
– आज की दीपावली शिववास में मनाई जायेगी

अशोक झा/ सिलीगुड़ी: हर वर्ष दीपावली आती है और हम राम राज्य की बातें करने लगते हैं मगर वह राज तभी आयेगा जब हम अपने भीतर में बैठे अंधेरे को दूर करते हुए समतामयी समाज के प्रकाश की तरफ बढ़ेंगे। परिवार में सुमति और मतैक्य कायम करने में गृलक्ष्मी की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। यह सुमति परिवार में बनाने का काम भी गृहलक्ष्मी ही करती है। एेसा वह परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से करती है अर्थात परिवार में मतैक्य का होना उसके आगे बढ़ने की शर्त होती है।वर्ष 2025 में, कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को शुरू होकर 21 अक्टूबर को समाप्त होगी, इसलिए दीवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन शिववास योग सहित कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं, जो साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि करते हैं।
दीवाली के दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा प्रदोष काल में होती है। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं।
03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी अमावस्या तिथि
हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीवाली मनाई जाती है। इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को शाम 03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद यानी 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। इसके लिए 20 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी।
प्रदोष काल में की जाती है पूजा
दीवाली के दिन प्रदोष काल में देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो स्थिर लग्न में लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके लिए दीवाली के दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है। दीवाली के दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी। इस समय से लेकर शाम 08 बजकर 18 मिनट तक पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है।
दीवाली पूजा शुभ मुहूर्त
दीवाली पर पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल में 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। प्रदोष काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। इसके साथ ही वृषभ काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 03 मिनट तक है।
इसके अलावा, निशिता काल में देवी मां लक्ष्मी की पूजा का समय रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
दीवाली पूजा शुभ योग
कार्तिक अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर के बाद बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग के दौरान शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। वहीं, हस्त और चित्रा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग है। लोकतन्त्र में भी इसी रास्ते पर चलकर पूरे देश में सुख-समृद्धि प्राप्त की जाती है। हमारी संसद से लेकर विधानसभाओं तक में अलग-अलग विचारधारा वाले दल बैठते हैं।बेशक चुनावों में वे एक-दूसरे का कड़ा विरोध करते हुए निर्वाचित सदनों में आते हैं मगर जब एक बार कोई व्यक्ति सांसद या विधायक बन जाता है तो विपक्ष में बैठे जनप्रतिनिधियों के मूल अधिकार वही होते हैं जो कि सत्तारूढ़ दल के सदस्यों के होते हैं। इसीलिए संसदीय प्रणाली में चुने हुए सदनों के भीतर विपक्ष व सत्ता पक्ष के बीच किसी भी विषय पर मतैक्य कायम करने की कोशिश की जाती है। इसी वजह से सरकार द्वारा पेश किये गये विधेयकों पर चर्चा की जाती है। इस चर्चा या बहस के दौरान एेसे बिन्दू उभरते हैं जिनमें सत्ता व विपक्ष के बीच समता भी होती है जबकि सरकार केवल बहुमत पाने वाले दल की ही बनती है। अतः भारतीय संस्कृति की आधारशिला में ही लोकतन्त्र के बीज पड़े हुए हैं। दीपावली को गरीब ब्राह्मण परिवार पर धन की देवी लक्ष्मी की तभी कृपा होती है जब पूरा परिवार कर्मशील बन जाता है। यह कर्मशीलता या उद्यमता ही परिवार से लेकर देश तक को समृद्धि देते हैं। दीपावली पर दीप जलाना कोई ढोंग नहीं है, बल्कि यह समाज की उद्यमता का परिचायक भी है। निश्चित रूप से प्रकाश हमें आगे की ओर ले जाता है और आलस्य त्यागकर अपने चारों तरफ फैले अवसरों को दिखाता है। कोई राष्ट्र तभी आगे बढ़ सकता है जब उसके लोग उद्यमशील हों। आज भारत में समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है। दलितों पर अत्याचार की हृदय विदारक घटनाएं हम आज भी सुनते हैं। एेसी जातिवाद से भरी मानसिकता अंधेरे का ही पर्याय है।







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