सिलीगुड़ी को मिल रहा है 131 वर्ष बाद शिकागो की धर्म संसद जैसा माहौल

स्वामी विवेकानंद के स्थान पर वक्ता होंगे प्रबल सनातन संस्कृति संवाहक प्रखर गौतम खट्टर

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: भारत की अध्यात्मिक ताकत का लोहा पूरी दुनिया युगों-युगों से मानती रही है। देश के सुविख्यात ऋषियों, मुनियों और संतों ने अपने पुरुषार्थ से मां भारती के कण-कण को अभिसिंचित करके दुनिया में भारत की अमिट छाप छोड़ी है। यही वजह है कि भारत की अध्यात्मिक का गाथा और उसके हिंदुत्व की ज्वाला दुनिया को आज भी रौशन करती है। विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भाषण की चर्चा जरूर होती है। ये वो भाषण है जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया।
आज से 131साल पहले स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म संसद में दुनिया को भारत की ऐसी जादुई अध्यात्मिक ताकत से रूबरू कराया था, जिससे विश्व के ज्यादातर देश अनभिज्ञ और अंजान थे। भारत के इस महान भगवाधारी संत ने विश्व मंच पर अपने ओजस्वी भाषण से दुनिया के मानस पटल पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जिसने हर किसी को कायल बना दिया। स्वामी विवेकानंद के कहे एक-एक शब्द हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। यहां यह जानना जरूरी है कि इस विश्व मंच पर स्वामी विवेकानंद को बोलने के लिए मात्र 2 मिनट मिले थे। मगर इसी अल्प समय में उन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर विश्वगुरु के तौर पर स्थापित कर दिया। आज 131 साल बाद सिलीगुड़ी के पास फिर उस इतिहास को दोहराने का मौका आया है। क्योंकि 12 जनवरी को विश्व युवा संत स्वामी विवेकानंद जन्म जयंती के अवसर पर सर्व हिन्दी विकास मंच अग्रसेन रोड, खालपाड़ा द्वारा ” सनातन की चुनौतियां और भारत का भविष्य”हम जागेगें, देश जागेगा को अपनी धार देने आ रहे है मुख्य वक्ता श्री गौतम खट्टर (संस्थापक – सनातन महासंघ ) प्रबल सनातन संस्कृति संवाहक एवं प्रखर वक्ता सिलीगुड़ी आ रहे है। यह कार्यक्रम सेवक रोड स्थित उत्तरबंग मारवाड़ी सेवा पैलेस में शाम को आयोजित होगा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अध्यक्ष : करण सिंह जैन, संयोजक सीताराम डालमिया, सह संयोजक अतुल शर्मा, स्वागताध्यक्ष: निशीथ अग्रवाल, कार्यवाहक सचिव कल्याण साह , जनसंपर्क प्रमुख विनोद अग्रवाल (विन्नू) और बाब लाल नेमानी बनाए गए है। कार्यक्रम के संयोजक सीताराम डालमिया ने बताया कि सर्वें भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुख भाग्भवेत।। हिंदू धर्म को सनातन धर्म से अभिहित किया जाता है क्योंकि इसका प्रारंभ मानव सभ्यता के विकास के साथ हुआ। अति प्राचीन सभ्यताओं में सनातन धर्म के अस्तित्व के प्रमाण मौजूद हैं। सनातन धर्म की अनंत विशेषताओं ने विश्व को प्रभावित किया है। डालमिया ने कहा कि गौतम खट्टर का करना है कि हिंदुओं तुम्हें अब कौन बचाएगा ? अपनी रक्षा के लिए ही सही अपनी जेब में से कुछ अंश धर्म स्थापना के लिए निकालो ! आज यह पैसे बचा लिए तो कल कोई आकर ज़बरदस्ती इन्हें लूट जाएगा ! इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। हिस्सा लेना होगा। । उनका कहना है कि चरित्र निर्माण एवं सनातन धर्म की रक्षा को लेकर युवाओं के अलावा अन्य वर्गों का मार्गदर्शन करना होगा। सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम खट्टर मीडिया से रुबरु होकर समाज को बताएंगे कि कैसे समाज और संस्कृति को बचाना है। उनके द्वारा अभियान के तहत सभी राज्यों में पहुंचकर चरित्र निर्माण, वैदिक शिक्षा, सनातन धर्म व संस्कृति को लेकर सनातनियों में अलख जगाया जा रहा है। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर आघात करने के उद्देश्य से तलवार के जोर पर मतान्तरण करना, मठ मंदिरों, विश्वविद्यालयों, सभी प्रकार के सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों को तोड़ना, जलाना इत्यादि ऐसे जघन्य कार्य किए जिनसे हमारी एकता, सुरक्षा और संस्कार जुड़े थे। यहां के हिन्दू जो इन जुल्मों को सहन नहीं कर सके और न ही अत्याचारियों को सबक सिखा सके वे मुसलमान हो गए। इन मतान्तरित लोगों ने यहां की राष्ट्रीय संस्कृति से नाता तोड़कर हमलावरों का साथ देना शुरू कर दिया। यह सिलसिला आज भी चल रहा है। परिणामस्वरूप भारत के अनेक भूभाग भारत से कट गए। हिन्दुत्व की पकड़ ढीली होने से देश की अखंडता प्रभावित होती है। इसका अर्थ यही है कि जिस क्षेत्र में हिन्दू समाज विघटित एवं कमजोर होगा वहां अलगाववाद पनपेगा, फिर आतंकवाद शुरू होगा और वह क्षेत्र देश से कट जाएगा। यदि भारत के अतिप्राचीन मानचित्र को देखें तो इस समय आधे से ज्यादा भारत पर विधर्मियों का कब्जा है। केवल वर्तमान में ही झांका जाए तो स्पष्ट होगा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश हिन्दुत्व की पकड़ कमजोर होने का ही नतीजा हैं। आज की कश्मीर समस्या यही तो है। अत: भारत में व्याप्त सभी प्रकार की व्यथाओं/समस्याओं को जड़ मूल से समाप्त करने का एकमेव रास्ता यही है।

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