भाजपा के प्रखर नेता अरुण जेटली की जयंती पर उन्हें किया जा रहा याद,इनकी खासियत क्या रही पढ़िए
एक ऐसा नेता जो सीधे उठाते थे फोन, एक कार्यकर्ता की तरह रहता था भाव

अशोक झा, नई दिल्ली: आज देशभर में भाजपा अपने प्रिय नेता अरुण जेटली को उनके जन्म जयंती पर याद कर रहा है। अरुण जेटली का नाम देश के ऐसे नेता के तौर पर हमेशा लिया जाता है, जिनके वित्त मंत्री रहते हुए देश ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसी बड़ी आर्थिक गतिविधियां देखीं। उनकी सबसे अच्छी और खास विशेषता यह थी कि वह खुद फोन उठाकर समस्या को सुनते थे। वह भी उस समय जब वह देश के वित्तमंत्री थे। इसे मैने खुद अनुभव किया है। बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान मुश्किल से दो से तीन बार मेरी उनसे एक पत्रकार के तौर पर मुलाकात हुई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव और मेरी खबरों से वह काफी प्रभावित थे। दार्जिलिंग से लोकसभा में एसएस अहलूवालिया चुनाव जीतकर आए थे। एक बैंक अधिकारी काफी परेशान था और लगातार सांसद के घर पर चक्कर लगा रहा था। उनकी बातें सुनने के बाद मुझे लगा कि अरुण जेटली से यह बात करनी चाहिए। फोन लगाया तो उन्होंने स्वयं उठाएं। कहा कि आप उनकी शिकायत भिजवाकर मुझे जानकारी दे दें। मैने सोचा हर नेता की तरह यह भी बोल रहे है। बैंक अधिकारी से शिकायत भिजवाने के बाद मैने फिर फोन किया इस बार भी वह स्वयं उठाया और कहा ठीक है। उसके ठीक दो दिन बाद ही उनका फोन आया कि अशोक जी आपके बैंक अधिकारी की शिकायत का कारवाई हो चुकी है। अगर और कोई समस्या हो तो जरूर बताइएगा? यह मेरे लिए किसी दीवा स्वप्न से कम नहीं था?बैंक अधिकारी तो जेटली जी को कलयुग के भगवान का दर्जा देते नहीं थक रहा था। उसके बाद हिल्स में गोरखालैंड आंदोलन को लेकर भी उनसे मेरी कई बार बात हुई थी। यह हमेशा राजनीतिक बहस का विषय रहा है और शायद रहेगा कि ये दोनों फैसले कितने सही थे, लेकिन इन्हें लागू करने में जेटली की बड़ी भूमिका थी।अरुण जेटली का राजनीति से लेकर क्रिकेट की पिच तक नाता है।अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में हुआ था। वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, भारत सरकार के पूर्व वित्त मंत्री और एक प्रभावशाली सांसद के रूप में जाने जाते थे। जेटली का योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, और कानूनी व्यवस्था में अभूतपूर्व रहा। छात्र जीवन में ही रख दिया था राजनीति में कदम: अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में एक्टिव हो गए थे। छात्र जीवन में जेटली आरएसएस की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य थे। अरुण जेटली ने देशभर में प्रसिद्ध श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र थे, वे इस कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद अरुण जेटली ने वकालत की पढ़ाई की। जेटली 1974 में एबीवीपी के प्रत्याशी के तौर पर डीयू के अध्यक्ष चुने गए।
इमरजेंसी के दौरान गए जेल: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन के दौरान जब देश में आपातकाल लगा तो देशभर के कई नेताओं और समाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। आपात काल के दौरान सरकार का विरोध करने पर अरुण जेटली को भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में 19 महीने के लिए बंद कर दिया गया। जेल में अरुण जेटली की मुलाकात विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले दिग्गजों से हुई।अरुण जेटली और अटल सरकार में उनका सफर: अरुण जेटली को पहली बार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री पद मिला। शुरुआत में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया, और फिर 2000 में वे भारत के कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बने। अगले ही साल, उन्हें जहाजरानी मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया, जहां उन्होंने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया।2002 में भाजपा के जनरल सेक्रेटरी के रूप में चुनाव: अटल सरकार में कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाते हुए, अरुण जेटली का संगठन की राजनीति में भी रुतबा बढ़ने लगा। 2002 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का जनरल सेक्रेटरी चुना गया। देश में सत्ता परिवर्तन के बावजूद वे पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक बने रहे, और 2006 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा गया।2009 में राज्यसभा में विपक्षी नेता की भूमिका: साल 2009 में अरुण जेटली को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया। भाजपा की एकल पद नीति के तहत उन्होंने पार्टी के जनरल सेक्रेटरी पद से इस्तीफा दिया। विपक्षी नेता के तौर पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे CWG घोटाला, महिला आरक्षण बिल, और इंडिया-अमेरिका न्यूक्लियर डील पर प्रभावशाली भूमिका निभाई। 2012 में, वे फिर से गुजरात से राज्यसभा के सदस्य बने।मोदी सरकार 1.0 में महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके जेटली को नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भी अहम जिम्मेदारी मिली। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वे अमृतसर सीट से हार गए, फिर भी उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें वित्त, रक्षा और अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए। मार्च 2018 में उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया।मोदी सरकार 2.0 में मंत्री पद लेने से इनकार: हालांकि अरुण जेटली का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था, फिर भी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री पद के लिए उन्हें चुना गया। लेकिन अपनी सेहत के कारण, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री बनने से मना कर दिया और अनुरोध किया कि उन्हें कोई भी दायित्व न सौंपा जाए।अरुण जेटली के नाम पर रखा गया दिल्ली के क्रिकेट स्टेडियम का नाम12 सितंबर 2019 को दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदल कर अरुण जेटली के नाम पर रखा गया। दिल्ली का ऐतिहासिक फिरोज शाह कोटला स्टेडियम अब अरुण जेटली स्टेडिमय के नाम से जाना जाता हैं।