यूपी में गन्ना किसानों के लिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कन्ट्रोल रूम चालू, कोई भी दिक्कत मिलाए टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203

टॉल फ्री कन्ट्रोल रूम को एन कम्प्यूटिंग, इ.पी.बी.एक्स. इन्टरकॉम एवं वेब बेस्ड सॉफ्टवेयर जैसी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया

 

लखनऊ:

प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राजय और भूसरेड्डी ने विदेश यात्रा से लौटते ही प्रदेश के गन्ना किसानों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित टोल-फ्री कन्ट्रोल रूम समर्पित किया है। ज्ञातव्य है गन्ना किसानों की जिज्ञासाओं के जरि एवं प्रभावी समाधान हेतु गन्ना विकास विभाग के मुख्यालय पर कन्ट्रोल रूम (टोल-फ्री) की स्थापना की गयी है। टोल फ्री कॉल सेन्टर के कार्मिकों द्वारा किये जा रहे कार्यों में प्रगति लाने एवं जिज्ञासाओं एवं सुझावों का गुणवत्तापरक समाधान कराने के दृष्टिगत कन्ट्रोल रूम को एन कम्प्यूटिंग सिस्टम, इ.पी.बी. एल्स इन्टरकाम एवं वेब बेस्ट सॉफ्टवेयर जैसी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया है। जिससे टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर अनुभवी एवं दक्ष कार्मिकों द्वारा गन्ना किसानों को 24 घण्टे अनवरत सहायता प्रदान की जायेगी।

टोल-फ्री कॉल सेन्टर की कार्य प्रणाली के सम्ब में विस्तृत जानकारी देते हुए श्री मुरारेड्डी ने बताया कि टोलको कन्ट्रोल रूम के कार्मिकों की कार्यप्रणाली को और सुक किये जाने के दृष्टिमत कन्ट्रोल रूम को उच्च तकनीकी सुविधाओं से जोड़ा गया है जिसके फलस्वरूप कन्ट्रोल रूम कार्मिकों द्वारा 24X7 गन्ना किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान और गुणवत्तापूर्ण तरीक से किया जा सकेगा। कन्ट्रोल रूम ने टोल फ्री नम्बर पर कॉल करने वाले गन्ना किसानों को कोई असुविधा न हो इस हेतु कन्ट्रोल रूम कार्मिकों के अवकाश के अवधि में कार्य करने के लिए दक्ष एवं अनुभवी कार्मिकों की बैकअप टीम का गठन भी किया गया है।

उन्होंने बताया कि कृषक गन्ने की खेती से जुड़ी विभिन्न समस्याओं हेतु विभागीय टोल फ्री नंबर 1800-121-3203 पर एवं सर्व, सट्टा, कैलेंडर पर्ची एवं गन्ने की खेती से जुड़ी नवीनतम जानकारियों आदि से सम्बन्धित जानकारी अथवा सुझावों हेतु कॉल कर समाधान प सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कन्ट्रोल रूम में तैनात कार्मिकों के कार्यों की गुणवत्ता के अनुश्रवण एवं औषक निरीक्षण हेतु विभागीय नोडल अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन कन्ट्रोल रूम का निरीक्षण घर कार्मिकों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किये जायेंगे। इन तकनीकी व्यवस्थाओं से किसानों को दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी और उनके आने जाने में लगने बाले समय एवं पैसे की बचत होगी तथा उन्हें समस्त सूचनायें घर बैठे सुगमतापूर्वक प्राप्त हो सकेंगी।

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