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    Home » नारों की राजनीति” और तमाशे का खतरा, कभी भी धर्म नहीं दिखाता एक दूसरे से लड़ना

    नारों की राजनीति” और तमाशे का खतरा, कभी भी धर्म नहीं दिखाता एक दूसरे से लड़ना

    संत कबीर को पढ़ने वाले जान सकते है कि क्यों हिन्दू मुस्लिम में भेद नहीं
    Roaming ExpressBy Roaming ExpressOctober 14, 2025 राजनीति

     

    अशोक झा/ सिलीगुड़ी: समानता, सहयोग, भाईचारा, समर्पण, त्याग, संतोष तथा क्षमा और बलिदान जैसी विशेषताओं का पाठ पढाने वाले इस्लाम धर्म का लगता है कुछ धुर इस्लाम विरोधी विचारधारा रखने वालों ने संभवत: किसी बड़ी इस्लाम विरोधी साजिश के तहत अपहरण कर लिया है।हाल ही में हुए “आई लव मोहम्मद” विवाद ने एक बार फिर हज़ारों लोगों को भारत की सड़कों पर ला खड़ा किया है और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नारे लगाए जा रहे हैं, यातायात बाधित किया जा रहा है और समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है। लेकिन सामूहिक आक्रोश के इस दौर में, हमें रुककर खुद से एक अहम सवाल पूछना चाहिए: क्या पैगंबर मुहम्मद यही चाहते थे? क्या उन्होंने हमें इसी तरह प्रतिक्रिया देना सिखाया था? कबीर दास एक ऐसे संत थे, जिन्हें हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों ही बेहद मानते थे। उनकी बताई राहों में आज भी कई लोग चलते हैं। हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्म की प्रभु प्रेमी आत्माएं विभिन्न प्रकार की मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का पालन करती हैं। हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के अनुसार वह जिस भगवान, अल्लाह की पूजा करते हैं वह ही श्रेष्ठ, सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर वास्तव में सर्वोच्च ईश्वर हैं, जो एक संत के रूप में प्रकट हुए, वे धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे। कबीर हिंदू और मुसलमान दोनों को कहते थे कि तुम सब मेरी संतान हो। कबीर ने अपने दोहों में बताया है कि नबी मुहम्मद की आत्मा शिव (तमगुण) देवता के (शंकर द्वीप) लोक से आयी थी। भक्ति में ध्यान अधिक रहता था। जब उनको काल के भेजे फरिस्ते जबरील ने काल ब्रह्म वाला ज्ञान डरा-धमकाकर बताया जो हजरत मुहम्मद ने जनता तक पहुँचाया। वह अधूरा तथा काल जाल में फँसाए रखने वाला ज्ञान है। जब मैंने (कबीर खुदा ने) देखा कि नेक आत्मा मुहम्मद काल के जाल में फँस गए हैं, तब उसे मिला। यथार्थ ज्ञान समझाया। उनके आग्रह पर उनको ऊपर अपने लोक में जहाँ मेरा (तख्त) सिंहासन है, लेकर गया। उसका शंकर द्वीप भी दिखाया जहाँ से वह पृथ्वी पर आया था। परंतु मुहम्मद ने सतलोक में रहने की इच्छा व्यक्त नहीं की। इसलिए वापिस शरीर में छोड़ दिया। फिर भी मुहम्मद की
    समय-समय पर गुप्त मदद करता रहा। वाणी (मुहम्मद बोध से):ऐसा ज्ञान मुहम्मद पीरं, मारी गऊ शब्द के तीरं।
    शब्दै फिर जिवाई, जिन गोसत नहीं भख्या।
    हंसा राख्या ऐसे पीर मुहम्मद भाई।। आध्यात्मिक भक्ति को किसी विशेष संप्रदाय, मौलवी या राजनीतिक गुट की अनन्य संपत्ति के रूप में दावा किया जाता है तो यह कैसे विकृत हो जाती है। भक्ति का राजनीतिकरण करने से हिंसा, दमन और सांप्रदायिक प्रतिक्रियाएँ जन्म लेती हैं। जब प्रेम के नारे सड़क पर लामबंदी और टकराव में बदल जाते हैं, तो वे आध्यात्मिकता से हटकर पहचान की राजनीति बन जाते हैं। नारे विशेष रूप से “आई लव मुहम्मद” जैसे छोटे, भावनात्मक रूप से शक्तिशाली नारे राजनीतिक रूप से उपयोगी होते हैं।वे पहचान को एक ही नारे में संघनित करते हैं और लोगों को जल्दी से लामबंद कर सकते हैं। लेकिन नारे दोधारी तलवार होते हैं: वे एकजुट कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पहचान-दावों में भी हथियार बनाया जा सकता है जो सार्वजनिक मान्यता की मांग करते हैं। ऐसे माहौल में जहाँ ऑनलाइन लोकप्रियता (विरैलिटी) और ऑफ़लाइन लामबंदी एक दूसरे को पोषित करते हैं, एक नारा घंटों में भक्ति से राजनीतिक में अपना स्वरूप बदल सकता है। पैगंबर मुहम्मद ने अल्लाह की एकता, मूर्तिपूजा का त्याग करने, सच बोलने, वादे निभाने, और पड़ोसियों के प्रति दयालु होने की शिक्षा दी। उन्होंने क्षमा, धैर्य, और करुणा जैसे गुणों पर भी जोर दिया, साथ ही पर्यावरण की देखभाल और संसाधनों का सम्मान करने का महत्व भी समझाया। उनकी शिक्षाएँ इस्लामी नैतिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो दया, न्याय, और ईमानदारी जैसे मूल्यों पर आधारित हैं।ईमानदारी और सच्चाई:पैगंबर मुहम्मद हमेशा सच्चाई और ईमानदारी से जीते थे, और उन्होंने कभी भी झूठ या धोखे को स्वीकार नहीं किया।न्याय और इंसाफ:उन्होंने हमेशा न्याय और इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी और कमजोरों और जरूरतमंदों की मदद की।दया और करुणा:पैगंबर मुहम्मद सभी के प्रति दयालु और करुणावान थे, और उन्होंने कभी भी किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया। दूसरों के प्रति सम्मान:उन्होंने सभी के साथ सम्मान से पेश आया, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों.
    साहस और दृढ़ संकल्प:पैगंबर मुहम्मद ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प से काम करते रहे। आदर्श उदाहरण:पैगंबर मुहम्मद ने सभी के लिए एक आदर्श उदाहरण पेश किया, और उनकी शिक्षाएँ आज भी दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करती हैं। अल्लाह की इबादत:पैगंबर मुहम्मद ने हमेशा अल्लाह की इबादत की और लोगों को भी अल्लाह की इबादत करने के लिए प्रेरित किया
    परिवार का महत्व:पैगंबर मुहम्मद ने परिवार के महत्व पर जोर दिया और अपने परिवार के सदस्यों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया।ज्ञान की खोज:पैगंबर मुहम्मद ने हमेशा ज्ञान की खोज की और लोगों को भी ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

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