विश्व की पहली महिला सेना नेताजी सुभाष ने बनाई थी

महिला सशक्तिकरण एवं स्त्री गाथा सत्र का राज्यपाल ने किया शुभारम्भ

*अन्तर्राष्ट्रीय सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन नारी शक्ति की दिखी ताकत*
*विशाल भारत संस्थान ने राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य को दिया मानवता के नायक की उपाधि*
*सुभाष का सपना तब साकार होगा जब हर नारी सुरक्षित और शक्तिशाली बनेगी*

*वाराणसी, 22 जनवरी।* नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर विशाल भारत संस्थान द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन महिला सशक्तिकरण एवं स्त्री गाथा सत्र का शुभारम्भ असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने लमही के सुभाष मन्दिर में पुष्प अर्पित कर एवं मशाल जलाकर किया।

असम के राज्यपाल जब सुभाष भवन पहुंचे तो सभागार में उपस्थित महिलाओं ने पुष्प वर्षा की और अपने बीच राज्यपाल को पाकर भाव विभोर हो उठीं। आजादी के समय नेताजी ने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा। यह सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं था बल्कि महिलाओं के लिए भी था। 1943 में स्थापित रानी झांसी रेजिमेंट नेताजी के समानता और देशभक्ति के विचारों का जीवंत प्रमाण थी। रानी झांसी रेजिमेंट ने यह संदेश दिया कि महिलाओं की भागीदारी भारत की आजादी में उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पुरुषों की। सुभाष ने भारतीय समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी भूमिका को बढ़ावा देने का जो काम किया इतिहास के लिये मील का पत्थर है। आज भी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सुभाष के विचार ही प्रासंगिक है।

बाल आजाद हिन्द बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी ने राज्यपाल को सलामी देकर सुभाष के इतिहास को जीवंत कर दिया। खचाखच भरे हाल में जब जय हिन्द, जय सुभाष के नारे गूंजे तो पूरा वातावरण सुभाष मय हो गया। नेताजी सुभाष का मानना था कि जब महिलाएं आजादी के लिए बंदूक उठा सकती हैं, तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी निडरता, साहस और शौर्य के द्वारा एक स्वस्थ समाज एवं मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकती हैं। अगर देश नेताजी सुभाष के विचारों पर चलता तो घरेलू हिंसा, यौन शोषण, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा जैसी बुराइयों पर भारतीय समाज में लगाम लग चुका होता।

विशाल भारत संस्थान द्वारा राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य को मानवता के नायक की उपाधि से विभूषित किया गया। महंत बालक दास ने शॉल ओढ़ाकर राज्यपाल का स्वागत किया, साथ ही नेहा सिंह एवं डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने संयुक्त रूप से लक्ष्मण आचार्य को सम्मान पत्र सौंपा।

मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को महान देशभक्त बताते हुए कहा कि नारी शक्ति को सशक्त बनाने का जो सपना उन्होंने देखा था आज वह पूरा हो रहा है। हमारा देश सदियों से जगतगुरु रहा है। हमारे समाज में अस्पृश्यता, स्त्री-पुरुष भेदभाव जैसी चीजें नहीं थी। यत्र नारयस्तु पूजयनते तत्र रमनते देवता, सर्वे भवन्तु सुखिनः, वसुधैव कुटुम्बकम जैसी विचारधारा को मानने वाला देश है। या देवी सर्व भूतेषु जैसी अवधारणा को मानने वाला देश रहा है। ज्ञान की देवी माँ सरस्वती, कामाख्या देवी, दुर्गा माता, भारत माता हमारी माँ हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हमेशा से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सेना में भर्ती, शिक्षा, संस्कार, आत्म निर्भरता के माध्यम से देश के लिये कार्य किया। तुलसी दास, लोकमान्य तिलक, स्वामी विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस, महात्मा गांधी ने देश की महिलाओं को शक्तिशाली बनाने के लिये कार्य किया। देश की आजादी में हमारे देश की महिलाओं ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिलाएं अपनी सोच, संस्कृति, आचरण, व्यवहार के द्वारा देश को संस्कारवान एवं सामर्थवान बना सकती हैं। मैं चाहता हूँ कि देश की महिलाएं माता जीजा बाई की तरह शिवाजी जैसे देशभक्त एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे वीर एवं पराक्रमी देशभक्त को पैदा करें।

अध्यक्षता कर रहीं न्यायाधीश नेहा सिंह ने कहा कि जब महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं, उस समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने उनपर भरोसा कर भारत को आजाद कराने का महत्वपूर्ण दायित्व दिया। हमारे देश की महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। महिलाएं जन्म से ही शक्तिशाली होती हैं। आवश्यकता इस बात की है कि महिलाएं अपनी शक्ति को पहचाने। विभिन्न प्रकार की शरीरिक, मानसिक, सामाजिक समस्याओं का सामना चुनौतीपूर्ण तरीके से कर रही हैं। महिलाओं के कार्य का क्षेत्र पुरुषों से कहीं अधिक बड़ा है। स्त्री और पुरुष में तुलना की कोई बात ही नहीं है। महिलाएं सृष्टि का निर्माण भी करती हैं और अपनी शिक्षा और संस्कारों से देश को मजबूत भी बनाती हैं।

विषय प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में महिलाओं को शक्तिशाली बनाने के लिये अगर किसी महापुरुष ने कार्य किया था, तो वो थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस। महिलाएं संस्कार में तो आगे थी हीं, लेकिन सैन्य ताकत के माध्यम से देशसेवा का जो कार्य महिलाओं ने किया वह देश के लिये एक अद्भुत मिशाल था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने लक्ष्मी बाई रेजीमेंट का गठन कर दुनियाँ की पहली महिला बटालियन का निर्माण किया। जिन हाथों से महिलाएं चूल्हा चौक करती थीं, देश की आजादी के लिये उन्हीं महिलाओं ने बन्दूक भी उठाई।

पातालपुरी मठ के महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि सुभाष का जीवन भारत को अध्यात्म के जरिये सशक्त बनाने का था। वो सन्यासी भी थे और योद्धा भी।

संचालन संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद डॉ० नजमा परवीन ने दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक शिशिर सिंह, डॉ० मृदुला जायसवाल, नाजनीन अंसारी, ज्ञान प्रकाश, नौशाद अहमद दूबे, कुंअर नसीम रजा सिकरवार, डॉ० कवीन्द्र नारायण, विवेकानन्द सिंह, अनन्त अग्रवाल, शंकर पाण्डेय, शिवशरण सिंह, सत्यम राय, डॉ० भोला शंकर, मयंक श्रीवास्तव, इली, खुशी, उजाला, सरोज देवी, गीता देवी, उर्मिला देवी, मैना देवी, किसुना देवी, रीना, मीरा देवी, शीला, नेहा देवी, शिमला देवी, देवपत्ती देवी, पुष्पा पटेल आदि सैकड़ों महिलाएं मौजूद रहीं।

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