अलग राज्य की मांग को लेकर ऑल कामतापुर स्टूडेंट्स यूनियन का रेल रोको आंदोलन शुरू
सिलीगुड़ी : ऑल कामतापुर स्टूडेंट्स यूनियन (AKSU) (कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन) ने एक अलग कामतापुर राज्य, कामतापुर भाषा को मान्यता देने और जीवन सिंह के साथ शांति संधि के शीघ्र समापन की मांग की। इस संगठन के आह्वान पर बेटगारा से सटे नुन्याबारी इलाके के मयनागुड़ी में शुक्रवार सुबह से 12 घंटे का रेल रोको कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस दिन सुबह 7 बजे से रेल रोको कार्यक्रम शुरू हो गया। केपीपी और अक्सू समर्थक आज सुबह बेटगारा स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर एकत्र हुए। इसके बाद आंदोलनकारी रेलवे लाइन पर बैठ गये. इस बीच, इस नाकाबंदी के कारण विभिन्न ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों पर फंसी रहीं। परिणामस्वरूप रेल यात्रियों को अत्यधिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। न्यू जलपाईगुड़ी से गुवाहाटी जाने वाली एन्नाकुलम एक्सप्रेस बेटगरा स्टेशन पर, कामरूप एक्सप्रेस न्यू मैनागुड़ी स्टेशन पर, एन्नाकुलम एक्सप्रेस दोम्हानी स्टेशन पर, ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस जलपाईगुड़ी रोड स्टेशन पर, उत्तरबंगा एक्सप्रेस रानीनगर स्टेशन पर फंसी रही। बंदे भारत के अलावा बाकी ट्रेनों में पीने के पानी और खाने की दिक्कत हुई. जिससे यात्रियों में काफी आक्रोश व्याप्त हो गया। कामतापुर पीपुल्स पार्टी यूनाइटेड के नेतृत्व में गाजोल ब्लॉक के फुटबॉल मैदान में आयोजित एक आमसभा को सम्बोधित करते हुए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के पूर्व सुप्रीमो और यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट्स के प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा हैं क़ि अब तक पहाड़ की जनता के सहयोग से सिर्फ पहाड़ों पर चुनाव प्रचार करते आये हूँ. लेकिन इस बार अलग राज्य की मांग को लेकर सभी छोटे-बड़े क्षेत्रीय संगठनों को लेकर आंदोलन करूंगा। इस आंदोलन में आदिवासी, राजवंशी, बिहारी, बंगाली, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी होंगे. आठ दलों ने अलग राज्य के लिए संयुक्त मोर्चा का गठन किया है । यह संगठन अलग राज्य की मांगों को लेकर आंदोलन चला रहा है।हमने केंद्र और राज्य सरकार के समक्ष विशिष्ट मांगें रखी हैं. लेकिन अभी तक हमें चर्चा के लिए कोई कॉल नहीं आया है.’ मांगें पूरी नहीं होने पर अगले दिन के बड़े आंदोलन में शामिल होऊंगा।
उल्लेखनीय है क़ि लोकसभा चुनाव से पहले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के पूर्व सुप्रीमो बिमल गुरुंग भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित मैदानी इलाकों, विशेष कर मालदा आ रहे हैं. इस बीच मालदा में बिमल गुरुंग की लगातार दो बैठकों कर चुके है, सिर्फ इतना ही नहीं दो अलग-अलग क्षेत्रीय संगठनों के साथ आंतरिक बैठकें भी कर चुके है। यही कारन है क़ि राज्य के खुफिया अधिकारियों ने उन पर नजर रखनी शुरू कर दी है. मालदा जिले के 15 ब्लॉकों में हिंदू समुदाय के अलावा, कुछ में आदिवासी, राजवंशी, मटुआ समुदाय रहते हैं, कुछ अल्पसंख्यक हैं, और कुछ में बिहारी मारवाड़ी मुदाय रहते हैं। लेकिन पिछले 15 दिनों में बिमल गुरुंग ने मालदा के अल्पसंख्यक बहुल कालियाचक में दो बैठकें कर चुके है। रविवार को कामतापुर पीपुल्स पार्टी यूनाइटेड के नेतृत्व में गाजोल ब्लॉक के फुटबॉल मैदान में एक आमसभा का आयोजन किया गया था इस गाजोल ब्लॉक में आदिवासी, मतुआ और राजवंशी रहते हैं। वहीं संबंधित संगठन के मुख्य वक्ता के रूप में यूनाइटेड फ्रंट फॉर सेपरेट स्टेट के मुख्य जन प्रतिनिधि बिमल गुरुंग उपस्थित थे. साथ ही बिमल गुरुंग ने अचानक एक संगठन को बुलाया और झारखंड की सीमा से लगे कालियाचक 2 ब्लॉक के अल्पसंख्यक बहुल इलाके पंचानंदपुर में एक सार्वजनिक बैठक की। इस बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा की इस बार अलग राज्य के लिए आंदोलन आदिवासी, राजवंशी, बिहारी, बंगाली, अल्पसंख्यक समुदाय सभी को साथ लेकर होगा।
क्या है कामतापुर राज्य की मांग
कामतापुर आंदोलन को राजबंशी आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरी बंगाल के आठ जिलों और असम के बोंगाईगांव, धुबरी और कोकराझार जिलों में रहने वाले मूल निवासी कामतापुरी अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। कामतापुरी या राजबंशी असम, उत्तर बंगाल, बिहार के पूर्णिया जिले, मेघालय के कुछ हिस्सों के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के कुछ क्षेत्रों में बसी हुई है। इनकी जड़ें कामता साम्राज्य से जुड़ी हैं। 16वीं शताब्दी में कूच साम्राज्य का इस समुदाय पर शासन था। राजबंशियों को अलग-अलग राज्यों में अलग दर्जा मिला हुआ है। असम-बिहार में इन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल किया जाता है। वहीं पश्चिम बंगाल में इन्हें अनुसूचित जाति और मेघालय में अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाता है। कूच-राजबंशी अपनी कामतापुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग कर रहे हैं। रिपोर्ट अशोक झा