पहले प्रधानमंत्री से और अब गृहमंत्री से गोरखा विधायक ने की मांग
भारतीय गोरखाओं के लिए त्रिपक्षीय वार्ता तत्काल पुनः आरंभ करने का आह्वान

– गोरखा समुदाय हमेशा से केंद्र सरकार के प्रति धैर्यवान रहा है, लेकिन यह भरोसा हमेशा नहीं रह सकता
– त्रिपक्षीय वार्ता में देरी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की परीक्षा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में 110 वर्षों से अधिक समय से उठ रहे मांग “भारतीय गोरखा समुदाय के लिए समाधान” को लेकर दार्जिलिंग के गोरखा विधायक नीरज तमांग जिम्बा ने प्रधानमंत्री के बाद अब गृहमंत्री से तत्काल त्रिपक्षीय वार्ता की मांग की है। इसके पहले भी एसएसबी के स्थापना दिवस पर पहुंचे गृहमंत्री से मिलकर मांगपत्र सौंपा था। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि चलो दिल्ली में जल्दी मिलते है। दार्जिलिंग विधानसभा क्षेत्र के विधायक और गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के महासचिव नीरज तमांग जिम्बा ने चेतावनी दी कि सरकार की निष्क्रियता लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करेगी, उन्होंने कहा, “गोरखा देख रहे हैं, और इतिहास इसे याद रखेगा।” भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को एक औपचारिक पत्र लिखकर दीर्घकालिक राजनीतिक समाधान के लिए त्रिपक्षीय वार्ता फिर से शुरू करने का आग्रह किया है। इसमें भारतीय गोरखा समुदाय के लिए समाधान की बात कही गई है। अपने पत्र में पत्र में जिम्बा ने गृह मंत्रालय को भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और भारतीय गोरखा समुदाय के हितधारकों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता को सुविधाजनक बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की याद दिलाई। सांसद राजू बिस्सा ने जनवरी 2025 में वार्ता करने का वादा किया था, लेकिन जिम्बा ने सरकार की चुप्पी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समय सीमा बीत जाने के बाद भी कोई ठोस पहल नहीं की गई है। पत्र में कहा गया है, “लोग न्याय, समाधान और निष्कर्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता से असंतोष और निराशा फैल रही है।” विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि इस देरी से भारत सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है, “गोरखा समुदाय हमेशा से सरकार के प्रति धैर्यवान रहा है, लेकिन यह भरोसा हमेशा नहीं रह सकता। आगे की देरी से लोगों में असंतोष के बीज बोए जाएंगे, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनका विश्वास कमजोर हो सकता है।”
जिम्बा ने कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता में देरी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति की परीक्षा है। “गोरखाओं ने हमेशा राष्ट्रवादी मूल्यों, देशभक्ति और संवैधानिक निष्ठा को कायम रखा है, लेकिन अगर उनकी उचित मांगों को बार-बार नजरअंदाज किया जाता है, तो इतिहास उन लोगों को याद रखेगा जिन्होंने कठोर निर्णय नहीं लिया।”
विधायक नीरज जिम्बा ने पत्र के माध्यम से माननीय गृह मंत्री अमित शाह का ध्यान त्रिपक्षीय वार्ता पुनः प्रारम्भ करने की ओर गंभीरता से आकर्षित किया है। जिम्बा ने पत्र में कहा, “दार्जिलिंग पहाड़ियों, तराई और डुआर्स के लोग, साथ ही संपूर्ण भारतीय गोरखा समुदाय अब आश्वासनों की नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा है।”