अशोक झा/ कोलकाता: बंगाल के दुर्गापुर में मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा से रेप का मामला सामने आया है. यह घटना लोगों को हिला देने वाली है क्योंकि मेडिकल कॉलेज जैसी जगह को सुरक्षित माना जाता है। इस घटना ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. इस घटना से जहां लोग गुस्से में भड़क रहे हैं, वहीं राज्य की राजनीति में भूचाल आया हुआ है. इस घटना से राज्य की सीएम ममता बनर्जी के माथे पर भी शिकन हैं, जिन्हें अगले साल असेंबली चुनाव में उतरना है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दुर्गापुर में मेडिकल छात्रा से रेप के बाद ममता बनर्जी का गढ़ कितना सुरक्षित रह गया है।छात्रा के पिता ने बताया कि रात करीब 10 बजे उनकी बेटी की सहेली ने फोन कर उन्हें घटना की जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘मेरी बेटी पढ़ाई के लिए दुर्गापुर में रहती है. शुक्रवार रात उसकी एक सहपाठी उसे खाने के बहाने बाहर ले गई, लेकिन जब दो-तीन लोग वहां पहुंचे तो वह सहेली उसे छोड़कर भाग गई. उन लोगों ने मेरी बेटी के साथ बलात्कार किया.’
पीड़िता के पिता ने कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया कहा कि सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह नाकाम है. उन्होंने कहा, ‘इतनी गंभीर घटना के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. कॉलेज परिसर से बाहर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।
पीड़िता की मां ने लगाई न्याय की गुहार: छात्रा की मां ने भी पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि बेटी अपने दोस्त के साथ सिर्फ डिनर के लिए गई थी, लेकिन देर रात उसे गंभीर हालत में पाया गया. माता-पिता को घटना की जानकारी मिलने के बाद वे शनिवार सुबह दुर्गापुर पहुंचे पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।दुर्गापुर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि छात्रा के परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है सभी पहलुओं से जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि एक सहयोगी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। घटना से विपक्ष को मिल गया मौका: बताते चलें कि यह पहली बार नहीं है जब बंगाल में ऐसा बड़ा मामला सामने आया हो. कुछ समय पहले कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना हुई थी. उस मामले को लेकर भी राज्यभर में प्रदर्शन हुए थे. अब दुर्गापुर की घटना ने लोगों की यादें ताजा कर दी हैं. इससे यह सवाल और गहराया है कि क्या राज्य सरकार इन घटनाओं से कोई सबक ले रही है? ममता सरकार पर विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ चुकी है. खासकर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने तो उस पर धावा ही बोल दिया है. बीजेपी का आरोप है कि बंगाल अब अपराधियों की शरणस्थली बन गया है. वह यह भी कह रही है कि सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश करती है और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लापरवाह है. इससे जनता के बीच ममता सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है। दीदी से टूट रहा जनता का भरोसा!
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है. उसने इस मामले को राजनीति से जोड़ने से इनकार किया है. पार्टी का कहना है कि अपराधी कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा. सरकार का कहना है कि पुलिस जांच कर रही है और पीड़िता को न्याय दिलाया जाएगा. लेकिन जनता को यह भरोसा तभी होगा जब सरकार तेज़ और पारदर्शी कार्रवाई करेगी.
ऐसा नहीं है कि इस आंच को ममता बनर्जी महसूस नहीं कर रही हैं. वे अच्छी तरह जानती हैं कि राज्य की चुनावी राजनीति में महिलाओं की भूमिका खासी अहम है और उनके सपोर्ट के बिना कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती. इसलिए ममता बनर्जी की सरकार ने ‘कन्याश्री’ और ‘लक्ष्मी भंडार’ जैसी योजनाओं से महिलाओं के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की थी. जिसके बाद महिलाओं ने भी उन्हें ‘दीदी’ मानकर वोटों के रूप में खूब दुलार लुटाया था.
युवाओं में लगातार बढ़ रही नाराजगी
हालांकि जब महिलाओं से जुड़े अपराध उनकी इन योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं. महिलाओं के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या ये योजनाएं ही काफी हैं, अगर उनकी सुरक्षा नहीं हो रही? इस भरोसे में दरार पड़ना टीएमसी के लिए खतरे की बात है. चूंकि यह घटना मेडिकल कॉलेज की छात्रा से जुड़ी है, इसलिए युवाओं में गुस्सा भी ज़्यादा छलक रहा है. उन्हें लगता है कि अगर कॉलेज जैसी जगहें सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जगहों पर क्या हाल होगा? युवा वर्ग हमेशा बदलाव की ताकत होता है, इसलिए अगर वह सरकार से नाराज़ होता है, तो यह चुनावों में असर डाल सकता है।वहीं मौका देखते हुए बीजेपी इस घटना को बड़ा मुद्दा बना रही है. पार्टी कह रही है कि ममता सरकार महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम रही है, इसलिए उसे आने वाले चुनाव में सत्ता से विदा कर देना चाहिए. बीजेपी चाहती है कि कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा का मुद्दा विधानसभा चुनावों में केंद्र में रहे. अगर लोगों को लगे कि सरकार लापरवाह है, तो बीजेपी को इसका राजनीतिक फायदा हो सकता है.
ममता के लिए करो या मरो वाली स्थिति
ममता बनर्जी के लिए यह रेप केस एक गंभीर चुनौती लेकर आया है. अगर उन्होंने इस मामले में सख्त कदम नहीं उठाए, तो जनता का भरोसा टूट सकता है. लेकिन अगर वे तुरंत कार्रवाई करती हैं, दोषियों को सज़ा दिलाती हैं और महिला सुरक्षा के नए उपाय लागू करती हैं तो यह संकट को अवसर में बदल सकती हैं. उनकी छवि फिर से ‘मजबूत दीदी’ वाली बन सकती है.
वहीं राजनीतिक एक्सपर्टों की बात करें तो उनका कहना है कि यह मुद्दा 2026 के विधानसभा चुनाव में असर जरूर डालेगा. इस घटना से शहरी इलाकों, कॉलेजों और मध्यम वर्ग के बीच सरकार की छवि कमजोर हो सकती है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में टीएमसी की पकड़ अब भी मजबूत है, इसलिए नुकसान सीमित भी रह सकता है. फिर भी, विपक्ष को यह मौका मिल गया है कि वह सरकार की नाकामियों पर खुलकर बात करे. कुल मिलाकर ममता बनर्जी के लिए यह करो या मरो वाली स्थिति है. अगर वे अब ढीली पड़ गईं तो उनके नाम से पहले पूर्व सीएम का तमगा भी लग सकता है।पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर गैंपरेप मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को लेकर लेटर लिखकर सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी, निष्पक्ष जांच और पीड़िता को जरूरी मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सहायता देने की मांग की है।
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