मालगाड़ी के दो लोको पायलट, कंचनजंगा के एक गार्ड सहित नौ की मौत
आज मनाएंगे निर्मलजोत गांव के लोग बकरीद, कल दिनभर थे राहत बचाव कार्य में व्यस्त
अशोक झा, सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिले स्थित निजबाड़ी और रंगापानी रेलवे स्टेशन के बीच बड़ा ट्रेन हादसा में नौ लोगों की मौत की पुष्टि कटिहार रेल मंडल के अपर मंडल रेल प्रबंधक मनोज कुमार सिंह ने किया है। उन्होंने बताया कि कटिहार रेल मंडल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के 10 किलोमीटर पहले रंगापानी और निजवारी स्टेशन के बीच खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस में मालगाड़ी ने भीषण टक्कर मार दी। जिसमें मालगाड़ी के दोनों लोको पायलट और कंचनजंघा के गार्ड की इस हादसे में मौत हो गयी है। कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड, मालगाड़ी के लोको पायलट अनिल कुमार, असिस्टेंट लोको पायलट मोनू कुमार की तथा कंचनजंगा के गार्ड आशीष डे सहित नौ लोगों की मौत हो गयी है। एक सब इंस्पेक्टर की पहचान की जा चुकी थी। जो छुट्टी बिताकर मालदा अपने ड्यूटी पर जा रहा था। अन्य मृतक की पहचान की जा रही है। मरने वालों में मालगाड़ी का लोको पायलट और पैसेंजर ट्रेन का गार्ड भी शामिल है। कल देर रात से इस ट्रेक से ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ हो गया था। आज भी तेज बारिश में लगातार साइड पर काम चल रहा है। यह हादसा सुबह करीब 8.55 बजे न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 किमी दूर रंगपानी स्टेशन के पास हुआ। मालगाड़ी के इंजन की टक्कर के बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस के पीछे के चार डिब्बे पटरी से उतर गए थे। रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा, टक्कर इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की। हालांकि, सिन्हा ने स्वीकार किया कि रेलवे की ‘कवच’ (ट्रेन टकराव रोधी प्रणाली) गुवाहाटी-दिल्ली मार्ग पर एक्टिव नहीं है, जहां दुर्घटना हुई है। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है। इस हादसे के बाद इलाके में गम का माहौल देखा जा रहा है। जहां हादसा हुआ। वहां स्थानीय लोगों ने सोमवार को बकरीद का त्योहार नहीं मनाया। पूरा गांव बचाव और राहत कार्य में जुटा रहा. युवाओं की टोली ने घायलों को बोगियों से निकाला और मेडिकल कॉलेज भेजा। प्रत्यक्षदर्शियों ने आजतक से बातचीत में पूरी घटना के बारे में जानकारी दी है।
निर्मलज्योत क्षेत्र में आज मनाई जाएगी बकरीद:
ये रेल हादसा सिलीगुड़ी के निर्मलज्योत क्षेत्र में हुआ है। हादसे के कारण निर्मलज्योत क्षेत्र के ग्रामीणों ने सोमवार को बकरीद नहीं मनाई। अब यहां के लोग आज यानी मंगलवार को बकरीद मनाएंगे।ग्रामीणों ने खुद फैसला लिया था। स्थानीय निवासी कहते हैं कि जब हादसा हुआ, तब तक हम लोग ईद की नमाज पढ़ चुके थे। हादसे से गम का माहौल था, इसलिए हम लोगों ने मिलकर तय किया कि कुर्बानी कल (मंगलवार) करेंगे। भाईचारे के नाते हमने फैसला लिया है। गांव वालों ने जैसे ही हादसे के बारे में सुना तो मौके पर पहुंचे और राहत बचाव कार्य में लग गए। किसी का हाथ कटा था, किसी का पैर। किसी के सिर में जख्म थे। उन लोगों को हमने निकाला और अस्पताल पहुंचाया।।ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बचाव कार्य में मदद की. गांव में करीब 80 घर हैं।
युवा एकत्रित हुए और मदद के लिए पहुंचे: एक अन्य स्थानीय टोटो चालक गौतम घोष का कहना था कि सुबह 8.30 हादसा हुआ। बहुत तेज आवाज आई। मौके पर पहुंचे तो देखा कि दो ट्रेनें टकरा गई हैं। एक्सप्रेस ट्रेन को सिग्नल नहीं मिल पाया था. इसी बीच पीछे से मालगाड़ी ने आकर टक्कर मार दी। जो बच गए थे, उन लोगों को बचाने के लिए दोस्तों के साथ मदद की. करीब 30-40 लोगों ने मिलकर बचाव कार्य किया। मदद के लिए चिल्ला रहे थे लोग: स्थानीय निवासी 21 साल के एमडी हसन का कहना था कि हमने लोगों को मदद मांगते हुए चीखते-चिल्लाते सुना। रंगापानी का संजय कुमार का कहना है कि
वहां जाकर देखा तो लोग बोगियों में फंसे हुए थे। हमने उन्हें बाहर निकाला और मेडिकल कॉलेज भेजा. जब हमने लोगों को बाहर निकाला तो वे बुरी हालत में फंसे हुए थे। हम लोगों ने अपने वाहनों से करीब 12-15 लोगों को अस्पताल भेजने में मदद की।हादसे में कंचनजंगा एक्सप्रेस के पीछे की दो बोगियां पूरी तरह डैमेज हो गई थीं।मालगाड़ी के घायल ड्राइवर को बाहर निकाला: एमडी महबूब का कहना था कि मालगाड़ी में दो ड्राइवर थे। इनमें एक की मौत हो गई और दूसरा घायल था। हमने मालगाड़ी के उस घायल ड्राइवर को बाहर निकाला था। उस समय वो ड्राइवर बात करने की हालत में था। हमने पूछा कि हादसा कैसे हुआ तो उसने बताया था कि गुड्स ट्रेन कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई और फिर वो बेहोश हो गया। हम उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। नमाज पढ़कर लौट रहे थे ग्रामीण: एक अन्य स्थानीय निवासी का कहना था कि हम लोगों ने देखा कि मालगाड़ी स्पीड में आई और कंचनजंगा एक्सप्रेस में जोर से टक्कर मार दी। लोग चिल्लाने लगे। हम लोग नमाज पढ़ने के बाद आए और मदद करने लगे। उसके बाद घायलों को मेडिकल कॉलेज भेजा. ये घायल शायद जनरल बोगी में सवार थे। लोग बचाने की गुहार लगा रहे थे और बुरी हालत में थे। रेस्क्यू ऑपरेशन में आई परेशानी: स्थानीय लोगों का कहना था कि चूंकि ये ग्रामीण इलाका है। ऐसे में यहां रास्ता ठीक नहीं है। बड़े वाहन नहीं आ सकते हैं। किसी तरह रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद की. एक ही ट्रैक पर दोनों गाड़ियां आई थीं। एक अन्य स्थानीय निवासी ने बताया कि हादसे के बाद दो बोगी तो सीधे खड़ी हो गईं थीं. जबकि तीसरी बोगी पटरी पर पलट गई. स्पीड बहुत तेज थी। दूसरी वाली ट्रेन स्लो स्पीड में चल रही थी।अस्पताल में 41 घायलों का इलाज: फिलहाल, सोमवार दोपहर तक दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान समाप्त हो गया था। बंगाल सरकार के अधिकारियों ने पुष्टि की कि कई घायलों का इलाज किया गया और उन्हें छुट्टी दे दी गई। 41 मरीज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती रहे. एक बच्चे समेत 9 मरीजों की हालत गंभीर बताई गई है।
तेज झटके लगे और ट्रेन रुक गई…एक यात्री के मुताबिक, तेज आवाज के साथ तेज झटके लगे और ट्रेन अचानक रुक गई।।उतरने पर देखा कि मालगाड़ी ने उनके रैक को पीछे से टक्कर मार दी है. घटना के समय मैं चाय पी रहा था, तभी ट्रेन अचानक झटके के साथ रुक गई। अपने परिवार के साथ यात्रा कर रही एक गर्भवती महिला ने कहा कि टक्कर लगने पर वो अपनी सीट से गिर गई. ये महिला एसी स्लीपर कोच में अपने परिवार के साथ बैठी थी. महिला का कहना था कि झटके भूकंप जैसे महसूस हुए. हमें खुद को संभालने और यह समझने में कुछ समय लगा कि क्या हुआ।काफी देर बाद रेस्क्यू शुरू हुआ: कोच संख्या एस 6 में सवार अगरतला के एक यात्री ने कहा कि उन्हें अचानक झटका महसूस हुआ. मेरी पत्नी, बच्चा और मैं किसी तरह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलने में कामयाब रहे.. बचाव अभियान भी काफी देर से शुरू हुआ। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यात्री ट्रेन खड़ी थी, तभी मालगाड़ी उससे टकरा गई. जांच में पता चला कि मालगाड़ी को सभी रेड सिग्नलों को पार करने की अनुमति दी गई थी क्योंकि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम फेल हो गया था. रेलवे बोर्ड ने कहा कि प्रारंभिक निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि मालगाड़ी चालक ने सिग्नल नियमों का उल्लंघन किया है।