रामनवमी पर दिन में 12 बजे होगा रामलला का सूर्यातिलक
दर्पण व लेंसों के उपयोग से रामलला के ललाट तक पहुंचेगी सूर्यदेव की किरणें
अयोध्या : राम नवमी के मौके रामजन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार आयोजित होने जा रहे भव्य श्रीराम जन्मोत्सव की तैयारियां जहां जोरों पर चल रही हैं, वहीं सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट रुड़की (CBRI) के वैज्ञानिक रामनवमी के दिन में 12 बजे प्रभु रामलला के प्रतीकात्मक जन्म के बाद उनके ललाट पर सूर्य की किरणों से सूर्याभिषेक करने के सिस्टम को अंतिम रूप देने में लगे हैं। सूर्याभिषेक का प्रारंभिक सफल प्रजेंटेशन हो चुका है। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि फाइनल टेस्टिंग शनिवार को होगी। इसमें सफलता मिलने के बाद सूर्याभिषेक का कार्यक्रम फाइनल हो जाएगा।
कैसे बना है तकनीकी सिस्टम
– जहां मंदिर के शिखर का निर्माण होना है वहां से सूर्य की किरणों को एक दर्पण पर डाल कर इसे ऐसे कोण पर सेट किया गया है जिससे किरणें परावर्तित होकर मिश्र धातु की बनी पाइप में सीधी प्रवेश करे।
– यह पाइप 90 डिग्री के कोण का है।
– इस मोड़ से पाइप नीचे की ओर मंदिर के प्रथम तल के भीतर से होकर गर्भगृह में रामलला के मस्तक तक किरणें पहुंचाई जाएंगी।
लाई गई है।
ऐसे होगा सूर्याभिषेक
– पूरा सिस्टम, प्रकाश के पेरीस्कोप के सिद्धांत पर आधारित है।
– इसमें शिखर के तल पर बने पाइप के पहले मोड़ पर 45 डिग्री के कोण पर एक दर्पण लगाया गया है।
– यह किरणों को 90 डिग्री के कोण पर परावर्तित कर नीचे की ओर सीधी लाइन में परावर्तित कर देगा।
– इसके बाद किरणें ग्राउंड फ्लोर में बने पाइप के मोड़ पर पहुंचेगी।
– यहां 45 डिग्री के कोण पर एक और दर्पण लगाया गया है, जो ऊपर से आने वाली किरणों को 90 डिग्री के कोण पर परावर्तित कर पाइप की बाहरी मुख से बाहर भेज देगा।
– यहां से निकली किरणें प्रभु रामलला के ललाट पर सीधे स्पर्श करेंगी।
– पाइप के पहले मोड़ व दूसरे मोड़ के बीच भी तीन लेंस भी लगाए गए हैं।
– ये लेंस सूर्यदेव की किरणों को 75 मिमी के क्षेत्र में केंद्रित कर राम लला के कपाट पर फोकस कर देंगे।