काशी तमिल संगमम – सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, शिल्प, कला के एकीकरण का समागम
काशी तमिल संगमम – सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, शिल्प, कला के एकीकरण का समागम
वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फिथियेटर ग्राउंड में चल रहे काशी तमिल संगमम के अंतर्गत आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बुधवार को मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं वस्त्र मंत्री, भारत सरकार, पीयूष गोयल ने कहा कि काशी -तमिल संगमम्, एक ऐतिहासिक आयोजन है। माननीय प्रधानमंत्री ने काशी – तमिलनाडु के अटूट संबंध को इस संगमम् के माध्यम से पुनर्जीवित किया है। जिस प्रकार श्री अरविंदो ने वर्ष 1905 में स्वदेशी का नारा दिया था, उसी प्रकार प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से इस भाव को आगे बढ़ा रहे हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि बीएचयू आना उनके लिए तीर्थ आने के समान है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके पिताजी भी बीएचयू के छात्र रहे हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय वस्त्र एवं रेल राज्यमंत्री श्रीमती दर्शना बेन जरदोश ने कार्यक्रम को सांस्कृतिक-आध्यात्मिक एकीकरण का महोत्सव बताया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन समेत, वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राज लिंगम, पद्मश्री चमू कृष्णशास्त्री, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी आदि समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। पहली कड़ी में प्रो. सीमा वर्मा एवं उनके शिष्यों ने गीतों की प्रस्तुति दी। गणेश स्तुति के बाद उन्होंने पुष्टिमार्ग के संस्थापक वल्लभाचार्य पर आधारित पदों के गायन से सभी को आकृष्ट कर लिया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत मंच कला संकाय में सहायक प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत मेघना कुमार ने कबीर के पदों का सुमधुर गायन किया। कार्यक्रम में माला होंबल एवं उनकी शिष्याओं ने शिव तांडव स्त्रोत पर भरतनाट्यम् की सुंदर प्रस्तुति दी। तमिलनाडु से आए हुए डॉ. डी. कुमार एवं समूह ने तेरी कुट्टू की प्रस्तुति दी। यह तमिलनाडु का स्ट्रीट नाट्य है। इस नाट्य में द्रौपदी चीरहरण के प्रसंग को केंद्र में रखकर प्रस्तुति दी गई । कार्यक्रम की अगली कड़ी में श्री धनपाल एवं समूह ने कोल कल अट्टम एवं ओइलाट्टम की प्रस्तुति दी। इसके बाद सुभाषचंद्र बोस एवं उनके समूह द्वारा लोक गीत की प्रस्तुति दी गई। एस. मुथूकुमार एवं उनके समूह ने कालियाट्टम प्रस्तुत किया। आर. एम. सेंथिलकुमार एवं समूह ने वीरपंडिया कट्टाबोम्मन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मंच कला संकाय की शोध छात्रा नीतू तिवारी ने बनारस का प्रसिद्ध लोकगीत गायन प्रस्तुत किया। उनके द्वारा प्रस्तुत “हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया” तथा कजरी से पूरा एम्फिथियेटर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अंतिम प्रस्तुति आर. एम. सेंथिलकुमार द्वारा पौराणिक कथा पर आधारित संगीतमय नाटिका रही।