अशोक झा/ कोलकाता: ममता के बयानों पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ममता बनर्जी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव आयोग से इस मामले का तुरंत संज्ञान लेने और संवैधानिक अधिकारियों को धमकाने के लिए ममता बनर्जी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करने का आग्रह करता हूं।’ अधिकारी ने CEO को उनके कार्यालय और आवास पर केंद्रीय सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की है। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय और प्रदेश अध्यक्ष समीक भट्टाचार्य ने भी कहा कि ममता बनर्जी डर के कारण ऐसे बयान दे रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल पर निर्लज्ज हमला किया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास है।
अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह बयान किसी राजनीतिक रैली में नहीं, बल्कि राज्य सचिवालय नवान्न में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मुख्य सचिव की उपस्थिति में दिया। उन्होंने सीईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए “मैं आशा करती हूं कि वे अधिक प्रतिक्रिया न दें या आक्रामक न हों” जैसी टिप्पणियां कीं, जो अनुसार एक संवैधानिक पदाधिकारी को डराने-धमकाने का प्रयास है।शुभेंदु अधिकारी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के खिलाफ खुले तौर पर लगाए गए आरोप और अप्रत्यक्ष धमकियां न केवल असंवैधानिक हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली की पवित्रता पर सीधा प्रहार हैं। “उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री ने चुनावी प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों को धमकाया हो। 28 जुलाई 2025 को बीरभूम जिले के बोलपुर में आयोजित एक प्रशासनिक बैठक के दौरान भी ममता बनर्जी ने बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को यह चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने मतदाता सूची से किसी का नाम हटाने की कोशिश की, तो उन्हें “परिणाम भुगतने होंगे”। अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि चुनाव के बाद चुनाव आयोग का अधिकार खत्म हो जाएगा, जिससे बीएलओ पर दबाव बनाने का प्रयास स्पष्ट था। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की निष्क्रियता ने मुख्यमंत्री को और अधिक साहसी बना दिया है, जिसके चलते अब उन्होंने एक संवैधानिक अधिकारी पर सीधे हमले की हद तक जाने की हिम्मत की है।
अधिकारी ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि हाल ही में एक अनुसूचित जनजाति समुदाय के सांसद पर दिनदहाड़े हमला किया गया, जबकि वह बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांट रहे थे। अधिकारी ने कहा, “जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं है, तो सीईओ की सुरक्षा पर गंभीर खतरा है, जिन पर स्वयं मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से धमकी दी है।” शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग से ममता बनर्जी के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग की, ताकि यह संदेश जाए कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह मुख्यमंत्री ही क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने सीईओ के कार्यालय और आवास पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की भी मांग की, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
क्या कहा है ममता बनर्जी ने : ममता ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि इसके नाम पर “लोकतंत्र से विश्वासघात” किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने आगे राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ मनोज अग्रवाल) पर भी बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य के सीईओ पर कई आरोप हैं। समय आने पर सब बताऊंगी। वह खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जब अभी तक चुनाव की घोषणा ही नहीं हुई, तो आयोग किस आधार पर जिलों में जाकर बैठक कर रहा है? उन्होंने खुद ही जवाब देते हुए दावा किया कि एसआईआर के नाम पर एनआरसी लागू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा एसआईआर के नाम पर आग से खेल रही है। वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ लोकतंत्र के साथ विश्वासघात के समान होगा। मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया की देखरेख कर रहे एक अधिकारी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं और भ्रष्ट अफसरों की नियुक्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अधिकारी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है। मेरे पास प्रमाण हैं कि वोट काटने की साजिश चल रही है। उम्मीद है कि वह देश और लोकतंत्र के साथ विश्वासघात नहीं करेगा। ममता बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया का इस्तेमाल “एनआरसी जैसी कवायद” के रूप में किया जा रहा है। यह एसआईआर असल में एनआरसी जैसी प्रक्रिया है जिसे बंगाल में लागू करने की कोशिश हो रही है। निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा एसआईआर के नाम पर आग से खेल रही है। वे हर एजेंसी का इस्तेमाल राजनीति के लिए कर रहे हैं, न कि जनसेवा के लिए। शिक्षा से लेकर संस्कृति और त्योहारों तक सब कुछ साम्प्रदायिक बनाया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के उस कथन पर भी सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि एसआईआर के बाद 1.5 करोड़ मतदाताओं को हटाया जाएगा। बनर्जी ने कहा, “कैसे कोई केंद्रीय मंत्री कह सकता है कि 1.5 करोड़ वोटर डिलीट कर दिए जाएंगे? क्या ये फैसले पार्टी दफ्तर में हो रहे हैं? चुनाव आयोग को तय करना चाहिए कि वह निष्पक्ष है या नहीं।”
चुनाव आयोग को शुभेंदु अधिकारी ने लिखी चिट्ठी, कारवाई की मांग
सीएम ममता ने राज्य चुनाव आयुक्त मनोज अग्रवाल पर लगाए गंभीर आरोप
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