शिव पार्वती ने सिखाया मनुष्य को हमेशा अपनी वाणी, मन और कर्मों पर नियंत्रण रखना चाहिए

सिलीगुड़ी: आज शिव और पार्वती को समर्पित दिन है। इस मौके पर उनके भक्त व्रत, ध्यान, साधना और पूजा करते हैं। शिव-पार्वती की कथाएं और आरती मंदिरों में सुनाई देती हैं और कई जगह विवाह की झांकी और यात्राएं भी निकलती हैं।शिव और पार्वती के प्रेम की कहानी में कई शिक्षाएं छिपी हैं। शिव योगी थे और वह अपनी अर्धांगिनी पार्वती को कई मौकों पर कुछ न कुछ शिक्षाएं देते रहे। पुराणों में वर्णित ये जीवन मंत्र इंसानों के भी काम आ सकते हैं। मान्यता है कि शिव और पार्वती एक ऊर्जा के दो रूप हैं। शिव पार्वती के बिना शव हैं और पार्वती भी उनके बिना प्राण हीन। कथाओं और पुराणों के मुताबिक, शिव और पार्वती के बीच खूब बातें होती थीं। पार्वती उनसे सवाल पूछती रहती थीं और शिव उनसे ज्ञान साझा करते थे। पार्वती ने शिव से पूछा कि सबसे बड़ा गुण या पाप क्या है जो मनुष्य को नहीं करना चाहिए। इस पर शिवजी ने जवाब दिया, नास्ति सत्यात् परो नानृतात् पातकं परम्। मतलब, सबसे बड़ा धर्म सत्य बोलना और सत्य का साथ देना है। तो वहीं असत्य बोलना या उसका साथ देना सबसे बड़ा पाप है। शिव ने दूसरी बात कही कि इंसान को चीजें पहले खुद प्रमाणित करनी चाहिए। पहले खुद को देखें और किसी की कही बात को जब तक अपनी आंखों से ना देख लें, भरोसा ना करें। ऐसा करने से जिंदगी में गलतियां करने से बचेंगे।
शिव ने बताया कि इंसान को ऐसे किसी काम का हिस्सा नहीं बनना चाहिए जिसमें शब्दों, विचार या किसी हरकत से आपसे पाप हो रहा हो। आप जैसा बोएंगे वैसा ही काटना पड़ेगा इसिलए अपनी जिंदगी के कर्मों को खुद ही सही रखना चाहिए। पार्वती को शिव ने मोह-माया से दूर रहने की शिक्षा भी दी। उन्होंने कहा, लगाव या अटैचमेंट हर समस्या की जड़ है। ये सफलता के रास्ते की रुकावट बन सकते हैं। अगर आप खुद को इन बंधनों और रुकावटों से मुक्त कर लेंगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। शिव के मुताबिक, अटैचमेंट से मुक्त होने का एक तरीका है कि आप यह समझ लें कि मानव जीवन अस्थाई है। शिव ने बताया कि लालच हर दुख का कारण है। एक के बाद दूसरी चीज के पीछे भागने से अच्छा ध्यान करें और शारीरिक बंधनों से मुक्ति पाने की साधना में लग जाएं। शिव की शिक्षा के मुताबिक,मनसा कर्मणा वाचा न च काड्क्षेत पातकम्। मतलब, मनुष्य को हमेशा अपनी वाणी, मन और कर्मों पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है।
रिपोर्ट अशोक झा

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