सनातन की चुनौतियां और भारत का भविष्य” के महत्व पहलुओं को बताएंगे गौतम खट्टर
क्यों देश की स्वतंत्रता, अखंडता, सुरक्षा और राष्ट्रीय स्वाभिमान को दी जा रही चुनौती
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अशोक झा, सिलीगुड़ी: 12 जनवरी को विश्व युवा संत स्वामी विवेकानंद जन्म जयंती के अवसर पर सर्व हिन्दी विकास मंच द्वारा ” सनातन की चुनौतियां और भारत का भविष्य” हम जागेगें, देश जागेगा। इस विचार को अपनी धार देने सिलीगुड़ी आ रहे है सनातन महासंघ प्रबल सनातन संस्कृति संवाहक एवं प्रखर वक्ता गौतम खट्टर। कार्यक्रम सेवक रोड स्थित उत्तरबंग मारवाड़ी पैलेस में। कार्यक्रम के संयोजक सीताराम डालमिया ने बताया कि हमने तो जाना है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार क्षीण होने की वजह से ही देश में अलगाववाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अस्थिरता, विक्षोभ, भटकाव, बेरोजगारी, भ्रष्ट प्रशासन एवं सांस्कृतिक प्रदूषण जैसी समस्याएं खड़ी हुई हैं। सुलझने की बजाए और भी ज्यादा विकराल होती जा रहीं ये सारी समस्याएं देश की स्वतंत्रता, अखंडता, सुरक्षा और राष्ट्रीय स्वाभिमान को भी चुनौती दे रही हैं। आपको समझना होगा कि सनातन है तो भारत है। सनातन नहीं तो भारत नहीं, भारत की पहचान नहीं। सनातन की छाया में ही भारत में अन्य धर्म सुरक्षित रह सकते हैं। विगत सात दशकों का इतिहास साक्षी है कि पाकिस्तान और बंगलादेश में सनातन के अल्पमत में आते ही वहाँ अन्य धर्मों के अनुयायी सुरक्षित नहीं रहे। अफगानिस्तान में सनातन पूरी तरह निर्मूल हुआ है तो वहाँ बौद्ध, जैन और सिख आदि भी नहीं बचे हैं। जिस धर्म-निरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव की दुहाई हमारे विपक्षी नेता देते हैं उसकी सुरक्षा सनातन की पुष्टि में ही है, उसके निर्मूलन में नहीं।सनातन दूर्वा है। उसमें दूर्वा की तरह झुककर पैरों तले रौंदे जाने पर भी अपने अस्तित्व को बचा ले जाने की अद्भुत क्षमता है। विधर्मी आक्रमणों और कुटिल षड्यंत्रों की कड़ी धूप में सूख जाने पर भी वह अवसर पाकर हरी हो उठती है।सनातन अमरवेल है। उसे अपने विस्तार के लिए कभी राजसिंहासन का सहारा नहीं लेना पड़ा। वह राजपुत्रों और राजवंशों से पोषण पाकर नहीं फैली। उसे अपने प्रसार के लिए आक्रमणकारी सैनिकों और सेवा का आडम्बर रचते प्रलोभनकारी व्यापारियों का सहारा नहीं लेना पड़ा। सनातन धर्म की अमरवेल अपने उदार चिन्तन और मानवीय मूल्यों के कारण बिना आश्रय के ही फल-फूल रही है। विश्व में प्रतिष्ठित हो रहे नए मंदिर इसके प्रमाण हैं। सऊदी अरब जैसे इस्लामिक देश में मंदिर निर्माण सनातन की नई प्रतिष्ठा है। इस्कॉन द्वारा स्थापित कृष्ण मंदिरों की बढ़ती संख्या सनातन धर्म की अमर बेल का नूतन विकास है। इस बात को सभी को समझना है प्रांत हमारा कोई भी हो, धर्म हमारा सनातन हैं,भाषा हमारी कोई भी हो, धर्म हमारा सनातन हैं,संगठन हमारा कोई भी हो, धर्म हमारा सनातन हैं। तो देर किस बात की आप कल शाम जरूर पहुंचे और अपने सनातन ध्वज को मजबूती से लहराने के लिए एक जुट हो।