
अशोक झा/ सिलीगुड़ी:
दार्जिलिंग में हालात बद से बदतर हो गए हैं। लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन, बाढ़ और पुल टूटने की घटनाओं ने इलाके में भीषण तबाही मचाई है। रविवार को हुई भारी बारिश के बाद दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों में पिछले एक दशक के सबसे भयावह भूस्खलनों में से एक ने 24 लोगों की जान ले ली, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। दार्जिलिंग क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्खलन से तबाही देखने को मिल रही है. इस हादसे में हिमाद्री पुरकैत (25 वर्ष) नाम का युवक लापता हो गया है। उसकी तलाश जारी है। भूस्खलन के चलते कई घर मलबे में तब्दील हो गए हैं। वहीं प्रमुख सड़कों को नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों ने बताया कि दूरदराज के कई गांवों का संपर्क टूट गया तथा सैकड़ों पर्यटक फंस गए। इस बीच सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है. हालांकि कितना मुआवजा दिया जाएगा इसका खुलासा नहीं हुआ है. वहीं सीएम ममता आज यानी सोमवार (6 अक्टूबर ) उत्तर बंगाल का दौरा करेंगी और क्षेत्र के हालात का जायजा लेंगी। आज ही राज्यपाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सौमिक भट्टाचार्य भी दौरे पर आ रहे है। वे सभी उस क्षेत्र का दौरा करेंगे जहां बड़ी संख्या में पर्यटक भी प्रभावित हुए हैं। प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगी CM ममता
सीएम ममता बनर्जी ने स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा ‘यह आपदा दुर्भाग्यपूर्ण है – प्राकृतिक आपदाएं हमारे नियंत्रण से बाहर हैं. हम बहुत दुखी हैं. मैंने मुख्य सचिव के साथ पांच प्रभावित जिलों के अधिकारियों के साथ डिजिटल माध्यम से बैठकें कीं. मैं सुबह छह बजे से स्थिति पर नजर रख रही हूं’. सीएम के मुताबिक केवल 12 घंटों में 300 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई, जिससे कम से कम सात जगहों पर भयंकर बाढ़ और भूस्खलन हुआ. उन्होंने कहा, ’12 घंटे से लगातार भारी बारिश हो रही है. सात जगहों पर भूस्खलन हुआ है. मैं कड़ी नजर रख रही हूं और उम्मीद है कि सोमवार दोपहर तीन बजे तक वहां पहुंच जाऊंगी’
पहाड़, तराई और डुआर्स को राज्य स्तरीय आपदा क्षेत्र घोषित
करने की मांग: सांसद राजू विष्ट
दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अपील की कि पहाड़ी, तराई और डुआर्स क्षेत्रों में जारी संकट को ‘राज्य स्तरीय आपदा’ घोषित किया जाए।क्षेत्र में बीते दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और भूस्खलन के चलते जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है।भाजपा सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि 4 और 5 अक्टूबर की रात को हुई भारी बारिश ने दार्जिलिंग की पहाड़ियों, तराई और डुआर्स इलाकों में भारी तबाही मचाई है। उन्होंने दावा किया कि इस आपदा में जान-माल की भारी क्षति हुई है। कई सड़कों और पुलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है, जबकि किसानों की फसलें और घर नष्ट हो गए हैं।”
बिष्ट ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि राज्य सरकार केंद्र को नुकसान की पूरी जानकारी दे ताकि राहत और पुनर्वास के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2023 की तीस्ता बाढ़ को राज्य सरकार ने ‘आपदा’ घोषित नहीं किया था, जिसके कारण पीड़ितों को उचित मुआवजा और सहायता नहीं मिल सकी थी।सांसद ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इस बार ऐसी स्थिति न बने और सभी प्रभावित परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता और पुनर्वास उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पीड़ितों को हरसंभव राहत देंगी और केंद्र सरकार के साथ मिलकर क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में तेजी लाएंगी।” ताजा रिपोर्टों के अनुसार, अब तक भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 24 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हैं। एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की रिपोर्टों के अनुसार, कई स्थानों सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धार गांव (मेची), नागराकाटा और मिरिक झील क्षेत्र से लोगों के मरने की सूचना मिली है। उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने बताया कि जनहानि दुर्भाग्यपूर्ण है और मृतकों की संख्या में वृद्धि की आशंका है।
मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे का ऐलान:
मुख्यमंत्री ने क्षेत्र में फंसे हुए हजारों पर्यटकों को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार उन्हें सुरक्षित वापस लाने की व्यवस्था करेगी और पर्यटकों से अपील की कि वे घबराएं नहीं और वहां से निकलने की जल्दबाजी न करें. उन्होंने कहा, ‘कई पर्यटक फंसे हुए हैं. मैं उनसे अनुरोध करती हूं कि वे हड़बड़ी न करें. कृपया जहां हैं वहीं रहें. होटल वालों को उनसे ज्यादा पैसे नहीं लेने चाहिए. उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है और प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा’। सीएम ने घोषणा की कि आपदा में मारे गए लोगों के परिवारों को सरकारी मुआवजा और उनके एक सदस्य को रोजगार मिलेगा। हालांकि उन्होंने राशि का जिक्र नहीं किया।
पीएम मोदी ने हर संभव मदद का दिया भरोसा: इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौतों पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि भारी बारिश और भूस्खलन के मद्देनजर दार्जिलिंग और आसपास के क्षेत्रों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है. पीएम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘दार्जिलिंग में पुल दुर्घटना में हुई जानमाल की हानि से बहुत दुःख हुआ है. जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है. घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं. भारी बारिश और भूस्खलन के मद्देनजर दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है. हम प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं’।
मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका:
NDRF और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, कई स्थानों सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धार गांव (मेची), नागराकाटा और मिरिक झील क्षेत्र से लोगों के मारे जाने की खबर है. उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने जान-माल के नुकसान को दुखद बताते हुए कहा कि हालात बेहद चिंताजनक हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक मृतकों की संख्या 24 है। यह संख्या बढ़ने की आशंका है। मंत्री ने ये भी बताया कि वो भी इलाके का दौरा करने जा रहे हैं।
मिरिक में कम से कम 11 लोगों की मौत: NDRF के बयान के अनुसार, भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र मिरिक में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है. वहीं सात घायलों को क्षेत्र से बचा लिया गया है. दार्जिलिंग में सात लोगों की मौत हो गई और पुलिस, स्थानीय प्रशासन और आपदा टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. वहीं नागराकाटा के धार गांव में मलबे से कम से कम 40 लोगों को बचाया गया जहां भारी भूस्खलन के कारण कई घर ध्वस्त हो गए. दार्जिलिंग उप-मंडल अधिकारी (एसडीओ) रिचर्ड लेप्चा ने बताया कि बीते शनिवार रात से हो रही भारी बारिश के कारण दार्जिलिंग उपखंड में हुए भीषण भूस्खलन में सात लोगों की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि दुर्गा पूजा और पूजा के बाद के उत्सवों का आनंद लेने के लिए दार्जिलिंग की पहाड़ियों में आए सैकड़ों पर्यटक भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन की वजह से फंस गए हैं.
IMD ने जारी किया रेड अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग सहित उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में 6 अक्टूबर तक अत्यधिक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. साथ ही, मिट्टी की नाजुक स्थिति के कारण और अधिक भूस्खलन और सड़कों पर अवरोध पैदा होने की चेतावनी दी है. NDRF के अनुसार, दार्जिलिंग जिले और उत्तरी सिक्किम में सड़क संपर्क गंभीर रूप से बाधित है और सिलीगुड़ी को मिरिक-दार्जिलिंग मार्ग से जोड़ने वाला एक लोहे का पुल क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे इस क्षेत्र तक पहुंच बाधित हो गई है।






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