वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े लोक कला उत्सव को कल होगा सम्मान

आज प्रखर और संगठित होकर जनजाति समाज को सशक्त करने की आवश्यकता :सीताराम डालमिया

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: वनवासी कल्याण आश्रम उत्तर बंगाल प्रांत की ओर से कल वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े प्रतिभा का सम्मान किया जाएगा। यह समारोह सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में आयोजित किया जाएगा। इसकी जानकारी कार्यक्रम संयोजक सीताराम डालमिया ने दी। बताया की इस समारोह में शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हीरालाल बाजारी प्रमुख अतिथि (विशिष्ट व्यवसायी एवं समाजसेवी), डा.जी.बी. दास,द्वीप प्रज्ज्वलनकर्ता (प्रसिद्ध चिकित्सक) प्रेम कुमार मित्तल विशिष्ट अतिथि (विशिष्ट व्यवसायी एवं समाजसेवी), भोजराज लूणावतविशिष्ट अतिथि (विशिष्ट व्यवसायी एवं समाजसेवी) डा. प्रो. रेखा नागर राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य (अ.भा. वनवासी कल्याण आश्रम) उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम को अध्यक्ष राम चन्द्र उरांव मंत्री विजय अग्रवाल तथा सीताराम डालमिया को कार्यक्रम संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यक्रम संयोजक सीताराम डालमिया ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा जनजाति संगठन वनवासी कल्याण आश्रम है। यह जनजातियों के बीच में कार्यरत है। कल्याण आश्रम के 14 आयाम के कार्यकर्ता इस कार्यक्रम को राष्ट्रहित में कार्यरत है। इस कार्यक्रम को जनजातियों में परंपरा रूढ़िवादिता को सुरक्षित तथा संरक्षण करते हुए राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने में लगे है। आज प्रखर और संगठित होकर जनजाति समाज को सशक्त करने की आवश्यकता है। तभी उनकी संस्कृति और सभ्यता बचेगी। डालमिया ने कहा कि जनजाति समाज को तोड़ने का अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र चल रहा है।उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के वाहक जनजाति समाज को मुख्य धारा से अलग करने में लोग लगे हैं। अपनी धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले बिरसा मुंडा, तिलका मांझी सिदो-कान्हू सहित कई जनजातीय समाज के लोगों का इतिहास है। जनजाति समाज के लोग गरीब जरूर हैं, परंतु लाचार नहीं हैं :अब उन्हें बताया जा रहा है कि आप हिंदू नहीं हो। इस षडयंत्र को हम सभी को मिलकर विफल करना है। कहा कि जनजाति समाज के लोग गरीब जरूर हैं, परंतु लाचार नहीं हैं। परिश्रम कर जीवन यापन करते हैं। किसी के आगे बढ़ने पर विद्वेष नहीं करते हैं। गीता का वाचन नहीं किया है, परंतु संपूर्ण गीता का दर्शन करते हैं। इतिहास को बदलने का प्रयास :उन्होंने कहा कि रामायण काल में वनवासी वीरों ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी वीरता दिखाई थी। महाभारत में भी सत्य का साथ दिया था। उस इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि अपने बच्चों को सही इतिहास की जानकारी जरूर दीजिए।

Back to top button