क्रिसमस के केक पर बनाया श्रीराम मंदिर का भव्य आकार

सिलीगुड़ी: क्रिसमस के मौके पर सिलीगुडी के केक की बात ही कुछ और होती है। यहां के केक देश के साथ विदेशों तक भेजा जाता है। यहां केक बनाने वाले हर वर्ष किसी विशेष थीम पर केक का निर्माण करते है। कोविड 19 की वजह से दो वर्षों में केक का बाजार लगभग ठप था। इस वर्ष जमकर खरीदारी की जा रही है। इस वर्ष सिलीगुड़ी के एक केक कलाकार ने राम मंदिर की थीम पर क्रिसमस का केक बनाया है। केक आर्टिस्ट प्रियंका डे ने बात करते हुए कहा, कि जैसे हम सब जानते हैं कि राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होने वाला है…मैं हमेशा से इससे जुड़ा कुछ करना चाहती थी। इसलिए केक में श्री राम मंदिर को उतारने का प्रयास किया गया है। यह कौन खरीदकर रखता है देखना है। राम के दीवाने सिर्फ एक नहीं कई है।
इससे पहले सूरत में एक हीरा व्यापारी ने राम मंदिर की थीम पर एक खूबसूरत हार तैयार कर अपना योगदान दिया। ज्वेल्स के निदेशक कौशिक ने बताया, ‘हार में 5000 से ज्यादा अमेरिकी हीरों का उपयोग किया गया है। यह 2 किलो चांदी से बना है, हम अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर से प्रेरित थे। यह किसी व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं है। हम इसे राम मंदिर को उपहार में देना चाहते हैं। हमने इसे इस इरादे से बनाया है कि हम राम मंदिर को भी कुछ उपहार दें। हार की डोरी में रामायण के मुख्य पात्रों को उकेरा गया है।22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा: बता दें अयोध्या में भगवान श्रीराम के नवनिर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है। राम मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि दिसंबर के आखिर तक फिनिशिंग और फर्स्ट फ्लोर का निर्माण पूरा हो जाएगा। इंजीनियर्स की देख-रेख में आठ-आठ घंटे की 3 शिफ्टों में मंदिर निर्माण का काम बेहद तेज गति से चल रहा है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। ऐसे में हर तरफ इस कार्यक्रम को लेकर चर्चाएं तेज हैं। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के हाथों होगी। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए हजारों लोगों को निमंत्रण दिया गया है। वहीं राम मंदिर के पुजारी का चयन भी हो गया है। पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. वैसे ईसाईयों के लिए ये सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. लेकिन अब ये पर्व सिर्फ ईसाईयों तक ही सीमित नहीं रह गया है वर्तमान समय में इसे पूरी दुनिया में सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्रिसमस डे 25 दिसबंर को ही क्यों मनाया जाता है: इसे किसी अन्य दिवस पर क्यों नहीं मनाया जाता है। आखिर लोग इतना क्यों सजते हैं केक काटते हैं संता क्लॉज बनते हैं लोगों को गिफ्ट देते हैं। चलिए आज हम बताएंगे इसके पीछे की वजह पूरी कहानी। क्रिसमस 25 दिसंबर को लेकर कई कहानियां सुनने को मिलते हैं। लेकिन माना जाता है कि इस दिन जीजस क्रिस्ट ने धरती पर जन्म लिया था। उन्हें सन ऑफ गॉड कहा जाता है। उनके नाम क्रिस्ट क्राइस्ट की वजह से ही बाद में क्रिसमस नाम दे दिया गया। ईसाई धर्म के अनुसार कहा जाता है कि यीशु की मां मरियम ने पहले की बता दिया था कि 25 दिसंबर को वो मां बनने वाली है। भविष्यवाणी के अनुसार 25 दिसंबर को ही मां मरियम ने एक बच्चे को जन्म दिया जो यीशु थे।
दूसरी कहानी के अनुसार
दूसरी कहानी के अनुसार एक समय के बात है कुछ चरवाहे अपनी भेड़ चरा रहे थें। तभी एक देवदूत आया जिसने लोगों से कहा कि शहर में एक बच्चे ने जन्म लिया है जो लोगों की मदद करेगा सबको मुक्ति दिलाएगा। इसके साथ ही कहा कि वो बच्चा कोई नहीं भगवान यीशू हैं। इसके बाद बच्चों लोगों की भीड़ लग गई यीशु को देखने के लिए भीड़ लग गई। इसके बाद से 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाने लगा।
तीसरी कहानी :वहीं इस पर एक कहानी है जिसमें कहा जाता है कि क्रिसमस डे यीशु के जन्म के पहले से ही मनाया जा रहा है। इस पर कुछ इतिहासकारों का कहना है क्रिसमस डे को रोमन पर्व सैंचुनेलिया का ही एक दूसरा स्वरूप है। इतिकारों की मानें तो साल 137 में रोमन बिसप ने इसे मनाने के लिए ऑफिशियली ऐलान कर दिया था लेकिन इसका कोई डेट नहीं रखा गया था। हालांकि साल 350 में रोमन बिसेप जूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाने का ऐलान किया।रिपोर्ट अशोक झा

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