दू इसे विभीषण बता रहे हैं. तो आख‍िर ये बाबा है कौन और बांग्‍लादेश की मीड‍िया में इसकी इतनी चर्चा क्‍यों है? पूरा मामला जानकर हैरान रह जाएंगे।इस बाबा का नाम अविनाश मित्रा है, जो बांग्‍लादेश में रमना हरिचंद मंदिर के सहायक सचिव हैं। दो द‍िन पहले मुहम्‍मद यूनुस ने धार्मिक समूहों के साथ बैठक की थी। इसमें ह‍िन्‍दुओं के नेताओं को भी बुलाया गया था, लेकिन दावा है क‍ि वे नहीं आए. मगर ह‍िन्दुओं का प्रत‍िन‍िध‍ि बनकर अविनाश मित्रा पहुंच गए।लेकिन वहां उन्‍होंने जो बयान द‍िया, उसे सुनकर बांग्‍लादेश के ह‍िन्‍दू भड़क उठे। इसके बाद त्रिपुरा में बांग्लादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। अगरतला में बांग्लादेशी हाई कमीशन में तोड़-फोड़ की गई। त्रिपुरा के होटल एसोसिएशन और एक हॉस्पिटल ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए अपनी सेवाएं बंद कर दीं। बांग्लादेश ने भी अगरतला में अपनी वीजा सेवाएं रोक दीं और त्रिपुरा से अपने डिप्लोमैट्स वापस बुला लिए।त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है। इसका पड़ोसी देश से सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहा है। बांग्लादेश में खतरे के चलते हिंदू आबादी बड़ी तादाद में देश छोड़कर त्रिपुरा के जरिए भारत में अवैध तरीके से घुस रही है। ​​​​उनका कहना है कि वे भारत की जेल में रह लेंगे, लेकिन वापस बांग्लादेश नहीं जाएंगे।भारत और बांग्लादेश के बीच बस ऑपरेटर कंपनी श्यामोली परिवहन प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर विकास चक्रवर्ती ने बताया कि 30 नवंबर को अगरतला-कोलकाता बस पर बांग्लादेश में हमले के बाद यात्रियों की संख्या में बहुत कमी आई है। पहले भारत और बांग्लादेश के लोग बड़े पैमाने पर आना-जाना करते रहे हैं।’नवंबर तक बांग्लादेश से आने-जाने वाली बसों की सीटें हर रोज भरी होती थीं। अब हालात बदल गए हैं। 6 दिसंबर को बांग्लादेश से एक बस अगरतला पहुंची। उसमें एक भी पैसेंजर नहीं था। 7 दिसंबर को अगरतला से ढाका के लिए 20 लोगों ने टिकट बुक किए। इनमें 14 भारतीय और 6 बांग्लादेशी नागरिक थे।’त्रिपुरा के सभी होटलों ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए सेवाएं बैन कर दी हैं। अशांति से पहले हर महीने करीब 2-3 सौ बांग्लादेशी अगरतला के अस्पतालों में इलाज के लिए आते थे। होटलों में बैन के चलते अब मरीजों और उनके परिजनों को ठहरने में मुश्किल हो रही है।ऑल त्रिपुरा होटल एंड रेस्टोरेंट ओनर्स एसोसिएशन (ATHROA) के कोषाध्यक्ष, विश्वजीत पाल ने फोन पर बताया कि बांग्लादेश में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है। बांग्लादेश में भारतीय बस यात्रियों को परेशान किए जाने और हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार के कारण एसोसिएशन ने यह फैसला लिया है।विश्वजीत पाल ने कहा, ‘अगर इस फैसले से हमारे बिजनेस को नुकसान होता है तो हमें इसकी परवाह नहीं है। हम देश का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। देश के लिए हम व्यापारिक नुकसान झेलने को भी तैयार रहते हैं।’CM बोले- मेडिकल सेवाएं नहीं देना अस्पतालों का निजी फैसला अगरतला के सबसे बड़े हॉस्पिटल्स में शुमार ILS सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 2 दिसंबर को बांग्लादेशी नागरिकों को इलाज नहीं देने का ऐलान किया। यहां बॉर्डर पार से हर महीने लगभग 100 बांग्लादेशी मरीज इलाज के लिए आते थे।त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रोफेसर डॉ. माणिक साहा ने ILS हॉस्पिटल के इस फैसले पर कहा, ‘मैं एक डेंटिस्ट हूं। डॉक्टर के नाते मरीज हमारी प्राथमिकता है। हालांकि, अगर कोई प्राइवेट हॉस्पिटल बांग्लादेशी नागरिकों को मेडिकल सेवाएं नहीं देना चाहता है तो यह उनका निजी फैसला है। मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है।’बांग्लादेश में अशांति पर त्रिपुरा CM ने कहा, ‘जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता। मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस मामले में जल्दी कार्रवाई करेगी। मैंने बॉर्डर इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने का भी आदेश दिया है।’पूर्व CM बोले- यहां के प्रदर्शनकारियों और बांग्लादेशी अपराधियों में फर्क नहीं पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने त्रिपुरा में बांग्लादेश के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन को एक खास वर्ग की साजिश करार दिया। पूर्व CM ने कहा, ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले और अत्याचार निंदनीय है, लेकिन त्रिपुरा में विरोध के नाम पर एक वर्ग अपना हित साधने की कोशिश कर रहा है।’पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘विरोध करने वाले लोग केवल बांग्लादेश के हिंदुओं की बात कर रहे हैं। दूसरे धर्मों के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की बात कोई नहीं कर रहा है। त्रिपुरा में बांग्लादेशी हाई कमीशन में घुसकर बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज को तोड़ दिया गया। यह कैसा विरोध है। यहां विरोध करने वालों और बांग्लादेश के अपराधियों में कोई अंतर नहीं रह गया है।’बांग्लादेश में परिवार, उन पर हमले के डर से नींद नहीं आती’ दैनिक भास्कर ने त्रिपुरा में एक 40 साल की हिंदू महिला से बात की, जिसका मायका बांग्लादेश में है। अपने परिवार पर हमले के डर से महिला ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘मेरा पूरा परिवार बांग्लादेश में है। मैं साल में 2-3 बार मायके जाती थी, लेकिन अब वहां जाना जोखिम भरा लग रहा है।’वीजा सेवाएं बंद होने के कारण मैं अपनी बीमार मां से मिलने भी नहीं जा पा रही हूं। अपने घरवालों के बारे में सोचकर रात भर नींद नहीं आती है। मन में हमेशा डर लगा रहता है कि वहां में उन पर कोई हमला न कर दे।बांग्लादेशी हिंदू बोले- भारत के जेल में रह लेंगे, अपने देश नहीं जाना वीजा सेवाएं बंद होने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं का बॉर्डर पार कर त्रिपुरा आने का सिलसिला जारी है। त्रिपुरा के अंबासा रेलवे स्टेशन पर 7 दिसंबर को 10 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है। इनमें दो पुरुष, दो महिलाएं, 5 बच्चे और एक बुजुर्ग शामिल हैं।

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