UP NEWS: उप्र में 31 गायब डाक्टरों से सरकार वसूलेगी एक-एक करोड़ रूपये

UP NEWS: उप्र में 31 गायब डाक्टरों से सरकार वसूलेगी एक-एक करोड़ रूपये

उप्र सरकारी अस्पतालों के 31 चिकित्सक ऐसे हैं जो पीजी (एमडी/एमएस) कर सरकारी नौकरी में वापसी न करने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्ती शुरू कर दिया है। अब ऐसे सरकारी डॉक्टरों की आरसी जारी कराने की तैयारी है। उन चिकितसको से आरसी के द्वारा सरकारी अनिवार्य सेवा बांड की धनराशि वसूल की जाएगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस दिए जाने पर उन्होंने उसका जवाब भी नहीं दिया। जल्द इन्हें आरोप पत्र दिया जाएगा और फिर पूर्व में भरवाए गए बांड को तोड़ने के कारण उनसे एक-एक करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी। वर्ष 2017-22 तक पीजी में दाखिला लेने वाले इन चिकित्सकों को चिह्नित किया गया है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर अब इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।

एमबीबीएस चिकित्सकों को पांच साल की सेवा पूरी करने पर एमडी व एमएस इत्यादि पीजी कोर्स की पढ़ाई का अवसर दिया जाता है ताकि विशेष चिकित्सकों की कमी न हो। नीट-पीजी प्रवेश में इन्हें 30 अंकों का वेटेज भी दिया जाता है वर्ना पीजी में प्रवेश पाना इतना आसान नहीं होता है। इन सरकारी डाक्टरों ने इसका लाभ लेकर पीजी कोर्स में दाखिला तो ले लिया लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद सेवाएं देने नहीं आए। बांड के नियमों के अनुसार 10 वर्ष की सेवा देना जरूरी है, वर्ना एक करोड़ रुपये जुर्माना वसूला जाता है।

जिन डाक्टरों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी उनमें कुशीनगर के नेबुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के डा. सत्य प्रकाश कुशवाहा व कनौली सीएचसी के डा. लाल प्रभाकर सिंह, शामिल हैं।

इन डाक्टरों में देवरिया की सीएचसी तरकुलवा के डा. अमित गोयल व पीएचसी बाखरा के डा. अनूप कुमार दुबे, महाराजगंज की पीएचसी श्यामदेठरवा डा. सत्य प्रकाश त्रिपाठी, बस्ती की पीएचसी मझरिया के डा. एस. दोहा, सिद्धार्थ नगर की पीएचसी भनवारपुर के डा. आशीष कुमार अग्रहरि भी शामिल हैं।

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