बांग्लादेशी सीमावर्ती क्षेत्रों में बांग्लादेशी आतंकी बना रहे है अपना नेटवर्क, हिंसा और क्षेत्र को अशांत बनाने की साजिश
नए साल में बांग्लादेशी सीमांत क्षेत्रों को दहलाने की थी साजिश , आतंक की ट्रेनिंग देने वाले को सात साल की मिली सजा

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा:
बंगाल और सीमांत के कम से कम सात जिलों में आतंकी नेटवर्क स्थापित करने का खतरनाक मंसूबा लेकर आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) सक्रिय हो गया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से जेएमबी बंगाल के कई गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को निशाना बना रहा है।इस माहौल का फायदा उठाते हुए आतंकवादी संगठन भारत के सीमावर्ती राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। भारत में भी आतंकी हमले की थी साजिश, पश्चिम बंगाल को दहलाना चाहता था बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसारुल्लाह पुलिस के बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों के तीन प्रमुख पर्यटन स्थलों पर आतंकी हमले की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। यह साजिश बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने रची थी।असम पुलिस की विशेष जांच टीम (एसटीएफ) ने इस साजिश का खुलासा करते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस को सूचना दी है। इसमें बताया है कि गिरफ्तार आतंकी सजीबुल इस्लाम से पूछताछ में इस योजना का पता चला। पुलिस के अनुसार, मुर्शिदाबाद के हजारद्वारी और मालदा के एक प्रमुख पर्यटन स्थल पर आत्मघाती हमले की योजना बनाई गई थी। आतंकी नए साल के मौके पर भीड़भाड़ वाले इलाकों में अधिक से अधिक तबाही मचाना चाहते थे। योजना के तहत सीमा पार कर बांग्लादेश भागने का प्लान भी बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक, इस साजिश की योजना पिछले अक्टूबर में बांग्लादेश के चांपाइन वाबगंज जिले के एक सीमावर्ती गांव में हुई थी। इस बैठक में संगठन प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी ने शामिल आतंकियों को जिम्मेदारियां सौंपी।सजीबुल इस्लाम : महिलाओं के बीच संगठन का विस्तार और पूर्वोत्तर भारत से फंड जुटाने का जिम्मा।अब्बास अली : आत्मघाती मॉड्यूल के लिए सदस्यों का चयन और आईएस से हथियार प्रशिक्षण का प्रबंधन।मोनिरुल शेख : धार्मिक शिक्षा के नाम पर युवाओं को बहला-फुसलाकर संगठन में शामिल करना।मुस्ताकिन : संगठन के स्थानीय नेटवर्क का प्रबंधन और सजीबुल की गैरमौजूदगी में संपर्क बनाए रखना। सजीबुल, अब्बास, मोनिरुल और मुस्ताकिन समेत कई आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने उनसे मिले दस्तावेजों और जानकारी के आधार पर राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों को सतर्क किया है। मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर और नदिया जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं। स्लीपर सेल की सक्रियता और असम में आतंकी गिरफ्तार: सूत्रों की मानें तो, बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल, असम, और त्रिपुरा में आतंकी संगठनों ने स्लीपर सेल को सक्रिय कर दिया है। हाल ही में असम एसटीएफ ने केरल से आठ आतंकियों को गिरफ्तार किया, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद साद सदी उर्फ मोहम्मद शाब शेख शामिल था। वह अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्ला बांग्ला संगठन का सदस्य है एक बांग्लादेशी नागरिक को केरल से और पांच अन्य को असम से गिरफ्तार किया गया।काम पर बांग्लादेशी हैंडलर: सरकार ने कहा कि योजना सिलीगुड़ी कॉरिडोर में स्लीपर सेल स्थापित करके और स्थानीय रंगरूटों को हथियार मुहैया कराकर विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने की थी।पश्चिम बंगाल पुलिस के अनुसार, बांग्लादेशी संचालक “सांप्रदायिक दरार और आर्थिक विषमताओं का उपयोग करके” युवाओं की भर्ती करने की कोशिश कर रहे थे।पुलिस के अनुसार, यह योजना भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा से संबद्ध अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य मोहम्मद फरहान इसराक की देखरेख में क्रियान्वित की जा रही थी।एक बांग्लादेशी नेटवर्क: योजना को अंजाम देने के लिए इसराक ने बांग्लादेश के राजशाही जिले के निवासी 32 वर्षीय बांग्लादेशी मोहम्मद सादरी उर्फ मोहम्मद शब शेख को भारत भेजा।पिछले महीने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से होते हुए रेडी भारत में घुस आया था। प्रतिबंधित एबीटी के स्लीपर-सेल कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए केरल जाने से पहले वह असम और पश्चिम बंगाल गया था।असम पुलिस ने एक बयान में कहा, “गिरफ्तार आरोपियों से जब्त किए गए तकनीकी साक्ष्यों सहित आपत्तिजनक दस्तावेज और मोबाइल फोन से पता चलता है कि पिछले कुछ महीनों में उनका सीमा पार बांग्लादेश और पाकिस्तान स्थित संस्थाओं के साथ लगातार संपर्क था। क्या इसमें डीप स्टेट का भी हाथ है?: भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस पूरी योजना में बांग्लादेश के किसी गहरे संगठन का हाथ होने का संदेह है, क्योंकि फरहान इसराक एबीटी प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी का करीबी सहयोगी है।नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद इस साल अगस्त में रहमानी को पैरोल पर जेल से रिहा कर दिया गया था। उन्हें नास्तिक ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या के आरोप में जेल भेजा गया था। स्लीपर सेल की मदद से भारत में जिहादी नेटवर्क स्थापित करने के रहमानी के पिछले प्रयासों का हवाला देते हुए उसकी रिहाई पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं जताई थीं।कश्मीर पर रहमानी: जेल से बाहर आने के तुरंत बाद रहमानी ने भारत के खिलाफ अपना हमला शुरू कर दिया और जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ से अलग करने की मांग की, जबकि बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही थी। एबीटी मॉड्यूल के भंडाफोड़ से पता चला कि रहमानी अपनी भारत विरोधी गतिविधियों को सिर्फ दुष्प्रचार तक सीमित नहीं रख रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह “शांति और सौहार्द को भंग करने के साथ-साथ जान-माल को नुकसान पहुंचाने” के लिए गुप्त अभियान की योजना बना रहा था।पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए एबीटी आतंकवादी भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बड़ी साजिश के तहत हथियार और गोलाबारूद की खरीद में सक्रिय रूप से शामिल थी।इस बात का पता लगाने के लिए आगे जांच जारी है कि क्या देश भर में आतंकवादी समूह के और भी मॉड्यूल फैले हुए हैं।पूर्वी भारत में स्थित एक शीर्ष भारतीय खुफिया अधिकारी ने कहा कि रहमानी एकमात्र भारत विरोधी तत्व नहीं है, जिसे बांग्लादेशी सरकार संरक्षण दे रही है।
उल्फा को पुनर्जीवित करने का प्रयास?: प्रतिबंधित उल्फा के उस समय बांग्लादेश में कई शिविर थे और उसके लगभग सभी शीर्ष नेता उसी देश में स्थित थे। पश्चिम बंगाल में आतंकी कनेक्शन और फर्जी दस्तावेज: गिरफ्तार आतंकी मोहम्मद शाब शेख का पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से कनेक्शन सामने आया है। वह हरिहरपारा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज है और उसके पास फर्जी आधार कार्ड भी है. जांच में पता चला कि वह 10 साल पहले बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आया और यहां अपने दस्तावेज बनवाकर ठिकाना बना लिया।अंसारुल्ला बांग्ला टीम का स्लीपर सेल नेटवर्क: पूछताछ में शाब शेख ने बताया कि उसे अंसारुल्ला बांग्ला टीम के शीर्ष नेता मोहम्मद फरहान इसराक जसीमुद्दीन ने स्लीपर सेल बनाने की जिम्मेदारी दी थी. उसका उद्देश्य आरएसएस और हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों को निशाना बनाना था. हालांकि, असम पुलिस और एसटीएफ ने ऑपरेशन प्रघात के तहत इस साजिश को नाकाम कर दिया। कश्मीर के आतंकी की गिरफ्तारी से बढ़ी चिंता: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के कैनिंग इलाके से तहरीक-ए-मुजाहिदीन के एक आतंकी जावेद मुंशी को गिरफ्तार किया. वह श्रीनगर के चानपुरा का निवासी है और बांग्लादेश भागने की कोशिश कर रहा था. पुलिस ने उसे ट्रांजिट रिमांड पर जम्मू-कश्मीर ले जाने की तैयारी की है। हथियार सप्लाई के मामले में गिरफ्तारी: मुर्शिदाबाद में जांच के दौरान पुलिस ने दो अन्य संदिग्धों अब्बास और मिनारुल को गिरफ्तार किया, जो आतंकियों को हथियार सप्लाई करते थे. इनकी गिरफ्तारी के बाद इलाके में बंदूकें भी बरामद की गई. बांग्लादेश में अशांति और भारत विरोधी गतिविधियों के चलते भारत के सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. यहीं नहीं, खुफिया एजेंसियां आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही हैं। इसी बीच बता दें कि पिटूं बांग्लादेश के पूर्व मंत्री रहे हैं और वह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य भी हैं। अब्दुस सलाम ने भारत के खिलाफ आतंकी हमले करने में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) की मदद की थी. उसे 2004 में प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।आतंकी हमलों में इस तरह निभाई थी अहम भूमिका: अब्दुस सलाम ने पाक अधिकृत कश्मीर में हुजी के हथियारों की खरीद, भर्ती और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहायता करके भारत में आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाई थी. उस पर हुजी को मदरसा छात्रों को आग्नेयास्त्रों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने और कश्मीर में आतंकवादियों के लिए धन और हथियार जुटाने में मदद करने का आरोप है. पाकिस्तान स्थित हूजी न केवल भारत में बल्कि बांग्लादेश, इजरायल, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका में भी एक घोषित आतंकवादी संगठन है। 2008 से जेल में बंद था अब्दुस: अब्दुस को उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया है. वह 2008 से जेल में बंद था. बता दें कि अब्दुस सलाम पिंटू ने बीएनपी के अन्य पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर के साथ मिलकर 2004 में हसीना की हत्या की असफल कोशिश की थी. लुत्फोज्जमान बाबर को पिछले हफ्ते बरी किया गया था. पिछले हफ्ते बाबर को 2004 के चटगांव हथियार बरामदगी मामले में पांच अन्य लोगों के साथ बरी कर दिया गया था। भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए गए हथियारों को हासिल करने में अब्दुस ने की थी मदद: रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 के ग्रेनेड हमले के मामले में जांच अधिकारी ने 2021में ढाका की एक अदालत को बताया कि प्रतिबंधित संगठन हूजी की मदद करने वाले अब्दुस सलाम पिंटू ने संगठन को भारत के ख़िलाफ इस्तेमाल के लिए हथियार हासिल करने में मदद की थी. अधिकतर आतंकवादी पीओके, बांग्लादेश से आए: 2011 में जांच अधिकारी ने अदालत को यह भी बताया था कि अब्दुस और बाबर ने कई युवाओं, मुख्य रूप से मदरसा छात्रों को फायरआर्म्स और बमों को चलाने का प्रशिक्षण दिया था. डेली स्टार ने 2021 में जांच अधिकारी के हवाले से बताया था, “उनके ज़्यादातर रिक्रूट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और बांग्लादेश से आए थे… उन्होंने भारत के कश्मीर में विद्रोहियों के लिए धन, हथियार और गोला-बारूद भी जुटाया था.” इतना ही नहीं दोनों मंत्रियों ने अब्दुस के भाई तज्जुदीन को पाकिस्तान भगाने में भी मदद की थी। भाजपा विधायक अग्निमित्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल विश्वभर के आतंकवादियों व उग्रवादियों का नया सुरक्षित ठिकाना बन गया है। यह बंगाल समेत पूरे देश के लिए चिंता करने का समय है। बंगाल अशांत बांग्लादेश या कश्मीर ना बने, इसके लिए यहां की जनता को संकल्प लेना होगा. राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को आडे़ हाथ लेते हुए भाजपा विधायक ने कहा कि ममता सरकार की तुष्टीकरण की नीति से एक वर्ग विशेष लोगों को अतिशय संरक्षण दिया जा रहा है, जिसका दुष्परिणाम जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश(जेएमबी) व अन्य आतंकी संगठनों के संदिग्धों की धरपकड़ के रूप में सामने आ रहा है. हाल में पूर्वोत्तर से लेकर कई राज्यों से जिन आतंकियों या संदिग्धों को दबोचा गया है। उनके फर्जी पहचान पत्र पश्चिम बंगाल के बने हुए पाये गये हैं। इससे पश्चिम बंगाल में स्थिति की गंभीरता का पता चलता है। आतंक की ट्रेनिंग देने वाले बांग्लादेशी आतंकी जहीदुल इस्लाम को 7 साल की सजा: बंगाल और असम के मुस्लिमों को आतंक की ट्रेनिंग देने वाले बांग्लादेशी आतंकी जहीदुल इस्लाम को 7 साल की सजा NIA की एक अदालत ने सुनाई है। आतंकी जहीदुल मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने का काम करता था। साथ ही उस पर 57,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जाहिदुल को जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का ‘अमीर’ कहा जाता है, जो भारत में आतंकी नेटवर्क का संचालन कर रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाहिदुल इस्लाम 2014 में अवैध रूप से भारत में घुसा था। वह 2005 में बांग्लादेश में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में पुलिस की हिरासत से भागने के बाद भारत आया। यहाँ उसने जेएमबी प्रमुख सलाउद्दीन सालेहिन के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के वर्धबान जिले में अक्टूबर 2014 में बम धमाके की साजिश रची। बर्दवान के खागरागढ़ इलाके में हुए इस विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति घायल हुआ था। विस्फोट के बाद जाहिदुल और उसके साथी बेंगलुरु भाग गए। बेंगलुरु में छिपते हुए जाहिदुल ने पश्चिम बंगाल और असम के मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाना शुरू किया। उसने उन्हें जेएमबी की भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। एनआईए की जाँच में सामने आया कि 2018 में बोधगया में हुए विस्फोट के पीछे भी जाहिदुल और उसके साथियों का हाथ था। यह विस्फोट बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की यात्रा के दौरान किया गया था, जिसे जेएमबी ने साजिश के तहत अंजाम दिया।जाहिदुल और उसके साथियों ने आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के मकसद से बेंगलुरु में चार डकैतियाँ भी कीं। इन डकैतियों से मिले धन का इस्तेमाल गोला-बारूद खरीदने, ठिकानों की व्यवस्था करने और आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने के लिए किया गया। एनआईए ने 2019 में इस मामले को अपने हाथ में लिया और आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। जाँच के दौरान एनआईए को जाहिदुल और उसके साथियों के ठिकानों से हथगोले, टाइमर डिवाइस, इलेक्ट्रिक सर्किट और आईईडी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक पदार्थ बरामद हुए। एनआईए ने इस मामले में 11 आरोपितों को दोषी ठहराया है, जिनमें से जाहिदुल को साजिश, डकैती, धन उगाही और गोला-बारूद की खरीद जैसे गंभीर आरोपों में दोषी पाया गया। एनआईए ने कहा कि जाहिदुल और उसका नेटवर्क भारत में जेएमबी के एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्रिय था। इस मामले से जुड़े, फरार जेएमबी प्रमुख सलाउद्दीन सालेहिन जैसे अन्य आतंकियों को पकड़ने की चुनौती अब भी बनी हुई है। यह घटना दिखाती है कि कैसे आतंकी संगठन भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं और उनके खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है।