अशोक झा/ नई दिल्ली: नवीन युग की प्रतिमाओं में सर्वोत्तम मानी जानी वाली प्रतिमा निःसन्देह एकता की प्रतिमा अर्थात् स्टैचू ऑफ यूनिटी है। भव्य अधिरचना से युक्त, 182 मीटर ऊंची यह अद्वितीय प्रतिमा विश्व की सर्वाधिक ऊंची प्रतिमा है। यह अतिविशाल व्यापक प्रतिमा भारत के लौह पुरुष माने जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की है। यह भव्य प्रतिमा सरदार पटेल की हमारे देश के प्रति अभूतपूर्व योगदान, निष्ठा, समर्पण एवं दृढ़ निश्चय को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। संयुक्त भारत के स्वप्न को साकार में सरदार पटेल की भूमिका से, हमारी आने वाली पीढ़ी को अवगत कराने में यह प्रतिमा अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कौन थे? : सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वतंत्रता के पश्चात भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। जिस समय भारत स्वतंत्र हुआ था उस समय भारत 562 विभिन्न रियासतों में बंटा हुआ था। सरदार पटेल ने इन रियासतों का एकीकरण कर एक विशाल राष्ट्र के निर्माण का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लिया था।सरदार पटेल की दृष्टि ने अखंड भारत का निर्माण किया, जहाँ उन्होंने 565 रियासतों को भारतीय संघ में सफलतापूर्वक एकीकृत किया। उनकी दृढ़ संकल्प और व्यावहारिक दृष्टिकोण ने भारत के विखंडन को रोका और आधुनिक भारत की नींव रखी। पटेल ने राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया और विविधता में एकता के सिद्धांत को स्थापित किया।
संयुक्त भारत के निर्माण में पटेल की भूमिका:
रियासतों का एकीकरण: स्वतंत्रता के बाद, पटेल ने रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही । 1947 में जब भारत को आज़ादी मिली, तो पूरे देश में तिरंगा फहराया गया, लेकिन “एक भारत” का विचार अभी भी कमज़ोर था। उपमहाद्वीप कई क्षेत्रों का एक समूह था। एक ओर ब्रिटिश भारत, और दूसरी ओर 560 से ज़्यादा रियासतें, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक, सेना और महत्वा कांक्षाएँ थीं। एक अखंड भारत का सपना। 1949 के मध्य तक, लगभग सभी
रियासतें-कुछ को छोड़कर हैदराबाद जैसे जटिल मामले,
जूनागढ़ और कश्मीर-में शामिल हो गए थे संघ। पटेल के अपने शब्दों में,”हर भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह राजपूत है, सिख है या जाट है। वह उन्हें यह याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय हैं। यह महज राजनीतिक बातचीत नहीं थी, बल्कि यह स्वतंत्र भारत की शासन कला में पहला प्रयास था, जिसने इसके मानचित्र, भावना और प्रशासनिक एकता को परिभाषित किया। पटेल ने एक बार कहा था, “भारत की एकता बल से नहीं, बल्कि विश्वास से हासिल हुई है।” यह उनके राजनीतिक दर्शन के सबसे स्थायी सत्यों में से एक है। इस वर्ष सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य पर विशेष होगा राष्ट्रीय एकता दिवस। राष्ट्रीय एकता दिवस पर गुजरात में नर्मदा जिले के एकता नगर में भव्य परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगा।पटेल की एकता की दृष्टि केवल क्षेत्रीय नहीं थी; यह गहन सामाजिक थी। उनका यह विश्वास कि “भारत की शक्ति उसकी विविधता में निहित है” आज भी प्रासंगिक है। पटेल की समझ के अनुसार, एकता का अर्थ समरूपता के बिना सामंजस्य है।
भारत के त्यौहार शायद एकजुटता का सबसे जीवंत उदाहरण हैं। दिवाली के दौरान, उत्तर प्रदेश में मुस्लिम कारीगर दीये बनाते हैं; ईद के दौरान, हैदराबाद में हिंदू मिठाई बनाने वाले शीर खुरमा तैयार करते हैं; केरल में ओणम सभी समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। हर त्यौहार आस्था और भूगोल की सीमाओं को धुंधला कर देता है। परेड में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल , और राज्य पुलिस बल अपने कौशल, अनुशासन और वीरता का प्रदर्शन करेंगे परेड में महिला पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की खास भागीदारी, प्रधानमंत्री को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्व करेंगी महिला अधिकारी। इस वर्ष, परेड में CRPF के 5 शौर्य चक्र विजेता और BSF के 16 वीरता पदक विजेता शामिल होंगे। परेड का प्रमुख आकर्षण एक मार्चिंग दस्ता होगा जिसमें BSF के विशेष रूप से भारतीय नस्ल के श्वान, गुजरात पुलिस का घुड़सवार दस्ता, असम पुलिस का मोटरसाइकिल डेयरडेविल शो और BSF का ऊंट दल और ऊंट सवार बैंड शामिल होंगे। NCC कैडेट और स्कूल बैंड अपने शानदार प्रदर्शन से समारोह की भव्यता बढ़ाएंगे। विविधता में एकता के संदेश पर बल देने के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियां भी परेड का हिस्सा होंगी। परेड के दौरान संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 900 कलाकार भारत की संस्कृति और राष्ट्रीय एकता की समृद्ध विविधता को दर्शाने वाले भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन करेंगे। भारत के लौह पुरुष, सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस प्रति वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक है। सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाला इस वर्ष का राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष है। इस वर्ष का समारोह कई मायनों में अद्वितीय होगा, जो इसे यादगार बना देगा। राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह देशवासियों को स्मरण कराता है कि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत के निर्माण में 562 रियासतों को एकजुट करने और आधुनिक भारत की नींव रखने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सरदार पटेल के नेतृत्व और राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण, सरदार पटेल को “राष्ट्रीय एकता के वास्तुकार और भारत के लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है। सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित, एकता नगर “विविधता में एकता” की अवधारणा को दर्शाता है, जो प्राकृतिक सुंदरता को सांस्कृतिक समृद्धि के साथ जोड़ता है। इस वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस के अनूठे समारोह में गुजरात के नर्मदा जिले के एकता नगर में एक भव्य परेड और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन शामिल है। परेड के दौरान, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्यों के पुलिस बल अपने कौशल, अनुशासन और वीरता का प्रदर्शन करेंगे। इस वर्ष की राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) के साथ-साथ असम, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, केरल, आंध्र प्रदेश राज्यों और NCC के दस्ते शामिल होंगे। परेड में पहली बार घुड़सवार दस्ते और ऊंट सवार दस्ते, स्वदेशी नस्ल के श्वान दस्तों का प्रदर्शन और विभिन्न मार्शल आर्ट और शस्त्रविहीन युद्धाभ्यास शामिल होंगे। परेड में महिला पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की भागीदारी को भी रेखांकित किया जाएगा। प्रधानमंत्री को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्व एक महिला अधिकारी करेंगी। CISF और CRPF की महिलाकर्मी, भारत की बेटियों की शक्ति और साहस का प्रदर्शन करते हुए मार्शल आर्ट और शस्त्रविहीन युद्धाभ्यास का प्रदर्शन करेंगी। इस वर्ष की परेड का प्रमुख आकर्षण एक मार्चिंग दस्ता होगा जिसमें BSF के विशेष रूप से भारतीय नस्ल के श्वान, गुजरात पुलिस का घुड़सवार दस्ता, असम पुलिस का मोटरसाइकिल डेयरडेविल शो और BSF का ऊंट दल और ऊंट सवार बैंड शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, देशी श्वान की नस्लें- रामपुर हाउंड्स और मुधोल हाउंड्स- अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इन नस्लों ने BSF के ऑपरेशन्स के दौरान आत्मनिर्भर भारत की भावना को मूर्त रूप देते हुए force multipliers के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही में अखिल भारतीय पुलिस श्वान प्रतियोगिता में मुधोल हाउंड “रिया” ने पहला स्थान प्राप्त किया जो इस वर्ष की परेड में डॉग स्क्वाड का नेतृत्व करेगी। राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के कैडेट और स्कूल बैंड अपने आकर्षक प्रदर्शन से समारोह की भव्यता को बढ़ाएंगे। युवा NCC कैडेट्स अपने अनुशासन और उत्साह से “एकता में शक्ति” का संदेश देंगे। भारतीय वायु सेना की सूर्य किरण वायुयानों की टीम द्वारा एक शानदार एयर शो परेड की शान को और बढ़ाएगा।।विविधता में एकता के संदेश पर बल देने के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियां भी परेड का हिस्सा होंगी। इस वर्ष की राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में “विविधता में एकता” थीम को दर्शाने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (NSG), NDRF, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, अंडमान – निकोबार द्वीप समूह, मणिपुर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी की 10 झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। इस वर्ष की परेड को और अधिक भव्य बनाने के लिए BSF, CRPF, CISF, SSB, दिल्ली पुलिस, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और जम्मू और कश्मीर के ब्रास बैंड भी भाग लेंगे। इस वर्ष परेड में CRPF के पांच शौर्य चक्र विजेता और BSF के 16 वीरता पदक विजेता शामिल होंगे। इन बहादुरों ने झारखंड में नक्सल विरोधी अभियानों और जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में असाधारण साहस का प्रदर्शन किया। BSF के जवानों ने पश्चिमी सीमा पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बेजोड़ बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया। परेड के साथ-साथ, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में 900 कलाकार भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन करेंगे, जो हमारी संस्कृति और राष्ट्रीय एकता की समृद्ध विविधता को रेखांकित करेगा। राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और देशभक्ति की भावना को बल देना और नागरिकों को इन मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। सभी नागरिकों को सक्रिय रूप से भाग लेने और इस भव्य तथा महाउत्सव का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 1 से 15 नवंबर, 2025 तक, एकता नगर भारत पर्व का आयोजन करेगा, जिसमें विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक प्रदर्शन और एक खान-पान महोत्सव शामिल होगा। इस महोत्सव का समापन 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती से जुड़े विशेष कार्यक्रमों के साथ होगा, जिसमें हमारे जनजातीय समुदायों की गौरवशाली संस्कृति पर प्रकाश डाला जाएगा।
एकता की प्रतिमा लौह पुरुष सरदार पटेल के रास्ते पर भारत होगा अखंड
150 वीं जन्म जयंती मनाई जाएगी बड़े ही भव्य तरीके से
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