ममता बनर्जी के निशाने पर रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम
सिलीगुड़ी: लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण का चुनाव प्रचार थम गया है। इससे पहले ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ भिक्षु या मिशन से जुड़े लोग भी बीजेपी की मदद करने में लगे हुए हैं और उन्हें दिल्ली से ऑर्डर मिल रहा है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी लगातार भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है। पश्चिम बंगाल में धुआंधार चुनाव प्रचार में जुटीं ममता बनर्जी ने अब रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ पर भी हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि मिशन और भारत सेवाश्रम संघ से जुड़े लोग भाजपा की मदद करने में जुटे हुए हैं और इन्हें दिल्ली से निर्देश मिल रहा है। कुछ भिक्षु और मिशन से जुड़े लोग टीएमसी के खिलाफ चुनावी माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इस मिशन से जुड़े संत सिर्फ हिंदू धर्म के लिए काम करते आ रहे है। इन्हे राजनीति से कोई लेना देना नही है।
दिल्ली से मिले निर्देश पर कर रहे हैं काम: हुगली में एक चुनावी रैली के दौरान ममता बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के प्रति तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने कहा कि मैं अब भारत सेवाश्रम संघ के कार्तिक महाराज (स्वामी प्रदीप्तानंद) को संत नहीं मानती क्योंकि वे सीधे तौर पर राजनीति में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारत सेवाश्रम संघ का काफी सम्मान करती रही हूं और यह संगठन लंबे समय से सम्मानित संगठनों की सूची में शामिल रहा है मगर अब इस संगठन की भूमिका बदली हुई नजर आ रही है। इसी तरह रामकृष्ण मिशन के सदस्यों को भी दिल्ली से निर्देश मिल रहे हैं और वे उसी हिसाब से काम कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रदीप्तानंद की ओर से ही पिछले साल दिसंबर महीने में एक लाख लोगों के गीता पाठ का आयोजन किया गया था। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सिलसिले में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उन्हें भाजपा के करीबी संत के रूप में देखा जाता है। ममता के बयान का किया खंडन: वहीं दूसरी ओर एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत के दौरान कार्तिक महाराज ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए बयान के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मतदान के दिन वे सीधे बूथ पर वोट देने पहुंचे थे और वोट डालने के बाद आश्रम वापस लौट आए थे। उन्होंने कहा कि मैंने टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के खिलाफ बयान जरूर दिया था क्योंकि वे सांप्रदायिक बातें करते हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। ममता ने रामकृष्ण मिशन पर भी उठाए सवाल: ममता बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन पर भी हमला बोला और कहा कि मिशन के लोगों को दिल्ली से निर्देश मिलता है। मिशन से जुड़े संतों से भाजपा के लिए वोट मांगने को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि रामकृष्ण मिशन का सभी लोग बड़ा सम्मान करते हैं और मिशन से जुड़े संतो को यह काम क्यों करना चाहिए।हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे इस बात की जानकारी है कि रामकृष्ण मिशन से जुड़े सदस्य वोट नहीं डालते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने रामकृष्ण मिशन की उस समय मदद की थी जब सीपीएम ने उसकी फूड सप्लाई रोक दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैं न होती तो स्वामी विवेकानंद का घर न बचा होता। ममता बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए रामकृष्ण मिशन से जुड़े एक सदस्य ने कहा कि हम लोग हमेशा हमेशा राजनीति से दूर बने रहना चाहते हैं और इसी कारण हम लोग वोट डालने भी नहीं जाते हैं। किसी भी संत या संगठन का राजनीति से कोई भी लेना-देना नहीं है। अगर कोई सीधे तौर पर रामकृष्ण मिशन से नहीं जुड़ा है तो वह राजनीतिक अपील कर सकता है। रिपोर्ट अशोक झा