सीएम ममता ने संभाला कामकाज, आज करेंगी जीते सांसदों के साथ बैठक
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कोलकाता: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जारी आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के बृहस्पतिवार को हट जाने के बाद ममता पहली बार सचिवालय पहुंचीं।चुनाव ड्यूटी से मुक्त होकर अपने पुराने पदों पर वापस आने के बाद बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों से बात की और आवश्यक निर्देश दिए। राज्य में चुनाव के बाद हिंसा को लेकर कोर्ट से सरकार को फटकार पड़ी है। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों के साथ होने वाले 10 विधानसभा के उप चुनाव की रणनीति बनाएगी। इनमें से 7 विधायक संसद पहुंचे हैं। तीन ऐसे हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने से पहले इस्तीफा दे दिया था। इसलिए 10 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे।कूचबिहार लोकसभा सीट पर तृणमूल उम्मीदवार जगदीश चंद्र बसुनिया जीते हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक को हराया है। जगदीश सिताई क्षेत्र से विधायक हैं। सांसद के तौर पर शपथ लेने से पहले उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। इसके चलते सिताई विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। इस सूची में मदारीहाट भी है। अलीपुरद्वार से भाजपा के मनोज टिग्गा इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। उन्होंने लोकसभा में जीत हासिल की है। परिणामस्वरूप मदारीहाट में भी उपचुनाव होंगे।बैरकपुर लोकसभा सीट से तृणमूल के लिए जीत हासिल करने वाले राज्य के मंत्री पार्थ भौमिक को भी नैहाटी विधानसभा विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। परिणामस्वरूप उपचुनाव होंगे। इसी तरह बांकुरा के तालडांगरा, मेदिनीपुर और उत्तर 24 परगना के हरोआ में छह महीने के भीतर उपचुनाव होंगे। तालडांगरा से विधायक अरूप चक्रवर्ती है। उन्होंने तृणमूल उम्मीदवार के रूप में बांकुड़ा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा जीती है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार को हराया है। मेदिनीपुर की विधायक जून मालिया भी तृणमूल के टिकट पर मेदिनीपुर लोकसभा क्षेत्र से जीती हैं। हारोआ से विधायक हाजी नुरुल इस्लाम बशीरहाट में जीते हैं। परिणामस्वरूप, हरोआ में भी उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव में हारे तीन विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में भी उपचुनाव होगा जिनमें बागदा, राणाघाट दक्षिण और रायगंज शामिल हैं। 2021 में हुए इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत हासिल की। ये वो भाजपा विधायक थे जो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें इस लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने नामांकित किया था। जिस कारण वे दल-बदल कर लोकसभा के उम्मीदवार बन गये, इससे पहले उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा था। नतीजतन, कृष्णा कल्याणी की रायगंज, विश्वजीत दास की बागदा और मुकुटमणि अधिकारी की रानाघाट दक्षिण सीट पर उपचुनाव होंगे।
लोकसभा चुनाव में चला ममता का जादू: 13 सालों के बाद भी अभी भी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का ‘मां, माटी, मानुष’ का जलवा बरकरार है। साल 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कड़ी चुनौती के बावजूद ममता बनर्जी तीसरी बार सत्ता में वापसी की थी और अब फिर जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी 400 पार और बंगाल में 35 से अधिक सीटों पर जीत का दावा कर रही है। तृणमूल कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी। बीजेपी साल 2019 के आंकड़े को भी नहीं छू पाई और उसकी सीटों की संख्या में भारी कमी आई है। वहीं, लेफ्ट बंगाल में फिर से अपना खाता नहीं खोल पाया है और कांग्रेस भी हाशिये पर पहुंच गई है।लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली चुनाव में मुद्दा बना था। संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को बीजेपी ने मुद्दा बनाया था, लेकिन इस चुनाव में संदेशखाली के मुद्दे का कोई असर नहीं हुआ। बशीरहाट लोकसभा सीट जिसके अधीन संदेशखाली है, इस सीट से बीजेपी की उम्मीदवार और संदेशखाली आंदोलन की चेहरा रेखा पात्रा अपना कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई और न ही बशीरहाट के अतिरिक्त राज्य के किसी अन्य लोकसभा क्षेत्र पर संदेशखाली का कोई प्रभाव पड़ा है।
एनडीए गठबंधन को तोड़ने की होगी कोशिश : ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी दिल्ली में चक्कर काट रहे हैं। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली में आप नेताओं और सपा के नेता अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद फिर वह मुंबई जाकर उद्धव ठाकरे से मिले थे। खबरों के मुताबिक ममता और उद्धव ठाकरे ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से बातचीत करने का जिम्मा अखिलेश यादव को सौंपा है फिलहाल ‘इंडिया’ ब्लॉक ने एनडीए खेमे में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रखने और प्रतीक्षा करने तथा उचित समय पर उचित कदम उठाने का फैसला लिया है लेकिन विपक्षी गठबंधन में कुछ पार्टियां, विशेषकर टीएमसी और शिवसेना (यूबीटी) और कुछ हद तक आप, अभी बीजेपी को मात देने के लिए दल की संख्या बढ़ाने के लिए विकल्प तलाशने पर जोर दे रही हैं। सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव नतीजों के दिन ही सपा के अखिलेश यादव से बात की थी. ममता ने उनसे टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नीतीश कुमार से संपर्क करने को कहा था। नीतीश के अखिलेश यादव के साथ अच्छे समीकरण थे। वहीं चंद्रबाबू नायडू 1990 के दशक के मध्य में संयुक्त मोर्चा के दिनों से उनके दिवंगत पिता मुलायम सिंह यादव के साथी थे।