प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रयागराज में लगभग 5,500 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ मेला 2025 के लिये विकास कार्यों का निरीक्षण किया
प्रधानमंत्री ने कुंभ सहायक चैटबॉट का शुभारम्भ किया
महाकुंभ हमारी आस्था, आध्यात्म और संस्कृति का दिव्य पर्व हैः प्रधानमंत्री
प्रयाग एक ऐसा स्थान है जहां हर कदम पर पुण्य क्षेत्र हैंः प्रधानमंत्री
गोरखपुर, 13 दिसम्बर, 2024ः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 13 दिसम्बर, 2024 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगभग 5,500 करोड़ रुपए की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संगम की पावन भूमि प्रयागराज को नमन किया और महाकुंभ में भाग लेने वाले संतों और साध्वियों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। श्री मोदी ने कर्मचारियों, श्रमिकों और सफाई कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से महाकुंभ को सफल बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े समागमों में से एक है जहां 45 दिनों तक चलने वाले महायज्ञ के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है और इस अवसर के लिए एक नया शहर बसाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज की धरती पर एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगले वर्ष होने वाला महाकुंभ, देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नए शिखर पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि एकता के ऐसे महायज्ञ की चर्चा पूरी दुनिया में होगी। उन्होंने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए लोगों को शुभकामनाएं दीं।
भारत को पवित्र स्थलों और तीर्थों की भूमि बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा और कई अन्य असंख्य नदियों की भूमि है। प्रयाग को इन नदियों के संगम, संग्रह, समागम, संयोजन, प्रभाव और शक्ति के रूप में वर्णित करते हुए, कई तीर्थ स्थलों के महत्व और उनकी महानता के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयाग सिर्फ तीन नदियों का संगम नहीं है, बल्कि उससे भी कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रयाग के बारे में कहा जाता है कि यह एक पवित्र समय होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सभी दिव्य शक्तियां, अमृत, ऋषि और संत प्रयाग में उतरते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसके बिना पुराण अधूरे रह जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसकी स्तुति वेदों की ऋचाओं में की गई है।
श्री मोदी ने कहा कि प्रयाग एक ऐसी जगह है, जहां हर कदम पर पवित्र स्थान और पुण्य क्षेत्र हैं। प्रयागराज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने एक संस्कृत श्लोक पढ़ा और इसे समझाते हुए कहा कि त्रिवेणी का प्रभाव, वेणीमाधव की महिमा, सोमेश्वर का आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपस्थली, भगवान नागराज वसु जी की विशेष भूमि, अक्षयवट की अमरता और ईश्वर की कृपा यही हमारे तीर्थराज प्रयाग को बनाती है। उन्होंने आगे बताया कि प्रयागराज एक ऐसी जगह है, जहां ‘धर्म’, ‘अर्थ’, ‘काम’ और ‘मोक्ष’ चारों तत्व उपलब्ध हैं। प्रयागराज आने के लिए नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज सिर्फ एक भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह आध्यात्मिकता का अनुभव करने की जगह है। उन्होंने पिछले कुंभ के दौरान संगम में पवित्र डुबकी लगाए जाने को याद किया और आज यह अवसर मिलने का भी उल्लेख किया। आज हनुमान मंदिर और अक्षयवट में दर्शन और पूजा के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने श्रद्धालुओं की आसान पहुँच के लिए हनुमान कॉरिडोर और अक्षयवट कॉरिडोर के विकास के बारे में जानकारी दी और सरस्वती कूप के पुनर्विकास परियोजना के बारे में भी जानकारी ली। श्री मोदी ने आज के हजारों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई भी दी।
श्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ हमारी आस्था, आध्यात्म और संस्कृति के दिव्य पर्व की विरासत की जीवंत पहचान है। उन्होंने कहा कि हर बार महाकुंभ धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला के दिव्य समागम का प्रतीक होता है। प्रधानमंत्री ने संस्कृत के श्लोक का पाठ करते हुए कहा कि संगम में डुबकी लगाना करोड़ों तीर्थ स्थलों की यात्रा के बराबर है। उन्होंने कहा कि पवित्र डुबकी लगाने वाला व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आस्था का यह शाश्वत प्रवाह विभिन्न सम्राटों और राज्यों के शासनकाल, यहां तक कि अंग्रेजों के निरंकुश शासन के दौरान भी कभी नहीं रुका और इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि कुंभ किसी बाहरी ताकतों द्वारा संचालित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मनुष्य की अंतरात्मा की चेतना का प्रतिनिधित्व करता है, वह चेतना जो भीतर से आती है और भारत के हर कोने से लोगों को संगम के तट पर खींचती है। उन्होंने कहा कि गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकलते हैं और सामूहिकता और जनसमूह की ऐसी शक्ति शायद ही कहीं और देखने को मिलती है। श्री मोदी ने कहा कि एक बार महाकुंभ में आने के बाद हर कोई एक हो जाता है, चाहे वह संत हो, मुनि हो, ज्ञानी हो या आम आदमी हो और जाति-पंथ का भेद भी खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग एक लक्ष्य और एक विचार से जुड़ते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार महाकुंभ के दौरान विभिन्न राज्यों से अलग-अलग भाषा, जाति, विश्वास वाले करोड़ों लोग संगम पर एकत्र होकर एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि यही उनकी मान्यता है कि महाकुंभ एकता का महायज्ञ है, जहां हर तरह के भेदभाव का त्याग किया जाता है और यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सुंदर तस्वीर पेश करता है।
श्री मोदी ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा में कुंभ के महत्व पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह हमेशा से संतों के बीच महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों और चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श का मंच रहा है। उन्होंने कहा कि जब अतीत में आधुनिक संचार के माध्यम मौजूद नहीं थे, तब कुंभ महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों का आधार बन गया, जहां संत और विद्वान राष्ट्र के कल्याण पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए और वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया, जिससे देश की विचार प्रक्रिया को नई दिशा और ऊर्जा मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी कुंभ एक ऐसे मंच के रूप में अपना महत्व बनाए हुए है, जहां इस तरह की चर्चाएं जारी रहती हैं, जो पूरे देश में सकारात्मक संदेश भेजती हैं और राष्ट्रीय कल्याण पर सामूहिक विचारों को प्रेरित करती हैं। भले ही ऐसे समारोहों के नाम, उपलब्धि और मार्ग अलग-अलग हों, लेकिन उद्देश्य और यात्रा एक ही है। उन्होंने उल्लेख किया कि कुंभ राष्ट्रीय विमर्श का प्रतीक और भविष्य की प्रगति का एक प्रकाश स्तंभ बना हुआ है।
प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों द्वारा कुंभ और धार्मिक तीर्थयात्राओं की उपेक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन आयोजनों के महत्व के बावजूद, श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने इसके लिए भारत की संस्कृति और आस्था से जुड़ाव की कमी को जिम्मेदार ठहराया और नागरिकों को आश्वस्त किया कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर मौजूदा सरकार के तहत भारत की परंपराओं और आस्था के प्रति गहरा सम्मान है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें कुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करना अपनी जिम्मेदारी मानती हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें सुचारू तैयारी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। उन्होंने अयोध्या, वाराणसी, रायबरेली और लखनऊ जैसे शहरों से प्रयागराज की कनेक्टिविटी में सुधार करने पर विशेष बल दिया ताकि तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा आसान हो सके। प्रधानमंत्री ने भव्य आयोजन की तैयारी में कई सरकारी विभागों के सामूहिक प्रयासों की प्रशंसा की जो ‘सरकार के समग्र‘ दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का लक्ष्य विकास के साथ-साथ भारत की विरासत को समृद्ध करना भी है। उन्होंने देश भर में विकसित किए जा रहे विभिन्न पर्यटन सर्किटों का उल्लेख किया और रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बौद्ध सर्किट और तीर्थंकर सर्किट का उदाहरण दिया। स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार तीर्थ स्थलों पर सुविधाओं का विस्तार कर रही है। उन्होंने भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या के परिवर्तन पर प्रकाश डाला जिसने पूरे शहर का उत्थान किया है। उन्होंने विश्वनाथ धाम और महाकाल महालोक जैसी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया जिन्हें वैश्विक मान्यता मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्षय वट कॉरिडोर, हनुमान मंदिर कॉरिडोर और भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर इस दृष्टि को दर्शाते हैं जबकि सरस्वती कूप, पातालपुरी, नागवासुकी और द्वादश माधव मंदिर जैसे स्थलों को भी तीर्थयात्रियों के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि निषादराज की भूमि प्रयागराज ने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि भगवान राम और केवट का प्रसंग हमें प्रेरणा देता है। केवट ने भगवान राम के पैर धोए और उन्हें अपनी नाव से नदी पार करने में मदद की जो भक्ति और मित्रता का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रसंग से यह संदेश मिलता है कि भगवान भी अपने भक्त से मदद मांग सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि श्रृंगवेरपुर धाम का विकास इस मित्रता का प्रमाण है और भगवान राम और निषादराज की मूर्तियां आने वाली पीढ़ियों को सद्भाव का संदेश देती रहेंगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भव्य कुंभ को सफल बनाने में स्वच्छता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में उचित स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम में तेजी लाई गई है और जागरूकता बढ़ाने के लिए गंगा दूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्र नियुक्त करने जैसी पहल शुरू की गई हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस बार कुंभ की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 15,000 से अधिक सफाई कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। उन्होंने इन कर्मचारियों के प्रति पहले से ही आभार व्यक्त किया और करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने में उनके समर्पण को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने भगवान कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने जूठी पत्तल उठाकर संदेश दिया कि हर काम महत्वपूर्ण है और कहा कि सफाई कर्मचारी अपने कार्यों से इस आयोजन की महानता को बढ़ाएंगे। उन्होंने 2019 के कुंभ के दौरान स्वच्छता के लिए मिली सराहना को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने सफाई कर्मचारियों के पैर धोकर अपना आभार व्यक्त किया, जो उनके लिए एक यादगार अनुभव है।
श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि कुंभ मेले से आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है जिस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता। उन्होंने कहा कि कुंभ से पहले भी इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगम के तट पर करीब डेढ़ महीने के लिए एक अस्थायी शहर बसाया जाएगा जिसमें रोजाना लाखों लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रयागराज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होगी। श्री मोदी ने कहा कि 6,000 से अधिक नाविक, हजारों दुकानदार और धार्मिक अनुष्ठानों और पवित्र स्नान में सहायता करने वालों के काम में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार के कई अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए व्यापारियों को दूसरे शहरों से माल लाना होगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ का असर आसपास के जिलों में भी महसूस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले तीर्थयात्री ट्रेन या हवाई सेवाओं का उपयोग करेंगे जिससे अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ न केवल समाज को मजबूत करेगा बल्कि लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी योगदान देगा।
श्री मोदी ने प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया जो आगामी महाकुंभ 2025 को आकार देगी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में, स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में वृद्धि हुई है और 2013 की तुलना में डेटा बहुत सस्ता है। उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ता के अनुकूल ऐप उपलब्ध होने के कारण, सीमित तकनीकी ज्ञान वाले लोग भी उनका आसानी से उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कुंभ के लिए पहली बार एआई और चैटबॉट तकनीक के उपयोग को चिह्नित करते हुए श्कुंभ सहायकश् चैटबॉट के शुभारंभ का उल्लेख किया, जो ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और एकता के प्रतीक के रूप में कुंभ के सार को दर्शाने वाली फोटोग्राफी प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सुझाव दिया। सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा की जाने वाली ये तस्वीरें, अनगिनत भावनाओं और रंगों को मिलाकर एक विशाल कैनवास तैयार करेंगी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आध्यात्मिकता और प्रकृति पर केंद्रित प्रतियोगिताओं के आयोजन का प्रस्ताव रखा, जो युवाओं के बीच कुंभ के आकर्षण को और बढ़ाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि महाकुंभ से निकलने वाली सामूहिक और आध्यात्मिक ऊर्जा विकसित भारत के प्रति राष्ट्र के संकल्प को और मजबूत करेगी। उन्होंने कुंभ स्नान को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की कामना की और गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम के माध्यम से मानवता के कल्याण की प्रार्थना की। अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों का प्रयागराज की पवित्र नगरी में स्वागत किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री ब्रजेश पाठक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रयागराज की यात्रा की और संगम नोज व अक्षय वट वृक्ष पर पूजा-अर्चना की। उसके बाद हनुमान मंदिर और सरस्वती कूप में दर्शन-पूजन किया। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ प्रदर्शनी स्थल का भी दौरा किया।
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ 2025 के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें प्रयागराज में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए पूर्वाेत्तर रेलवे पर रू. 850 करोड़ की लागत से गंगा नदी पर दोहरी लाइन के रेल पुल सहित झूसी-प्रयागराज खंड के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण, झूसी स्टेशन यार्ड के निकट रू. 11 करोड़ की लागत से डबल लेन के रोड अंडर ब्रिज संख्या 110 एवं झूसी-रामनाथपुर स्टेशनों के मध्य समपार संख्या 66 पर रू. 9 करोड़ की लागत से रोड अंडर ब्रिज सहित 10 नए रोड ओवर ब्रिज (आर.ओ.बी.) या फ्लाईओवर/रोड अंडर ब्रिज (आर.यू.बी.), प्रयागराज रामबाग स्टेशन पर रू. 25 करोड़ एवं झूसी स्टेशन पर रू. 27 करोड़ की लागत सहित प्रयागराज क्षेत्र के 07 स्टेशनों पर विस्तारित यात्री सुविधायें, झूसी सहित 07 स्टेशनों पर द्वितीय प्रवेश द्वार के विकास का कार्य, प्रयागराज जं. पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग, स्थायी घाट तथा रिवरफ्रंट सड़कें जैसी विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाएं शामिल हैं।
स्वच्छ और निर्मल गंगा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रधानमंत्री ने गंगा नदी की ओर जाने वाले छोटे नालों को रोकने, मोड़ने और उनकी सफाई करने की परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। उन्होंने पेयजल और बिजली से संबंधित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने प्रमुख मंदिर गलियारों का उद्घाटन किया जिसमें भारद्वाज आश्रम गलियारा, श्रृंगवेरपुर धाम गलियारा, अक्षयवट गलियारा, हनुमान मंदिर गलियारा आदि शामिल हैं। इन परियोजनाओं से मंदिरों तक श्रद्धालुओं की पहुंच आसान होगी और आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कुंभ सहायक चैटबॉट लॉन्च किया जो महाकुंभ मेला 2025 में श्रद्धालुओं को कार्यक्रमों के बारे में मार्गदर्शन और अपडेट प्रदान करेगा।