हिन्दुओं के धार्मिक यात्राओं पर पथराव किस साजिश का हिस्सा ?
क्या जिहादी हिन्दुस्तान में ही हिन्दुओं को डराकर रखना चाहते हैं ?
• मठाधीश को माफिया कहने के लिए निन्दा प्रस्ताव पारित
• अखिल भारतीय व्यास संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित हुए कई प्रस्ताव
• हिन्दू धर्म स्थल पर पवित्रता का सिद्धांत लागू हो, व्यास संघ ने दी चेतावनी, पथराव बन्द करे सरकार वरना हम सड़क पर उतरेंगे
• सब मिलकर हिन्दू धर्म को खत्म करने और हिन्दुओं को डराने की साजिश कर रहे हैं
• वक्फ बोर्ड के नाम पर हिन्दुओं की जमीन और धर्म स्थल हड़पने की गहरी साजिश
*वाराणसी, 22 सितम्बर।* सनातन के खिलाफ जिहादियों के अघोषित जंग ने हिन्दू धर्माचार्यों की चिंता बढ़ा दी है। तभी तो अखिल भारतीय व्यास संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से आये कथावाचकों,धर्माचार्यों और संतों ने सिद्धपीठ पातालपुरी मठ, नरहरपुरा में सनातन धर्म के खिलाफ जिहादियों द्वारा शुरू किए गए अघोषित युद्ध के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। संतों और मठाधीशों की बेचैनी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में वक्ताओं ने पूछा कि जब हिन्दू उनके जुलूसों पर पथराव नहीं करते तो वे लोग हिन्दुओं के धार्मिक यात्राओं पर पथराव कर किसको चुनौती दे रहे हैं। सरकार समय रहते इसको तत्काल बंद कराए अन्यथा देशभर से संतों के नेतृत्व में लाखों लोग सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।
अध्यक्षता कर रहे महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि हम सहिष्णु हैं, शांति चाहते हैं लेकिन धर्म के अपमान और हिन्दुओं की बर्बादी की कीमत पर नहीं। सनातन धर्म को लक्ष्य करके कोई मठाधीश को माफिया बता रहा हैं, कोई देवी देवताओं का अपमान कर रहा है, कोई वक्फ बोर्ड के नाम पर मंदिरों को हड़पने की साजिश कर रहा है और मस्जिदों से पत्थर फेंककर हमें डराया जा रहा है। सरकार बताए कि हमें कब तक चुप रहना है। जल्द ही संत समाज कोई बड़ा निर्णय लेने के लिए बाध्य होगा। हम अपने आराध्य और अपनी संस्कृति को अपमानित होते हुए नहीं देख सकते हैं। राष्ट्रीय अधिवेशन में स्पष्ट कर दिया गया कि जिहादियों के कुकर्मों पर चुप रहने के बजाय खुलकर सड़क पर उतरने और विरोध करने पर बल दिया जाएगा। हिन्दुओं की हत्या, धार्मिक यात्राओं पर पथराव, जमीन से लेकर थूक जिहाद तक से निपटने के लिए 1 लाख से अधिक धर्म योद्धाओं को तैयार किया जाएगा। जल्द ही व्यास संघ बड़ा निर्णय लेगा।
राष्ट्रीय अधिवेशन में सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव पारित किया गया –
1. जिस मस्जिद या घर से हिन्दुओं की धार्मिक यात्राओं पर पत्थर फेंके गए, उस पर तत्काल बुलडोजर चलाया जाए।
2. मठाधीश को खुलेआम माफिया कहने वाले के खिलाफ सरकार कार्यवाई करे।
3. वक्फ बोर्ड द्वारा हड़पी गयी जमीनों को मुक्त कराया जाए और इस पर तुरन्त लगाम लगाकर जांच की जाए।
4. धर्मांतरण कराने वालों की संपत्ति जब्त की जाए।
5. मंदिरों में स्थानीय धर्माचार्यों, पीठाधीश्वरों को संचालन समिति में रखा जाए।
6. हिन्दू धर्मस्थलों में पवित्रता का सिद्धांत लागू किया जाए। मांसाहार करने वालों को मन्दिर परिसर में किसी कीमत पर न जाने दिया जाए।
7. हिन्दू देवी देवताओं पर टिप्पणी करने और किसी तरह की फ़िल्म बनाने पर प्रतिबंध लगाया जाए । सनातन धर्म का मजाक उड़ाने वालो के विरुद्ध कड़े कानून बनाये जाए ।
8. व्यास संघ के सदस्य दलित बस्तियों के उद्धार हेतु रामकथा का आयोजन करेंगे और दलित समाज के उत्थान हेतु कार्य करेंगे ।
9. सनातन के विरोधियों का खुलकर विरोध किया जाएगा और लाखों हिंदुओ को जागरूक किया जाएगा ।
10. सेकुलर राजनीति के नाम पर सनातन धर्म और संस्कृति के अपमान करने वालो को बहिष्कार किया जाएगा ।
11. बांग्लादेशी हिंदुओ की जान और सम्मान की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र लिखेंगे ।
12. वेद पाठी बटुकों के लिए छात्रवृत्ति योजना सरकार शुरू करे ताकि वेद को घर घर तक पहुचाया जा सके ।
13. हिन्दू मंदिरों को वापस न देना पड़े इसके लिए वर्शिप एक्ट बनाया गया । इसको पूरी तरह खत्म किया जाए । मुगलों के समय हिन्दू अपने मंदिरों को बचा नही पाए ,आज तो बचा सके ।
14. व्यास पीठ पर बैठकर जो मर्यादा तार तार करते है उनके खिलाफ व्यास संघ सख्त कार्यवाई करेगी ।
15. अखंड भारत मे जिन मंदिरों को आक्रांताओं ने तोड़ा है फिर से उसकी प्राण प्रतिष्ठा कराई जाए ।
16. सांस्कृतिक पहचान को पुनः कायम करने की दिशा में व्यास संघ लोगो को जागरूक करेगा ।
इस अधिवेशन में महंत श्रवण दास, महंत राघव दास, पंडित दिनेश त्रिपाठी, पंडित शिवानंद मिश्र, पंडित अच्युदानंद पाठक, पंडित गंगासागर पाण्डेय, पंडित सुरेश मिश्र, पंडित राघवेंद्र पाण्डेय, पंडित विद्या सागर पाण्डेय, अरविंदाचार्य शास्त्री, पंडित विश्वकान्ताचार्य, पंडित वेद प्रकाश मिश्र, पंडित सचिदानन्द त्रिपाठी, पंडित नंदलाल उपाध्याय, पंडित धर्मराज शास्त्री, पंडित कृष्ण कुमार दीक्षित, पंडित देवेन्द्र शास्त्री, पंडित सुधीर तिवारी, पंडित आशीष चतुर्वेदी, पंडित दिनकर शास्त्री आदि लोग मौजूद रहे।