खुल रहे हैं दक्षिण का द्वार, एनडीए होगी 400 पार

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला एनडीए लगातार तीसरी बार केंद्र में ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है। एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान है। लोकसभा चुनावों में चार सौ पार के बड़े मिशन के लिए भाजपा व राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को ‘दक्षिण का द्वार’ जीतना बेहद जरूरी है। बीते दो लोकसभा चुनावों में हिंदी पट्टी से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक यानी देश के मध्य भाग से लेकर उत्तर, पूर्व और पश्चिम में मोदी मैजिक के बाद भाजपा के लिए अब दक्षिण बड़ा मिशन है। दरअसल, बीजेपी पिछले लंबे समय से एनडीए गठबंधन के विस्तार के अभियान में जुटी हुई है. इसके लिए बीजेपी ने त्रिस्तरीय स्तरीय मेगा प्लान बनाया था, जिसके तहत एक तरफ जहां बीजेपी ने साथ छोड़ चुके पुराने सहयोगियों को फिर से गठबंधन में लाने का प्रयास किया तो वहीं साथ ही दूसरी तरफ ऐसे दलों से भी संपर्क साधा जो या तो कभी भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा नहीं रहे या फिर जिनके बीजेपी के साथ आने के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था। इस बीच कई राजनीतिक दलों के मजबूत और लोकप्रिय नेता भी पार्टी के सांसद और विधायकों को लेकर एनडीए में शामिल हो गए। बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सहित कई राज्यों में बीजेपी को कामयाबी मिल गई है तो वहीं ओडिशा, पंजाब और तमिलनाडु में पार्टी की कोशिश अभी जारी है।
बिहार में मिली बड़ी कामयाबी
बीजेपी को सबसे बड़ी कामयाबी बिहार में मिली। बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू और एलजेपी के साथ मिलकर लड़ी थी और राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस के साथ चले गए थे, लेकिन अब वह फिर से एनडीए में शामिल हो गए हैं। महाराष्ट्र में पिछली बार बीजेपी और उद्धव ठाकरे ने मिलकर राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन, बाद में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री बने. आगे चलकर राज्य की राजनीति में कई बड़े अहम बदलाव देखने को मिले।।आज शिवसेना के ताकतवर नेता एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को छोड़कर और एनसीपी के मजबूत नेता अजित पवार अपने चाचा शरद पवार को छोड़कर दल के अन्य नेताओं के साथ एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। दक्षिण का दुर्ग ढहाने में जुटी बीजेपी
दक्षिण भारत में इस बार अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटी बीजेपी को सबसे बड़ी कामयाबी आंध्र प्रदेश में मिली है। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी फिर से एनडीए में शामिल हो गई है। आंध्र प्रदेश में बीजेपी चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव लड़ेगी। टीडीपी – 17, बीजेपी – 6 और जेएसपी – 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस भी एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के साथ जाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर इस बार एनडीए गठबंधन के बैनर तले ही लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। बीजेडी को भी एनडीए में लाने की कोशिश: एनडीए गठबंधन के विस्तार को लेकर बीजेपी की प्रतिबद्धता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव की तारीखों के आधिकारिक ऐलान में अब कुछ ही घंटों का वक्त बाकी रह गया है, लेकिन बीजेपी की कोशिश अभी भी जारी है। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनाव मिलकर लड़ने के लिए राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल के साथ बीजेपी की बातचीत अभी जारी है। सूत्रों की माने तो, सैद्धांतिक तौर पर बीजेपी और बीजेडी दोनों ही राजनीतिक दल गठबंधन के लिए सहमत हो गए हैं
पिछले लोकसभा चुनाव में ओडिशा में दोनों ही राजनीतिक दल अलग-अलग चुनाव लड़े थे, जिसमें नवीन पटनायक की पार्टी को 12 और बीजेपी को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट ही आई थी।अकाली दल से भी चल रही गठबंधन पर बात वहीं, पंजाब में भी बीजेपी की अपने सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ बातचीत जारी है। सूत्रों की मानें तो गठबंधन को लेकर बीजेपी और अकाली दल की बातचीत अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है और जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान भी किया जा सकता है। तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की तरफ से राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके ओ. पन्नीरसेल्वम के धड़े के साथ भी गठबंधन को लेकर बीजेपी की बातचीत जारी है, जिसका अंतिम नतीजा जल्द ही सामने आ सकता है। हाल ही में दिग्गज तमिल अभिनेता आर सरथ कुमार ने अपनी पार्टी एआईएसएमके का बीजेपी में विलय भी कर दिया है।
इंडी गठबंधन में बनती नहीं दिख रही बात
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का सीधा मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के साथ था, लेकिन इस बार कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ इंडी गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। हालांकि, विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली में तो सीटों का बंटवारा हो गया है, लेकिन पंजाब में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां पश्चिम बंगाल में मिलकर ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, केरल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां आमने-सामने होंगी। तमिलनाडु में कांग्रेस-डीएमके और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. लेकिन, महाराष्ट्र और बिहार में खींचतान अभी जारी है। जम्मू कश्मीर में भी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव द्वारा सीटें दे देने के बावजूद कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को लेकर दुविधा की स्थिति में है। खास बात है कि पहली बार है जब किसी सर्वे में एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। फिलहाल, भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है। मीडिया के मेगा ओपिनियन पोल के अनुसार, एनडीए 411 सीटें जीत सकता है। लोकसभा में कुल सीटों की संख्या 543 है। हालांकि, 370 सीटें जीतने का दावा कर रही भाजपा अपने लक्ष्य से पीछे रह सकती है। ओपिनियन पोल के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा इस चुनाव में 350 सीटें जीत सकती है।
खास बात है कि अगर ऐसा हुआ, तो 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा 47 सीटें ज्यादा अपने नाम करेगी। कहां कितनी सीटें
सर्वे के मुताबिक, एनडीए उत्तर प्रदेश की 80 में से 77, मध्य प्रदेश में 28, छत्तीसगढ़ में 10, बिहार में 38 और झारखंड में 12 सीटें अपने नाम कर सकता है। गठबंधन कर्नाटक में 25, तमिलनाडु में 5 और केरल में 2 सीटों पर भी जीत हासिल कर सकता है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि कई राज्यों में एनडीए का ग्राफ बढ़ने के आसार हैं। इनमें ओडिशा में 13, पश्चिम बंगाल में 25, तेलंगाना में 8 आंध्र प्रदेश में 18 सीटें जीत सकती है। गुजरात में एनडीए को सभी 26 सीटों पर जीत मिल सकती है। विपक्षी गठबंधन INDIA का क्या होगा। ओपिनियन पोल के अनुसार, विपक्षी गठबंधन INDIA को 105 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं, सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के खाते में सिर्फ 49 सीटें ही आने के आसार हैं। खास बात है कि साल 2014 में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा था। तब पार्टी ने 44 सीटें अपने नाम की थी। रिपोर्ट अशोक झा