जॉन बारला भाजपा का साधारण सदस्य भी नहीं: शुभेंदु अधिकारी

पूर्व केंद्रीय मंत्री कह सकते है पर भाजपा नेता नहीं,ऐसे लोग सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते है

 

– मनोज तिग्गा को हराने की कोशिश की पर नाकाम रहा, अब टीएमसी की शरण में

अशोक झा, सिलीगुड़ी: भाजपा सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला के सीएम ममता बनर्जी के कार्यक्रम में जाने और उनके टीएमसी में शामिल होने को लेकर भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से भाजपा नेता के टीएमसी में जाने को लेकर मीडिया में काफी चर्चा है। मेरा तो यह मानना है कि जॉन बारला भाजपा का साधारण सदस्य भी नहीं है। हां आदिवासियों के लिए काम करने वाले को पीएम मोदी ने योग्यता नहीं रहते हुए भी स्थान दिया। पांच वर्षों में क्षेत्र से अच्छी रिपोर्ट नहीं मिलने पर सांसद का टिकट नहीं दिया गया। लेकिन पद के बिना नहीं जी पाने वाले ऐसे नेता अब टीएमसी का दामन थामने वाले है। कल तक राज्य सरकार की उपेक्षा का सवाल उठाकर अलग राज्य की मांग कर रहे थे। क्या टीएमसी में शामिल होने पर उन्हें ममता बनर्जी अलग राज्य देगी यह बात वह लोगों को बताए। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा के मंत्री बाबुल सुप्रियो के साथ भी कुछ ऐसा ही था। पद नहीं मिलने से टीएमसी में चले गए। जॉन बारला तो मनोज तिग्गा को लोकसभा चुनाव में हराने की कोशिश की सफल नहीं हो सके। अप चुनाव में वे सफल हुए परन्तु क्षेत्र की जनता उन जैसा मौका परस्त को सबक जरूर सिखाएगी। बताते चले कि लोकसभा चुनाव 2024 में जॉन बारला की जगह मनोज ने तिग्गा को टिकट दे दिया गया था। जिसे लेकर पूर्व भाजपा सांसद ने सार्वजनिक तौर पर पार्टी के खिलाफ कई टिप्पणियां की। वहीं, उन्होंने उपचुनाव के लिए प्रचार भी नहीं किया। वह अपने घटते महत्व को स्वीकार नहीं कर सका, इसलिए तृणमूल कांग्रेस की ओर कदम बढ़ाया है। पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट नहीं दिए जाने के बाद से बारला अलग-थलग हैं। अलीपुरद्वार के ‘सुभाषिनी टी एस्टेट’ मैदान में तृणमूल अध्यक्ष की बैठक में शामिल हुए थे। बारला ने इससे पहले भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार जैसे राज्य के नेताओं के साथ सुलह की चर्चाओं को खारिज कर दिया था। बारला 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी की गतिविधियों में भाग नहीं ले रहे थे। जिसके बाद बारला से मिलने के लिए मजूमदार उनके आवास पर गए थे।भाजपा उम्मीदवार के रूप में बारला ने अलीपुरद्वार से 2019 के आम चुनावों में तृणमूल के दशरथ टिर्की को हराया था और उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था। उन्होंने उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाकर बंगाल के बंटवारे की वकालत की थी। उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद बारला ने यह भी कहा था कि ”अगर मैं (अलीपुरद्वार से) सांसद होता तो भाजपा विधानसभा सीट नहीं हारती।पार्टी से हो गए थे नाराज: 2019 में लोकसभा सीट जीतने वाले बारला उस समय नाराज हो गए थे, जब पार्टी ने 2024 के चुनावों में अलीपुरद्वार से टिकट नहीं दिया। उनकी जगह मनोज तिग्गा को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था, इस चुनाव में तिग्गा को ​जीत मिली। इसके बाद से बारला ने बीजेपी से दूरी बनाना शुरू कर दी। बारला जलपाईगुड़ी जिले के बानरहाट ब्लॉक के लखीपारा चाय बागान से आते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने डुआर्स में आदिवासी आबादी को धोखा दिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा नागराकाटा विधानसभा क्षेत्र (उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र) में 45,000 वोटों से आगे थी, जबकि 2024 में यह टीएमसी से लगभग 3,500 वोटों से पीछे थी। यह दर्शाता है कि आदिवासी लोगों ने भाजपा का समर्थन करना बंद कर दिया है।

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