आस्था के चौखट पर ठाकुरगंज हर गौरी मंदिर पूजा को पहुंचे सिक्किम के राज्यपाल
ऐतिहासिक पौराणिक मंदिर की विशेषता की ली जानकारी
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बिहार के ठाकुरगंज स्थित हर गौरी मंदिर ठाकुरगंज में शिव मां पार्वती की पूजा करने सिक्किम के राज्यपाल राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच पहुंचे। उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना के बाद इस मंदिर के इतिहास के संबंध में देवकी अग्रवाल, बिजली सिंह, पार्षद अमित सिन्हा, सहित मंदिर के पुजारी जयंत गांगुली आदि से जानकारी ली। मंदिर की ओर से उन्हें हर गौरी की प्रतिमा का फोटो प्रदान किया गया। राज्यपाल सिक्किम से हवाईमार्ग से बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से वह सड़क मार्ग से ठाकुरगंज हरगौरी मंदिर पहुंचे। क्या है
इस मंदिर का इतिहास : सिलीगुड़ी से मात्र 58 किलोमीटर दूर किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में हरगौरी मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है, जहां आस पास पांडवों के कई स्थल आज भी मौजूद हैं। यहीं 123 वर्ष पूर्व रविन्द्रनाथ ठाकुर के वंशजों ने हरगौरी मंदिर की स्थापना की थी। यह बिहार के अलावा बंगाल, असम, नेपाल और भूटान के श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र है। सालाें भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है पर सावन में इसकी छटा कुछ अलग ही निराली होती है। मंदिर के पुरोहित जयंत गांगुली के अनुसार ठाकुरगंज का पुराना नाम कनकपुर था, जिसे रविंद्र नाथ टैगोर के वंशज ज्योनिन्द्र मोहन ठाकुर ने खरीदी थी। उसके बाद इसका नाम ठाकुरगंज रखा गया। कहते है कि इतिहास है कि 1897 में उनके परिवार द्वारा पूर्वोत्तर कोण में पाण्डव काल के भग्नावशेष की खुदाई क्रम में कई शिवलिंग मिले। इसमें एक जाे एक फुट काले पत्थर का था। शिवलिंग पर आधे हिस्से में भगवान शिव और आधे हिस्से में मां पार्वती अंकित है। इन मूर्तियों को कोलकोता लेकर टैगोर पैलेश में रखा गया। इसी बीच परिवार को स्वप्न आया कि इस शिवलिंग को जहां से लाया गया है वहां स्थापित करों। हरगौरी मंदिर और खुदाई में प्राप्त हरगौरी शिवलिंग: स्वप्न में निर्देश के बाद 1957 में हुई थी स्थापना: ठाकुर परिवार इसे कलकत्ता में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन स्वप्न में निर्देश मिलने के बाद बांग्ला संवत 21 माघ 1957 को एक टीन के घर में ठाकुर परिवार द्वारा इसकी स्थापना यहां की गई। चार फरवरी 1901 से हरगौरी मंदिर में पूजा -अर्चना विधिवत रूप से शुरु हुई। इस बात की पुष्टि स्वर्गीय पंडित यशोधर झा द्वारा लिखित हर गौरी मंदिर नमक पुस्तक में भी वर्णित है। ठाकुर परिवार द्वारा नियुक्त पुरोहित भोलानाथ गांगुली के वंशज आज भी मंदिर में पूजा-अर्चना कराते आ रहे हैं, जिसे हरगौरी धाम के नाम से जाना जाता है। स्वर्गीय गणपत रामजी अग्रवाल, सुधीर लाहिड़ी, भूतपूर्व आपूर्ति निरीक्षक रूदानंद झा के प्रयास से इस मंदिर के भव्य रूप का सपना साकार हुआ। 2001 चार फरवरी को मंदिर के सौ वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्गीय सुशील अग्रवाल ने स्वर्गीय निरंजन मोर के देखरेख में मंदिर का जीर्णोद्धार और शताब्दी समारोह कराया गया था।