
अशोक झा/ सिलीगुड़ी:
हिंदू धर्म में धनतेरस का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है. इस बार धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस के पंच दिवसीय पर्व पर मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेद के जनक) की पूजा की जाती है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस वाले दिन इस बार शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है, जिसके कारण इस दिन शनिदेव की भी असीम कृपा बनी रहेगी.
शास्त्री हरिमोहन झा और अभय झा की मानें तो, धनतेरस दिवाली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन सोने और चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है। इसे धन, वैभव और यश का प्रतीक माना गया है। कहते हैं कि इस नक्षत्र में घर, वाहन, संपत्ति की खरीदारी या कोई बड़ा निवेश करना बहुत उत्तम होता है। यदि आप दिवाली से पहले सोना, चांदी, वाहन या कोई इलेक्ट्रोनिक आइटम खरीदने की योजना बना रहे हैं तो 14 अक्टूबर यानी आज मंगलवार को पुष्य नक्षत्र की शुभ वेला पर खरीद सकते हैं। ज्योतिष-शास्त्र में सभी नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला। विद्वान इसे बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृथ्वी लोक का अमृत है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या मांगलिक तारा भी कहते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है। इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा और मदद करना अच्छा लगता है।इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगन पूर्वक जुटे रहते हैं।पुष्य नक्षत्र का धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में पुष्य नक्षत्र का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे भगवान बृहस्पति का भी नक्षत्र माना जाता है। इसी नक्षत्र में मां लक्ष्मी का भी प्राकट्य होता है। इसलिए इसे समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में किए पूजा अनुष्ठान विशेष फलदायी होते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. तो आइए जानते हैं कि धनतेरस पर शनि प्रदोष व्रत के संयोग से किन राशियों का अच्छा टाइम शुरू होगा। आजके दिन लोग मां लक्ष्मी और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। साथ ही धनतेरस की तिथि खरीदारी के लिए भी शुभ मानी जाती है। इस दिन लोग जमकर खरीदारी करते हैं। मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई नई वस्तुओं से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और पूरे वर्ष लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है. इसलिए लोग इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, गहने, नए कपड़े, वाहन या घर आदि जैसी वस्तुएं खरीदते हैं। धनतेरस 2025 खरीदारी मुहूर्त: यह भी माना जाता है कि, आप धनतेरस पर जो वस्तु खरीदेंगे उसमें तेरह गुणा वृद्धि होगी. इसलिए धनतेरस पर केवल शुभ चीजें खरीदकर ही घर लाएं. बता दें कि धनतेरस में इस बार खरीदारी के लिए इस साल पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहने वाला है कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 19 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. यानी 18 अक्टूबर को सुबह से लेकर रात तक खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त मान्य रहेगा. वहीं पूजा के लिए शाम 7 बजकर 11 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक का समय रहेगा।
सोना-चांदी, कपड़े, बर्तन या सामान धनतेरस पर क्या खरीदें: सोना-चांदी- धनतेरस पर लोग सोना-चांदी की खरीदारी करना सबसे अधिक शुभ मानते हैं. क्योंकि यह समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक है. मान्यता है कि, धनतरेस पर खरीदे गए सोना-चांदी से पूरे साल घर पर समृद्धि होती है। बर्तन- धनतेरस के दिन नए बर्तनों की खरीदारी करना भी बहुत शुभ माना जाता है. खासकर पीतल या तांबे के बर्तन खरीदना शुभ होता है। इन धातुओं के बर्तन खरीदने से भगवान धन्वंतरि प्रसन्न होते हैं। लेकिन कांच, स्टील, लोहा या एल्युमिनियम का बर्तन धनतेरस पर खरीदने से बचना चाहिए। घरेलू सामान- घरेलू या उपयोगी वस्तुएं भी धनतेरस पर खरीदी जाती हैं। इस दिन आप अपनी आवश्यकतानुसार नया सामान जैसे- इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, संपत्ति या कोई भी नया घरेलू उपकरण खरीद सकते हैं. इस तिथि पर नई चीजों को घर लाना शुभ होता है।
इन चीजों को खरीदना सबसे शुभ- यदि आप धनतेरस के दिन कुछ भी न खरीद पाएं तो भी धनिए के बीज,नमक और झाड़ू जैसी चीजों की खरीदारी जरूर करें. इससे घर पर सुख-समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है।
धनतेरस पर गृह प्रवेश का विचार
वास्तु शास्त्र के अनुसार, धनतेरस पर गृह प्रवेश करना अशुभ माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दिन गृह प्रवेश करना उचित नहीं है, क्योंकि वास्तु इस समय सुप्त अवस्था में होता है, जिससे घर में दुर्भाग्य और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आप किसी अन्य शुभ तिथि पर गृह प्रवेश करें, जैसे दिवाली के आसपास।
क्या धनतेरस पर गृह प्रवेश करना चाहिए?
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो चातुर्मास के दौरान आता है। चातुर्मास में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और नामकरण जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसलिए, धनतेरस पर गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए। चातुर्मास का समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) पर होता है, जिसके बाद सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
धनतेरस पर गृह प्रवेश क्यों नहीं करना चाहिए?
वास्तु का सिद्धांत: धनतेरस पर नए घर में प्रवेश करना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस समय वास्तु देव निष्क्रिय होते हैं।
दुर्भाग्य का खतरा: ऐसा माना जाता है कि इस दिन गृह प्रवेश करने से घर में नकारात्मकता आ सकती है।
आर्थिक समस्याएं: नए घर में प्रवेश करने पर परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
धनतेरस पर क्या करें?
आप धनतेरस पर पुराने घर में कुछ मरम्मत या बदलाव कर सकते हैं। यदि आप नए व्यवसाय की शुरुआत कर रहे हैं, तो यह दिन आपके लिए शुभ है। धनतेरस पर नए घर में प्रवेश करने के बजाय, सोना-चांदी, दवा या सौंदर्य प्रसाधनों का व्यापार करना बेहतर रहेगा।
अक्टूबर 2025 के गृह प्रवेश मुहूर्त
अक्टूबर 2025 में गृह प्रवेश के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं:- 23 अक्टूबर (गुरुवार), 24 अक्टूबर (शुक्रवार) और 29 अक्टूबर (बुधवार)।
23 अक्टूबर 2025, गुरुवार – सुबह 04:51 बजे से 24 अक्टूबर को सुबह 06:28 बजे तक।
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार – सुबह 06:28 बजे से 25 अक्टूबर को रात 01:19 बजे तक।
29 अक्टूबर 2025, बुधवार – सुबह 06:31 बजे से लेकर सुबह 09:23 बजे तक।







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