सांप के जहर का अंतरराष्ट्रीय गिरोह सिलीगुड़ी कोरिडोर में सक्रिय, 5 करोड़ का जहर बरामद तीन गिरफ्तार
10 वर्षों में 500 करोड़ से अधिक का जहर तस्करो से बरामद
सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिला के कर्सियांग डिवीजन के बागडोगरा वन विभाग की टीम ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के साथ सिलीगुड़ी से 30 किलोमीटर दूर मुरलीगंज में छापेमारी कर सांप के विष के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपियों के पास से दो जार बरामद किये गए है। दो जार से कुल 3 किलो 798 ग्राम सांप का जहर बरामद किया गया है। इसका अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य 5 करोड़ से अधिक है। गिरफ्तार लोगों की पहचान मोहम्मद शाहनवाज, तौहीद आलम और मोहम्मद अजमल के रूप में हुई है। तीनों उत्तर दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर के रहने वाले हैं। सांपों के जहर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों की होती है। तस्करों को इसमें मोटी रकम मिलती है। सभी आरोपी को आज सिलीगुडी अदालत में पेश कर रिमांड पर लेगी। जानकारी के अनुसार सांप के जहर को बांग्लादेश में तस्करी किया जाना था। लेकिन इसके पहले ही आरोपियों को जहर के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया गया की गुप्त सूत्रों के आधार पर यह कारवाई सफल रही। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने मुरलीगंज में एक चार पहिया वाहन और एक स्कूटर को जब्त किया। इनकी तलाश करने पर सांप का जहर बरामद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय तस्करी के इस दिनों सेफ जॉन बनता जा सिलीगुड़ी गलियारे: अंतरराष्ट्रीय तस्करी के इस दिनों सेफ जॉन बने सिलीगुड़ी गलियारे के साथ-साथ एक ज्ञात अवैध अंतर्राष्ट्रीय पशु अंग व्यापार मार्ग से सांप के जहर की बरामदगी धीरे-धीरे एक आम बात होती जा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 का 120 किलोमीटर का हिस्सा उत्तर पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है, पूर्व में असम और पश्चिम में बिहार के साथ, बांग्लादेश और चीन के लिए गलियारे के निकट और नेपाल और भूटान की खुली सीमाओं के साथ तस्करों के लिए आसान मार्ग प्रदान करता है। आपूर्ति लाइनों को उत्तर पूर्व के जैव विविधता हॉटस्पॉट और बंगाल की तलहटी की ओर से चालू रखा जाता है, जिसमें 8 संरक्षित वन और कई अन्य जंगल क्षेत्र शामिल हैं।
सांप जहर इस्तेमाल एंटी वेनम दवा बनाने के लिए : जहर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटी वेनम दवा बनाने के लिए सांपों के जहर का इस्तेमाल होता है। इसे बनाने के लिए बेहद कीमती सांपों के जहर की तस्करी का अंतराष्ट्रीय रैकेट है। चीन-नेपाल के रास्ते भारत में सांपों की तस्करी हो रही है। तस्करी का रास्ता पूर्वोत्तर में नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश से बंगाल होते हुए दिल्ली और मुंबई तक पहुंचता है। इस रैकेट में सांपों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाले लोग एक-दूसरे को जानते तक नहीं।
500 करोड़ से ज्यादा का जहर बरामद: सांप के जहर की तस्करी खासकर बांग्लादेश-बंगाल बॉर्डर पर होती है। जानकारी के मुताबिक बीते 10 सालों में बीएसएफ ने 500 करोड़ से ज्यादा का सांप का जहर बरामद किया है। जानकारी के मुताबिक इस सांप के जहर का यूज ड्रग्स में किया जाता है। तस्कर इसे इस तरह से बोतल में पैक करते हैं, जैसे ये देखने में किसी परफ्यूम की बोतल की तरह लगता है। पूर्वी भारत में ‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ वन्यजीव-मूल वस्तुओं और पशु शरीर के अंगों के तस्करों के लिए एक अड्डा बना हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक यहां से अवैध तस्करी का 20 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है, इसमें सांप का जहर भी शामिल है।अधिकारियों की मानें तो आदिवासी इलाकों से सांप के जहर को सपेरों से सस्ते दामों में खरीदा जाता है। बीते दिनों एक मामले में सामने आया था कि एक किलो सांप के जहर के बदले सपेरों को 10 लाख रुपये दिए गए, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्कर ने इस सांप के जहर की कीमत एक करोड़ से ज्यादा की लगाई थी। कई बार दुर्लभ सांपों और डिमांड वाले सांपों के जहर की कीमत 2 से 5 करोड़ रुपये तक मिलती है। सपेरों की मानें तो 1 लीटर सांप का जहर एकत्र करने के लिए करीब 200 सांपों का जहर निकालना पड़ता है। करने के लिए करीब 200 कोबरा की जरूरत पड़ती है।
सांप का जहर जिसे स्नेक वेनम (जहर) कहा जाता है होता है नशा के लिए प्रयोग : आपको बता दें कि नशे की चाहत में इसका आदी व्यक्ति कहां तक जा सकता है। भारत में अलग अलग तरह के ऐसे ड्रग्स हैं जो आसानी से मिल जाते हैं। चरस, गांजा और कोकीन इन ड्रग्स का इस्तेमाल तो अब बहुत आम हो गया है। लेकिन इसके अलावा अब एक नया ड्रग्स बहुत तेजी से नशे की दुनिया में अपने पैर पसार रहा है। सांप का जहर जिसे स्नेक वेनम (जहर) कहा जाता है। हांलाकि भारत के कुछ इलाकों में स्नेक वेनम को नशे के तौर पर इस्तेमाल करना आम हो रहा है। बड़े-बड़े शहरों में होने वाली रेव पार्टी में होने वाला ये नशा इतना मंहगा है कि इसके 1 ग्राम के लिए आपको बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ती है। इंजेक्शन से सांप के जहर को किया जाता है हल्का
दरअसल जिन खतरनाक सांपों के जहर को लोग नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं। उन सांपों को पहले एक इंजेक्शन लगाया जाता है। ताकि सांप का जहर जानलेवा न रहे। इंजेक्शन लगाकर सांपों के जहर को हल्का कर दिया जाता है। इंजेक्शन लगने के बाद जब सांपों का जहर हल्का हो जाता है, तो इन सांपों से लोग खुद को कटवाते हैं। जिसे स्नेक बाइट कहते हैं। यह जहर पांच से छह दिन तक इंसान के शरीर में असर रखता है। कोबरा के 1 मिली. जहर की कीमत बाजार में 10 हजार से 25 हजार रुपये तक होती है, जो चोरी छिपे बेचा जाता है। आमतौर पर किसी भी सांप के जहर को निकाल कर उसे सूखा कर पाउडर बनाकर भी बेचा जाता है। जिसे बाद ड्रिंक्स में मिला कर इसका इस्तेमाल होता है। मीडिया में हम कभी-कभी कहते हैं कि सांप का जहर बहुत महंगा होता है.. हम जानते हैं कि एक बूंद या दो बूंद भी लाखों की हो सकती है। इस तरह के सांप के जहर को विदेशों में एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जाता है। लेकिन भारत में सांप का जहर बेचना कानूनी अपराध है। ।इसके साथ ही पुलिस उन लोगों को पकड़ रही है जो हाल के दिनों में नियमित रूप से सांप का जहर सप्लाई कर रहे हैं. हाल ही में देश की सीमा पर सांप का जहर पकड़े जाने से स्थिति राष्ट्रीय रक्षा के लिए खतरे में बदल गई है। तस्करों ने सुरक्षाकर्मियों की आंखों पर पट्टी बांधकर देश में सांप के जहर की तस्करी करने की कोशिश की। अधिकारियों ने दावा किया कि सांप के जहर वाली बोतल पर “मेड इन फ्रांस” लिखा हुआ था। पुलिस और सीमा सुरक्षा अधिकारी फरार तस्करों की तलाश कर रहे हैं। अधिकारियों ने पूरे जहर की पहचान किंग कोबरा के जहर के रूप में की। अधिकारियों का मानना है कि खुले बाजार में जहर की कीमत करीब करोड़ रुपए है।
सांप के जहर के कई फायदे भी है : सांप के जहर के कई फायदे हैं। कई रसायनों और अन्य उत्पादों को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले इस सांप के जहर की मांग पूरी नहीं है। इसलिए देश भर में इस जहर की तस्करी की बात हो रही है। सांप के जहर को भारत लाने के प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि विदेशों में सांप के जहर की तस्करी के मामले में इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन भारत में सांप के जहर की तस्करी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कई जगह सांप का मामला तूल पकड़ रहा है। सांप के जहर की तस्करी को जल्द से जल्द रोकने के लिए और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। एजेंसी के मुताबिक, इंटरनेशनल रैकेट सांप के जहर के लिए कोडवर्ड (ड्रैगन, K-72 और K-76) का इस्तेमाल करते हैं। जबकि भारत में ड्रग रैकेट का कोडवर्ड किंग रहता है। सांप के जहर से रेव पार्टियों में नशा कैसे करते हैं लोग? दरअसल सांपों को लेकर लोगों के मन में एक फोबिया होता है कि सभी जहरीले होते हैं, जबकि सच्चाई ये है कि अधिकांश सांप जहरीले नहीं होते और रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 30 फीसदी सांपों में ही जहर पाया जाता है। इन सांपों में भी कुछ सांपों के जहर का असर इंसान के दिमाग में होता है और दिमाग सुन्न हो जाता है। वहीं कुछ सांपों के जहर का असर इंसान के खून में होता है, जिससे खून जम जाता है। आमतौर पर जो लोग नशे के लिए सांपों के जहर का इस्तेमाल करते हैं, वह उस सांप का जहर लेते हैं, जो दिमाग को सुन्न करता है। हालांकि इस जहर की डोज बहुत हल्की रखी जाती है क्योंकि इसका ज्यादा डोज पैरालाइसेस अटैक ला सकता है। इस जहर के हल्के डोज से इंसान का दिमाग कुछ घंटों के लिए सुन्न हो जाता है। सांपों के जहर से बना नशा, बाकी नशों से बहुत तेज होता है और उसका असर भी खतरनाक हो सकता है। इसकी ज्यादा मात्रा से मौत हो सकती है। रिपोर्ट अशोक झा