भारत बांग्लादेश बोर्डर पर तनाव उत्पन्न कराना चाहता है बांग्लादेश
बांग्लादेश की हरकत पर सीमांत के लोगों में बढ़ रहा है गुस्सा, हम बताएंगे क्या है बोर्डर की स्थिति

बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: 5 अगस्त के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पर फेंसिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।मालदा के वैष्णवनगर के सुकदेवपुर इलाके में फेंसिंग का काम रोकने की बांग्लादेश की कोशिशों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के टॉप डिप्लोमैट नूरल इस्लाम को तलब कर बॉर्डर की स्थिति पर नसीहत दी। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें बता दिया गया है कि ये नहीं चलेगा. हाल में सीमा पर कई घटनाएं हुई हैं. इसकी वजह से बीएसएफ और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के बीच तनातनी बढ़ी है। इसका सबसे ज्यादा असर बंगाल में पड़ने वाला है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के राजदूत को ऐसे मौके पर तलब किया जब एक दिन पहले ही बांग्लादेश ने हमारे राजदूत प्रणय वर्मा को बॉर्डर समस्या हल करने के लिए बुलाया था।बांग्लादेश आरोप लगा रहा है कि भारत बांग्लादेश की सीमा पर पांच जगहों पर बाड़ लगाने की कोशिश कर रहा है, जो द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। इससे क्षेत्र में अशांति पैदा हो रही है. हालांकि, प्रणय वर्मा ने बांग्लादेश के अफसरों को साफ-साफ बता दिया था कि सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाई जा रही है। इस बारे में दोनों देशों के बीच पहले से एग्रीमेंट है. बीएसएफ और बीजीबी इस बारे में लगातार संपर्क में रहते हैं। हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश के अधिकारी इसे समझ पाएंगे।बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को पड़ोसी देश के विदेश मंत्रालय द्वारा तलब किए जाने और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ‘‘गतिविधियों’’ पर अपनी ‘‘गहरी चिंता’’ व्यक्त करने के एक दिन बाद भारत ने यह कदम उठाया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि नूर-अल-इस्लाम को बताया गया कि भारत ने सीमा पर सुरक्षा उपायों के संबंध में दोनों सरकारों के बीच सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन किया है. भारत ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश द्वारा पूर्व में दोनों देशों के बीच बनी सभी सहमतियों को लागू किया जाएगा तथा सीमा के आर-पार अपराधों से निपटने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘भारत में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त नूर-अल-इस्लाम को विदेश मंत्रालय ने सोमवार अपराह्न दो बजे साउथ ब्लॉक में तलब किया।विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘यह बताया गया कि बाड़ लगाने सहित सीमा पर सुरक्षा उपायों के संबंध में भारत ने दोनों सरकारों और सीमा सुरक्षा बल और ‘बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश’ (बीजीबी) के बीच सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन किया है।बयान में कहा गया कि भारत ने सीमा पार आपराधिक गतिविधियों, तस्करी, अपराधियों की आवाजाही और मानव तस्करी की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करके अपराध मुक्त सीमा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘कंटीले तार लगाना, सीमा पर प्रकाश व्यवस्था, तकनीकी उपकरणों की स्थापना और मवेशियों के लिए बाड़ लगाना सीमा को सुरक्षित करने के उपाय हैं। बयान में कहा गया, ‘‘भारत ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश द्वारा पहले की सभी सहमतियों को लागू किया जाएगा और सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन ने बताया कि बीएसएफ द्वारा सीमा पर ‘‘अनधिकृत’’ बाड़ लगाने का कार्य ‘‘गहरी चिंता’’ का विषय है।अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं थीं. इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है।एक अलग घटनाक्रम में, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश को ‘‘एक साथ रहना है और एक दूसरे को समझना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश हमारे लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है…हम पड़ोसी हैं, हमें एक साथ रहना है. एक दूसरे को समझना होगा. किसी भी तरह की दुश्मनी एक दूसरे के हित में नहीं है। सेना प्रमुख ने यह टिप्पणी अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में की. जनरल द्विवेदी ने कहा कि बांग्लादेशी सेना के साथ भारत के रिश्ते कायम हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास स्थगित कर दिया गया था, लेकिन स्थिति में सुधार होने पर इसे आयोजित किया जाएगा।
क्या है बोर्डर की स्थिति: बांग्लादेश के साथ भारत की 4096.7 किलोमीटर लंबी सीमा पांच राज्यों से होकर गुजरती है। ये राज्य हैं पश्चिम बंगाल (2216.70KM), असम (263 KM), मेघालय (443 KM), त्रिपुरा (856 KM) और मिजोरम (318 KM)। ये पूरा इलाका मैदानी, नदी-तटीय, पहाड़ी/जंगल वाला है। यह इलाका घनी आबादी वाला है और कई इलाकों में सीमा के आखिरी इंच तक खेती की जाती है।अंग्रेजों और पाकिस्तान से विरासत में मिला सीमा-विवाद।भारत और बांग्लादेश को सीमा अंग्रेज और पाकिस्तानी विरासत में देकर गये। 1947 में भारत के विभाजन के बाद रेडक्लिफ़ रेखा भारत और पूर्वी पाकिस्तान के बीच की सीमा बन गई। 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद वही रेखा भारत और बांग्लादेश के बीच की रेखा बन गई। गौरतलब है कि भारत और तत्कालीन पाकिस्तान के बाद बॉर्डर बंटवारे का काम तुरंत शुरू हो गया था, लेकिन इसकी प्रगति धीमी रही. बॉर्डर सीमांकन में कई दिक्कतें थी।हालांकि इनमें से कुछ सीमा विवादों को 1958 के नेहरू-नून समझौते द्वारा हल करने की कोशिश की गई थी, लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच शत्रुता ने इस कार्य को अधूरा छोड़ दिया. ये विवाद आगे भी जारी रहा। इस वक्त भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का मुख्य कारण सीमाओं पर बाड़ेबंदी, सीमा पर मौजूद लोगों की बेरोक-टोक आवाजाही, मानव और पशु तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रग स्मगलिंग, नकली नोटों का कारोबार, आतंकवादी गतिवधियां और घुसपैठ है। स्मगलिंग, आतंकवाद और नकली नोटों के लेन-देन पर रोक लगाने के लिए भारत बांग्लादेश के साथ लगी अपनी सीमा को सील कर रहा है. इसके लिए बॉर्डर पर मजबूत बाड़ेबंदी की जा रही है। भारत ने 4096 में से 3271 किलोमीटर सीमा की बाडेबंदी कर दी है। अब लगभग 885 किलोमीटर खुली सीमा की बाड़ेबंदी बाकी है। बांग्लादेश इसी बचे इलाके बाड़ेबंदी करना चाह रहा है। लेकिन बांग्लादेश भारत की कोशिशों में अडंगा डालता रहता है। ताजा विवाद की वजह क्या है?:भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में एकदम ताजा तनाव इसी वजह से हैं। भारत चपैनवाबगंज, तीन बीघा कॉरिडोर, नौगांव के पटनीतला और लालमोनिरहाट में बॉर्डर पर फेंसिंग का काम कर रहा है. बांग्लादेश को लगता है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि भारत के लिहाज से देखें तो ये संवेदनशील इलाके हैं और भारत को यहां से घुसपैठ का अंदेशा रहता है।’जीरो लाइन के 150 गज के अंदर नहीं हो सकता है निर्माण’: वहीं बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल एमडी जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि भारत को बांग्लादेश-भारत सीमा पर जीरो लाइन के 150 गज के भीतर डिफेंस से जुड़ा कोई भी काम नहीं करने दिया जाएगा।उन्होंने कहा, “बांग्लादेश-भारत संयुक्त सीमा निर्देश-1975 के अनुसार, दोनों देशों की जीरो लाइन के 150 गज के भीतर रक्षा क्षमता बढ़ाने से जुड़े किसी भी काम को करने पर स्पष्ट प्रतिबंध है।जहांगीर आलम के अनुसार 2010 से 2023 के बीच भारत ने 160 स्थानों पर बाड़ का निर्माण किया, इससे तनाव बढ़े हैं. उन्होंने पूर्व की हसीना सरकार पर भारत को ढील देने का आरोप लगाया।बता दें कि भारत अपनी सभी सीमाओं की अभेद्य बना रहा है।इसमें कटीले तारों को लगाने के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और आधुनिक कैमरे लगाना शामिल है. भारत नदियों के कारण जिन जगहों पर बाड़ लगाने में मुश्किलें आ रही है वहां निगरानी के लिए हाई पावर कैमरे वाले विशेष उपकरण लगा रहा है। इस बीच,चपैनवाबगंज के शिबगंज उपजिला में चौका सीमा में सीमापर कंटीले तार की बाड़ लगाने को लेकर विवाद पैदा हुआ है. इस सीमा के 1,200 गज की दूरी पर कोई कांटेदार तार की बाड़ नहीं थी।गौरतलब है कि शेख हसीना राज में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध सामान्य थे. भारत बाड़ेबंदी का काम बांग्लादेश को विश्वास में लेकर कर रहा था. लेकिन शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार लगातार उकसावे वाली कार्रवाई कर रही है। दोनों देशों के बीच का टकराव इसी वजह से पैदा हुई है।क्या कहते हैं एक्सपर्ट?: दरअसल बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यूनुस सरकार ने भारत विरोधी तत्वों को हवा दी है और जेल में बंद कई भारत विरोधी तत्वों को बेल दी है. ये तत्व भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिश रच रहे हैं. लिहाजा भारत बॉर्डर पर घेराबंद कर रही है। रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी कहते हैं, “भारत में पहले से ही लाखों बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। लेकिन ढाका द्वारा आतंकवादियों और दोषी ठहराए गए इस्लामी कट्टरपंथियों की रिहाई के बाद भारत द्वारा बॉर्डर पर कंटीले तारों को लगाने की कोशिश को बांग्लादेश से कड़ा विरोध मिला है. बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड्स ने इसे रोकने की कोशिश की है।सीमा विवाद सुलझाने के अहम मोड़: भारत-बांग्लादेश बॉर्डर विवाद में तब एक बड़ा सकारात्मक मोड़ आया जब 2011 में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बांग्लादेश की गृहमंत्री सहरा खातून के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. इस समझौते को कोर्डिनेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट प्लान (सीबीएमपी) कहा जा रहा है. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी बांग्लादेश के दौरे पर गये। 2015 में शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ढाका पहुंचे. यहां दोनों नेताओं ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसे लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट( Land boundary agreement)कहते हैं। इस समझौते के तहत 111 सीमावर्ती एंक्लेव (अंदरूनी क्षेत्रों की जमीन) बांग्लादेश को मिले जबकि बदले में 51 एंक्लेव भारत का हिस्सा बने। साथ ही भारत के बाशिंदे भारतीय जमीन पर लौट आए और भारत ने 7,110 एकड़ भूमि का आधिपत्य भी पा लिया. इसी प्रकार भारतीय हिस्से के एंक्लेव्स में रह रहे बांग्लादेशी वहां चले गए और वहां मौजूद भारतीय एंक्लेव की भूमि जो 17,160 एकड़ है वह बांग्लादेश की हो गई।तब एक जनगणना में पता चला कि इन 162 (111+51) गांव में 51, 549 लोग रहते थे. भारत में मौजूद 111 एनक्लेव्स में करीब 37,334 लोगों का निवास है, जबकि 51 बांग्लादेशी गांवों की जनसंख्या 14,215 थी।