धूमधाम से मनाया जा रहा दीपावली का पर्व, देश के साथ विदेशों भी मनाया जाता है यह त्योहार
धूमधाम से मनाया जा रहा दीपावली का पर्व, देश के साथ विदेशों भी मनाया जाता है यह त्योहार
सिलीगुड़ी: देश में ही नहीं विदेशों में भी मनाई जाती है दीपावली, इस्कान मंदिर सिलीगुड़ी में आज रोशनी देखते ही बन रही थी। प्रकाश पर्व दीपावली पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल में दीपावली पर्व को तिहार के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में दशाई पर्व के बाद दीपावली दूसरा सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यही वजह है कि यहां दिवाली बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। फिजी में भी दिवाली एक नेशनल हॉलिडे है। इस दौरान लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाते हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन काक तिहार मनाया जाता है। इस दिन कौवे की पूजा की जाती है। इसे मृत्यु के देवता यमराज का सूचक माना जाता है। कौवा दुःख, मृत्यु इत्यादि अनिष्ट चीजों का प्रतीक होता है। इसलिए इस दिन नेपाली समुदाय के लोग अपने घरों की छत पर कौवों के लिए दाना-पानी रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। कहते हैं ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार से दुःखो का नाश होता है व अकाल मृत्यु टल जाती है। इसके अगले दिन कुकुर तिहार होता है। हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक कुकुर भगवान शिव के एक रूप भैरव बाबा का वाहन होता है। इसलिए इस दिन कुत्तों की पूजा की जाती हैं। उन्हें खाना दिया जाता हैं, माथे पर तिलक लगाकर गले में फूल माला पहनाया जाता है। मान्यता के मुताबिक कुत्ता यमराज के नरक द्वार के प्रहरी भी होते हैं जो नरक की रखवाली करते हैं। इसलिए इस त्यौहार को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। तिहार के पंचमी के दिन गाय माता की पूजा की जाती है। इस दिन भारत में दीपावली मनाया जाता हैं माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। नेपाल नेपाली समुदाय के लोग भी धन व वैभव की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं। सुबह उठकर स्नान आदि करके गौ माता की पूजा करते हैं। गाय को हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान है। गाय को माँ कहा जाता है। गांय को तिलक किया जाता है, फूल का माला पहनाया जाता है, हरा चारा खिलाजा जाता है और फिर उसकी पूजा की जाती है। रात को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में रात घर और पूरे मोहल्ले को दीपक की रोशनी से प्रकाशित किया जाता है। इस दिन रात को लड़कियां समूह में घर-घर जाकर गीत गाती हैं, जिसे भैली कहा जाता है। और परिवार को आशीर्वाद देती हैं। तिहारी के चौथे दिन गोरू पूजा की जाती है। इस दिन नेपाली समुदाय के लोग बैलों की पूजा करते हैं। घरों में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं। गोवर्धन की पूजा होती है। पूरी रात युवा लड़के घर-घर जाते हैं और जाकर दैउसी खेलते हैं। इस दौरान वे जो गीत गाते हैं उसमें वे बताते हैं कि वे वैसे ही नहीं आए हैं बल्कि बलि महाराज के दूत के रूप में वे आए हैं। परिजनों को आशर्वाद देते हैं। तिहार के अंतिम दिन होता है भाई टीका यानि भाई दूज। यह पर्व भाई और बहन के प्रेम को दर्शाता है। मान्यता हैं कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। तब यमुना माता ने उनके माथे पर तिलक लगाया था तथा उनका स्वागत किया था। उस समय यमराज ने कहा था कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएगी उसके भाई की उस दिन या अकाल मृत्यु नही होगी। इस दिन बहनें भाइयों के घर नहीं बल्कि बहनें भाई के घर जाती हैं। बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाकर लंबी उम्र की कामना करती हैं तो भाई भी बहन के माथे पर तिलक करते हैं। भाई टीके के लिए बहनें अपनी हाथों से मीठे पकवान बनाती हैं।इस तरह पांच दिवसीय महान पर्व तिहार का समापन होता है।
एनिमल लवर्स ने सिलीगुड़ी के स्ट्रीट डॉग रेस्क्यू सेंटर में कुकुर तिहार मनाया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. कुकुर तिहार का मतलब कुत्ते की पूजा होता है. यह फेस्टिवल रोशनी के त्यौहार दिवाली के दौरान मनाया जाता है. आइए इस कुकुर तिहार की कहानी जानते हैं।।कुकुर तिहार पर होती है डॉग्स की पूजा: कुकुर तिहार में लोग डॉग्स की पूजा करते हैं. माला पहनाकर उनका सम्मान करते हैं। कुकुर तिहार में सिर्फ पालतू कुत्तों की ही नहीं स्ट्रीट डॉग्स की भी पूजा होती है। कुकुर तिहार में कुत्तों के माथे पर टीका लगाया जाता है. उनको माला पहनाई जाती है। उन्हें इस दिन अच्छा खाना खिलाया जाता है।क्यों की जाती है डॉग्स की पूजा?:
मान्यता है कि कुत्ते मृत्यु के स्वामी यमराज के दूत होते हैं।
इसीलिए उनकी पूजा की जाती है। सिलीगुड़ी के फेमस एनिमल लवर संगठन एनिमल हेल्पलाइन ने कुकुर तिहार को बड़े उत्साह से मनाया। इस स्वयंसेवी संस्था के मेंबर्स ने कुकुर तिहार के दिन लगभग 100 स्ट्रीट डॉग्स को नहलाया और उनकी पूजा की। कुकुर तिहार के मौके पर उन्होंने कुत्तों के बढ़िया खाना भी बनवाया. जो कुत्तों ने बड़े चाव से खाया।कुकुर तिहार क्यों है इतना खास?: एनिमल हेल्पलाइन प्रिया रुद्रा ने कहा कि दुर्गा पूजा और काली पूजा की तरह कुकुर तिहार भी हमारे लिए खास दिन है. इस दिन हम डॉग्स का खास ख्याल रखते हैं. हम उनकी पूजा करते हैं और उन्हें विशेष खाना खिलाते हैं. यह त्यौहार इसलिए भी खास है क्योंकि सभी त्यौहार तो इंसानों के लिए होते हैं लेकिन यह बेजुबानों के लिए है। कुकुर तिहार हमें बताता है कि एनिमल भी हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं।
मॉरीशस में हिंदू समुदाय मॉरीशस की आबादी का लगभग 50 फीसदी है, इसलिए यहां दिवाली बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। मलेशिया में दिवाली को हरि दिवाली के नाम से जाना जाता है, जबकि रीति-रिवाज भी भारत में अपनाए जाने वाले तरीकों से थोड़े अलग हैं. इस दिन लोग सुबह तेल से नहाते हैं और फिर पूजा करने के लिए मंदिरों में जाते हैं. हालांकि मलेशिया में पटाखों की बिक्री पर बैन है। श्रीलंका भी दिवाली बहुत उत्साह से मनाता है और ये देश के सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक है. चूंकि ये त्यौहार विशेष महत्व रखता है, इसलिए इस दिन को नेशनल हॉलिडे रखा जाता है।नेपाल में दिवाली को तिहाड़ के नाम से भी जाना जाता है. नेपाल इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाता है. लोग घरों को दीया से सजाते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. दिवाली नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।
सिंगापुर में दिवाली बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दौरान यहां का माहौल बिलकुल भारत की तरह होता है।
कनाडा में भी दिवाली का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि, इस दिन यहां नेशनल हॉलिडे नहीं होता है। इसके बावजूद भारतीयों की अच्छी-खासी तादाद होने से लोग पर्व को मनाते हैं। यूनाइटेड किंगडम में कई शहर हैं, जहां दिवाली को काफी हर्षोउल्लाहस के साथ मनाया जाता है. इन शहरों में लीचेस्टर और बर्मिंघम शामिल है. यहां हिंदुओं की संख्या काफी है। थाईलैंड में दिवाली को लैम क्रियॉन्ग के नाम से मनाया जाता है. ये त्योहार लगभग दिवाली की तरह होता है। थाई कैलेंडर के अनुसार ये साल के 12वें महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। @ रिपोर्ट अशोक झा