
अशोक झा/ सिलीगुड़ी: धनतेरस दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन सोना, चांदी, बर्तन और नई वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा करने से घर में साल भर बरकत, सुख और समृद्धि बनी रहती है।धनतेरस का पर्व भारतीय परंपरा में समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसी को देखते हुए एनएस ज्वेलर्स सेवक रोड सिलीगुड़ी ने भी दूसरे वर्ष परंपरागत ओर आधुनिक गहनों की अनगिनत वेराइटी लेकर आया है। सेवक रोड Ns jewellers siliguri में इस साल आपके खजाने को भरने का भरोसा दे रहा है। यहां सभी प्रकार की परंपरागत गहने मिल रहे है। सिलीगुड़ी NS ज्वेलर्स के पास ज्वेलरी दुकानों में सोने के कंगन, हार, चैन, झुमका, अंगूठी सहित विभिन्न प्रकार के आभूषण लेने लोग पहुंच रहे हैं। इसी तरह चांदी की पायल, बिछिया, गणेश लक्ष्मी प्रतिमा सहित अन्य आभूषण दुकानों में उपलब्ध हैं। सोने में हार, झुमका, कंगन, रिंग, टाप्स, लटकन, रानी हार, सूंता, कटवा, कर्णफूल, फूलसंकरी, देवरहा अंगूठी, लक्ष्मी गणेश प्रतिमा, श्रीयंत्र, पायल, करधन, प्रतिमा, आक्सोडाइज ज्वेलरी सहित अन्य वेरायटी हालमार्क के साथ उपलब्ध है।इसके अलावा चांदी में लक्ष्मी गणेश प्रतिमा, सिंहासन, आड़ता, थाली, कलश, नारियल, श्रीयंत्र, जग सेट, डिनर सेट, आइसक्रीम बाक्स, इक्लियर मूर्ति सहित अन्य सभी वेरायटी के जेवरों की मांग के अनुसार तैयार है। आज के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एनएस ज्वेलर्स की ओर से पिछले साल ही एक वर्ष में पूरे देश में सबसे आधुनिक डिजाइन के लिए पुरस्कार किया था। सोना, चांदी, बर्तन और धातुओं की खरीद शुभ मानी जाती है। जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आता है, देशभर के बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। धनतेरस भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर को समर्पित पर्व है। 2025 पर महालक्ष्मी पूजन से 7 दिन पहले खरीदी का महा मुहूर्त पुष्य नक्षत्र 14 एवं 15 अक्टूबर को 24 घंटे 6 मिनट का है। खरीदी के इस महा मुहूर्त पर सिद्ध और साध्य योग रहेगा। इस दौरान सोना-चांदी, भूमि-भवन, वाहन के साथ ही अन्य चल-अचल संपत्ति कल्याणकारी रहेगी। इस अवसर पर शहर के नए-पुराने बाजारों में खरीदार उमड़ेंगे।
इस योग में खरीदारी और नई शुरुआत करना शुभ माना जाता है। हर साल दीपावली से करीब 7 दिन पहले पुष्य नक्षत्र आता है। इसी दिन से दीपावली की खरीदारी भी शुरू हो जाती है और कोई नया काम या बिजनेस भी शुरू किया जा सकता है। पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर को दोपहर 11:54 से 15 अक्टूबर को दोपहर 11:59 बजे तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा।पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। वे अमृत से भरा कलश लेकर आए थे। इसलिए इस दिन धातु के बर्तन या सोना खरीदना अमृत और आरोग्य का प्रतीक माना गया। यही वजह है कि लोग इस दिन नई चीजें खरीदकर घर में शुभता का आगमन मानते हैं।
धनतेरस पर बर्तन खरीदना शुभ क्यों माना जाता है।
बर्तन और सोने की खरीद का व्यावहारिक पहलू
पुराने समय में लोग त्योहारों से पहले अपने घर की सफाई, मरम्मत और नवीनीकरण करते थे। धनतेरस के दिन खरीदे गए बर्तन और आभूषण न केवल परंपरा का हिस्सा थे, बल्कि नए आरंभ और समृद्धि के प्रतीक भी थे। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें पूरे वर्ष शुभ फल देती हैं।
ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
त्रयोदशी तिथि को “धनत्रयोदशी” कहा जाता है। यह दिन धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य का संकेत देता है। सोना खरीदना लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का प्रतीक है, जबकि चांदी मानसिक शांति लाने वाली मानी जाती है। वहीं बर्तन घर की समृद्धि और भोजन की स्थिरता का प्रतीक हैं।
आधुनिक दौर की नई परंपराएं:समय के साथ धनतेरस की खरीदारी का तरीका बदला है। अब लोग डिजिटल गोल्ड, ऑनलाइन ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और वाहन खरीदना भी शुभ मानते हैं। भले ही रूप बदला हो, पर इसके पीछे की भावना आज भी वही है समृद्धि और सकारात्मक शुरुआत।
धनतेरस: धन ही नहीं, स्वास्थ्य और संतुलन का संदेश
धनतेरस पर खरीदी गई वस्तु केवल धन-संपत्ति का प्रतीक नहीं होती, बल्कि यह एक सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का संकेत भी होती है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली “धन” केवल पैसा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, खुशहाली और परिवार की एकता भी है।







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