15 को कार्तिक महोत्सव पर सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में सजेगा श्रीश्याम प्रभु खाटूवाले बाबा का दरबार

कानपुर से आमंत्रित भजन प्रवाहक अभिषेक शुक्ला का होगा गायन

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: हारे के सहारे के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात खाटू श्याम के बारे में तो आप बेशक परिचित होंगे। आपने इसके मंदिर के बारे में भी सुना होगा। दिनों दिन आज के आधुनिक दौर में देश प्रदेश में खाटू श्याम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आज लाखों की तादाद में भक्त खाटू श्याम मंदिर पहुंचते हैं।कई बार भक्तों की तादाद ज्यादा होने की वजह से बाबा श्याम के दर्शन सही ढंग से नहीं हो पाते हैं। ऐसे में श्याम भक्तों के लिए श्री खाटू श्याम मित्र मंडल सिलीगुड़ी की ओर से श्री श्याम प्रभु खाटूवाले का कार्तिक महोत्सव का आयोजन पूर्णिमा के दिन 15 दिसंबर को किया जा रहा है। इस दिन बाबा श्याम का दरबार सजाया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष निर्मल मित्रुका, सचिव संदीप अग्रवाल और श्याम भक्त विमल डालमिया ने इस कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। बताया की श्री खाटू श्याम मित्र मण्डल, नेहरु रोड, खालपाड़ा, सिलीगुड़ी श्री श्याम बाबा खाटू वाले का कार्तिक महोत्सव का आयोजन कर रहा है। आगामी 15 दिसम्बर 2024 को स्थानीय अग्रसेन भवन सभागार, अग्रसेन रोड, खालपाड़ा, सिलीगुड़ी में मनाने जा रहा है। कार्यक्रम में सायं 5 बजे से प्रभु इच्छा तक, कानपुर से आमंत्रित भजन प्रवाहक श्री अभिषेक शुक्लाजी अपनी सुमधुर वाणी से बाबा का गुणगान करेंगे ।कार्यक्रम में अखण्ड ज्योति, अलौकिक श्रृगार एवं भण्डारे की भी व्यवस्था है। श्याम भक्तों ने बताया कि खाटू वाले श्याम बाबा भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। इनका असली नाम बर्बरीक था। बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक बचपन से ही वीर और महान योद्धा थे। उन्हें भगवान शिव से तीन अभेद्य बाण प्राप्त हुए थे। महाभारत के युद्ध में बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। भगवान कृष्ण ने उसे रोकने के लिए उसका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक ने अपना सिर दान कर दिया, लेकिन उसने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। श्री कृष्ण ने उसकी इच्छा स्वीकार कर ली और उसका सिर एक पहाड़ी पर रख दिया। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को महिमा दी कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजा करना। खाटू श्याम जी का जन्म कैसे हुआ था: पौराणिक कथाओं के अनुसार खाटू श्याम जी के जन्म की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। जब पांडव अपने प्राण बचाने के लिए एक जंगल से दूसरे जंगल भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच के पुत्र का नाम बोरिक था। बर्बरीक बचपन से ही साहसी और महान योद्धा थे। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक ने प्रार्थना की थी कि इस युद्ध में जो भी हारेगा वह नग्न होकर लड़ेगा। श्री कृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण करने वालों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया। श्री कृष्ण ने बारिक से दान में आशीर्वाद मांगा। बोरिक ने खुशी-खुशी अपना दर्पण दान कर दिया। श्री कृष्ण ने बारिक को कलियुग में श्याम नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया। तभी से लोग इस कलयुग में बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा के नाम से जानते और पूजते है। जो एक बार उनका दर्शन पाते है सभी मुरादे पा लेते है। अगर विश्वास नहीं तो 15 को आ जाइए अग्रसेन भवन में सजने वाले बाबा के दरबार में।

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