समुद्र मंथन से निकले थे 14 रत्न, महानंदा मंथन से निकलेंगे कितने विकास रूपी रत्न

अशोक झा, सिलीगुड़ी : दुर्वासा ऋषि के श्राप से श्रीहीन हो गया था संसार। उसे बचाने के लिए समुद्र मंथन किया गया था। उससे हालाहल, अमृत समेत 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। जिससे फिर संसार सफल संचालन की ओर बढ़ा। आज यही स्थिति बिहार के किशनगंज जिला के ठाकुरगंज प्रखंड की ही। जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले मार्ग के बीच बहता है महानंदा नदी। इसपर 1913 में अग्रेजों द्वारा ब्रिज का निर्माण कराया गया था। आज यह जर्जर अवस्था में है। लगातार लगने वाले जाम और बढ़ती वाहनों की भीड़ किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देता है। बढ़ती जनसंख्या को लेकर बाईपास रोड का निर्माण, ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा देना, सुरजापुरी बिरादरी को आरक्षण समेत कई मांगों पर काफी समय से शोर उठ रहा है। 21 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के लिए किशनगंज जिला के कटहलडांगी आ रहे है। आगमन को देखते हुए इलाके के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा जनहित के कार्यों को गति प्रदान करने तथा नए आधारभूत संरचनाओं के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपने का सिलसिला जारी है। प्रगति यात्रा पर ठाकुरगंज जनहित संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलेंगे। ठाकुरगंज की प्रमुख समस्या जर्जर महानन्दा ब्रिज का दोहरीकरण कर नया निर्माण, ठाकुरगंज नगर से सटा नया बायपास सड़क, ठाकुरगंज में नया आरओबी के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री से मिलकर मांग पत्र देंगे। इसमें मुख्य पार्षद सिकंदर पटेल, जिला पार्षद प्रतिनिधि अहमद हुसैन, राजेश करनानी, अधिवक्ता कौशल यादव, अरुण सिंह, पार्षद अमित सिन्हा, अतुल सिंह, प्रशांत पटेल, किशन बाबू पासवान जनश्रुति कुमार, अमरजीत पासी, खोखा सरकार आदि शामिल होंगे। सांसद डॉक्टर जावेद, विधायक, पूर्व विधायक मुजाहिद आलम, पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल, पूर्व विधायक सह मंत्री नौशाद आलम भी विकास की मांग मुख्यमंत्री से कर चुके है। पूर्व मंत्री नौशाद आलम ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ईमेल कर ठाकुरगंज में मक्का, अनानास और केला की खेती से संबंधित फूड प्रोसेसिंग प्लांट के स्थापना की मांग की है। कहा कि इस क्षेत्र में अस्सी फीसदी जनसंख्या कृषि कार्य पर निर्भर है और मक्का अनानास, केला आदि की खेती मुख्य फसल है फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना होने से यहां के कृषि कार्य से जुड़े कृषकों और मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगी। महानंदा नदी पर पुल निर्माण की मांग अत्यंत जरूरी है। यह सामरिक और आवागमन की दृष्टिकोण से बेहद जरूरी है। कहा कि एनएच 327 ई से मुंशीभिट्ठा होते हुए कटहलडांगी तक बायपास सड़क निर्माण सहित ठाकुरगंज बहादुरगंज को अनुमंडल का दर्जा देने तथा ठाकुरगंज बस पड़ाव के समीप आरओबी का निर्माण, सुखानी और उत्तर दुराघाटी के मध्य दोहनो नदी पर नवनिर्मित पुल निर्माण में दो अतिरिक्त स्पेन निर्माण, कहूभिट्ठा वाया पौआखाली डेरामारी रोड के चौड़ीकरण, गलगलिया चेकपोस्ट से मेंची नदी नेपाल बॉर्डर तक सड़क चौड़ीकरण, दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत लोहागाड़ा से कंचनबाड़ी आरडब्लू सड़क को पीडब्ल्यूडी सड़क में अधिग्रहण करने का कार्य, ठाकुरगंज में अल्पसंख्यक प्रशिक्षण महाविद्यालय खोले जाने की मांग की गई है। देखना होगा कि प्रगति यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधियों के महानंदा नदी के मंथन से कितने विकास रूपी रत्न निकाल पाते है। आपको बताते चले कि समुद्र मंथन की चर्चा इसलिए कि गई है क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार, जिस मंदार पर्वत (या मंदराचल) का उपयोग सागर मंथन के दौरान मथानी के रूप में किया गया था। वह आज के समय में बिहार राज्य के बांका जिले में स्थित है और इसे मंदार हिल के नाम से जाना जाता है। यह भागलपुर से लगभग 45 किमी दूर है। हालांकि यह स्थल हिंदू और जैन दोनों के लिए पवित्र है। हिंदू मान्यता के अनुसार, यह वही पर्वत है जिसे सागर मंथन में प्रयोग किया गया था तो जैन धर्म में इसे भगवान वासुपूज्य (12वें तीर्थंकर) से जोड़ा जाता है। मंदार पर्वत पर सर्प कुंड और अन्य प्राकृतिक चिह्न मौजूद हैं। जिन्हें सागर मंथन की घटनाओं से जोड़ा जाता है। यानी लक्ष्मी, रंभा यानी अप्सरा, हलाहल विष, वारुणी मदिरा, अमिय यानी अमृत, शंख (पांचजन्य) गजराज (ऐरावत), धन्वन्तरि (आयुर्वेद के जनक), धनु (विष्णु का सारंग धनुष) धेनु (कामधेनु गाय), मणि (कौस्तुभ मणि), चंद्रमा, वाजि यानी घोड़ा (उच्चैश्रवा) प्राप्त हुए थे।