राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ महानंदा नदी पर भी नए ब्रिज की घोषणा क्यों नहीं?

अशोक झा, सिलीगुड़ी: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य के मंत्री दिलीप जायसवाल किशनगंज जिला से ही आते है। उन्हें जिला की समस्या की छोटी बड़ी हर समस्या की जानकारी है। उनके पहल पर एक बड़ी समस्या जिले में बहादुरगंज किशनगंज मार्ग था। उनकी पहल पर राष्ट्रीय राजमार्ग-27 और राष्ट्रीय राजमार्ग-327E को जोड़ने वाले एक स्पर के रूप में किशनगंज-बहादुरगंज खंड (लंबाई 24.849 किमी) के 4-लेन के निर्माण के लिए 1117.01 करोड़ रुपए की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है।यह परियोजना आर्थिक कॉरिडोर है जो पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (नया)/ राष्ट्रीय राजमार्ग-31 (पुराना) और राष्ट्रीय राजमार्ग-327E के बीच सीधी कनेक्टिविटी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह परियोजना विभिन्न शहरों से सिलीगुड़ी हवाई अड्डे (बागडोगरा) तक कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगी। इससे नोडल बिंदुओं के बीच की दूरी और यात्रा के समय में काफी कमी आने की भी उम्मीद है ताकि यात्रियों के लिए सबसे कुशल कनेक्टिविटी और सबसे नज़दीकी मार्ग प्रदान किया जा सकेगा। लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि जब केंद्रीय मंत्री से यह मार्ग की स्वीकृति दिलाई गई तो ठाकुरगंज पोठिया वासियों के लिए महानंदा पर नए ब्रिज का निर्माण क्यों नहीं? जबकि भारत सरकार का स्पष्ट कहना है कि विकास के मार्ग से धनराशि बाधा नहीं बन सकती? इसी प्रकार आस्था का केंद्र रहा ठाकुरगंज हर गौरी मंदिर को शिव मंदिर सर्किट में शामिल करवाना भी महत्वपूर्ण है। दिलीप जायसवाल स्वयं ही इस मंदिर और शिवमन्दिर की विशेषता को जानते है।