एनीमिया मुक्त भारत बनाने के लिए दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की कुपोषित लड़कियों, महिलाओं एवं बच्चों को जागरूक कर रहा सुकार्य
3,804 महिलाओं और बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यशालाएं आयोजित कीं, पोषण किट बांटे और स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए
नई दिल्ली : मातृ-शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले एक प्रमुख संगठन सुकार्य ने एनीमिया से निपटने की सरकारी पहल, पोषण पखवाड़ा के तहत दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में शैक्षिक कार्यशालाओं और स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन तथा पोषण किट के वितरण के जरिये हजारों युवा लड़कियों, महिलाओं एवं बच्चों के बीच पहुंच बनाई।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में सुकार्य की ओर से किए जाने वाले लक्षित प्रयासों के बारे में बात करते हुए संस्था की अध्यक्ष मीरा सतपथी ने कहा, “महिलाओं और लड़कियों के बीच स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, अधिकारों और पोषण को सुलभ बनाना अहम है, ताकि देश में एनीमिया के मामले के बढ़ते बोझ से रणनीतिक रूप से निपटा जा सके।” उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में, हमने हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में वंचित समुदायों की महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को स्वास्थ्य एवं पोषण के संबंध में जागरूक करने के लिए कईं कार्यशालाएं आयोजित कीं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के मुताबिक, भारत में 15 से 49 साल के आयु वर्ग में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की संख्या एनएफएचएस-4 में दर्ज 53.1% से बढ़कर 57% हो गई है। एनीमिया एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जो पोषण की कमी और खराब स्वास्थ्य की तरफ इशारा करती है, जिससे किसी व्यक्ति की शारीरिक और संज्ञानात्मक क्षमता प्रभावित होती है।
सुकार्य पिछले 25 वर्षों से अपने मिश्रित हस्तक्षेपों के माध्यम से महिलाओं, लड़कियों एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने वाले मूल कारणों, मसलन-कुपोषण, टीकाकरण सेवाओं के बारे में अनभिज्ञता और पितृसत्तात्मक मानदंडों से निपटने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि एनीमिया के मामलों में कमी लाई जा सके।
पिछले एक वर्ष में, सुकार्य अपने दो प्रमुख हस्तक्षेप, अर्बन स्लम हेल्थ एक्शन और रूरल कम्युनिटी हेल्थ एक्शन के जरिये, जो एनीमिया के मामले घटाने के साथ ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य में सुधार लाने पर केंद्रित हैं, दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) की 30 झुग्गियों में 2,20,000 महिलाओं और बच्चों तथा हरियाणा और राजस्थान के 60 गांवों में 1,80,000 महिलाओं और बच्चों तक पहुंच बनाने में कामयाब रहा है।