इस्कान में मनाया गया चैतन्य महाप्रभु का 534 वाँ आगमन महोत्सव

सिलीगुड़ी: चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्योत्सव ‘गौर पूर्णिमा’ के शुभ अवसर पर सिलीगुड़ी इस्कॉन मंदिर में श्री चैतन्य महाप्रभु का 534वाँ आगमन महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।दिन भर असंख्य भक्त मौजूद रहे। सोमवार की शाम ‘फूलों की होली’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ।भगवान श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का अवतार आज से 535 वर्ष पूर्व बंगाल के नवद्वीप (मायापुर) नामक स्थान में हुआ था, उन्होंने जातपात और सांप्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठकर हरिनाम संकीर्तन के द्वारा समाज में प्रेम, शांति एवं करुणा की स्थापना की।कृष्ण सुंदरता के प्रतीक है , रंगों के प्रतीक है और यह रंग ही है जो हमारे जीवन में नई ऊर्जा और स्फूर्ति लेकर आते है। श्री श्री कृष्ण मंदिर बलराम मंदिर में भी इन दिनों आध्यात्मिक ऊर्जा का एक नया संचार हो रहा है। 25 मार्च की शाम को गौर पूर्णिमा का उत्सव इस्कॉन मंदिर प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया।
विभिन्न फलो के रस एवं 108 कलशों के पवित्र जल के साथ हुआ अभिषेक: गौर पूर्णिमा उत्सव पर पूरे मंदिर को रंग – बिरंगी लाईटों से सजाया जाएगा। श्री गौर पूर्णिमा पर श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भगवान का दिव्य अलौकिक पोशाक एवं फूल बंगले के साथ भव्य श्रृंगार किया गया। मंदिर के जन संपर्क अधिकारी नाम कृष्ण दास ने कहा कि दिव्य महाअभिषेक पंचगव्य ,विभिन्न फलों के रस से एवं 108 कलशों के पवित्र जल के साथ किया गया।
भगवान खेलें भक्तों के साथ फूलों की होली
गौर पूर्णिमा पर प्रभु श्री बलराम को 56 भोग अर्पण किए गए। श्री श्री कृष्ण बलराम पालकी उत्सव में भक्तों के साथ फूलों की होली खेलेंगे और भक्त हरी नाम संकीर्तन पर झूमें। बताया की गौर पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की यह उत्सव श्री चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य दिवस है । उनके सुनहरे रंग के कारण उन्हे गौरंग महाप्रभु भी कहा जाता है। उनके माता-पिता ने उनका नाम निमाई रखा ,क्योकि उनका जन्म उनके पैतृक घर के आंगन में एक नीम के पेड़ के नीचे हुआ था। रिपोर्ट अशोक झा

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