जगद्गुरु का काशी में हुआ पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत, मुस्लिम महिलाएं उतारी आरती

जगद्गुरु का काशी में हुआ पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत, मुस्लिम महिलाएं उतारी आरती

*जगद्गुरु ने समावेशी भारत अभियान का किया शुभारम्भ*
*जाति, मजहब, लिंग के आधार पर हम किसी को राम से अलग नहीं कर सकते –जगद्गुरु*

* मैं सबका हूँ, सब मेरे हैं का नारा चलेगा
* 5 हजार साल के इतिहास के आधार पर भारत को पूर्वजों और परम्पराओं से जोड़ने का चलेगा अभियान
* जगद्गुरु बनाएंगे धर्म कैबिनेट, सभी देशों को मिलेगा प्रतिनिधित्व
* सभी धर्मों, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों को कैबिनेट में मिलेगा स्थान
* मुस्लिम महिलाओं ने जगद्गुरु की आरती की

*वाराणसी, 4 फरवरी।* भारत की महान सांस्कृतिक विरासत महाकुम्भ ने करोड़ों भारतीयों के हृदय में सनातन संस्कृति और परम्परा के प्रति गौरव का बोध कराया है। देश को एक करने के लिए तीनों अमृत स्नान के बाद कई संत प्रेम, दया, करुणा के साथ एकता का पाठ पढ़ाने महाकुम्भ से निकल गए हैं। जगद्गुरु बालक देवाचार्य के महाकुम्भ से काशी आने पर राजा तालाब, हरहुआ, बनियापुर, लमही में पुष्पवर्षा कर बैंड बाजे के साथ स्वागत किया गया। जगद्गुरु जब लमही पहुंचे तो सुभाष भवन में रहने वाले वनवासी समाज के बच्चों ने तीर धनुष के साथ जगद्गुरु को प्रणाम किया, दलित समाज की महिलाओं ने हाथों में राम ध्वजा लेकर जगद्गुरु की अगवानी की। मुस्लिम महिलाओं ने आरती कर स्वागत किया। विशाल भारत संस्थान के जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे ने महाराज जी की अगवानी की। लमही के सुभाष भवन में पहुँचने पर जगद्गुरु ने सुभाष मन्दिर में पुष्पों का हार पहनाकर परम पावन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आरती की और जय हिन्द का उद्घोष कर एक रहने का संदेश दिया। बाल आजाद हिन्द बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में जगद्गुरु को सलामी दी गयी।

रामपंथ एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में आयोजित जगद्गुरु चरण वंदन कार्यक्रम में पहुंचे हिन्दू और मुसलमानों ने जगद्गुरु का अभिनंदन किया। यह भारतीय संस्कृति की पहचान है जो किसी में भेद नहीं करती। वैसे भी जगद्गुरु सबके हैं। स्वयं जगद्गुरु ने उद्घोष किया कि “मैं सबका हूँ, सब मेरे हैं” तो भेद का कोई सवाल ही नहीं उठता।

हनुमान चालीसा फेम नाज़नीन अंसारी, डॉ० नजमा परवीन, खुर्शीदा बानो ने महाराज जी का तिलक और आरती से अभिनंदन किया।

जगद्गुरु बालक देवाचार्य के चरण वंदन कार्यक्रम में भाग लेने आए दलित और मुस्लिम समाज के लोगों में अपार उत्साह था क्योकि जगद्गुरु ने बिना किसी भेदभाव के सबको गले से लगाया और आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर समावेशी भारत अभियान का शुभारंभ किया।

रामपंथ के रामाचार्य ज्ञान प्रकाश ने जगद्गुरु के सम्मान में प्रशस्ति पत्र पढ़कर बताया कि जगद्गुरु जब पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर थे तब उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति के लिए लड़ रही मुस्लिम महिलाओं का समर्थन किया। दलित समाज के लोगों को पूजारी बनाने की वकालत की। आदिवासी समाज के बीच जाकर कुछ दिन तक रहे, राम परिवार भक्ति का आन्दोलन रामपंथ के माध्यम से चलाया। महिलाओं को पुजारी बनाने की वकालत की। मुसहर समाज को दीक्षित किया। मुस्लिम समाज को भारतीय संस्कृति से जोड़ा। किन्नरों को यज्ञ करने का अधिकार दिया। सबको रामभक्ति से जोड़ा। धर्म, मजहब, लिंग और जाति के भेद से समाज को मुक्त कराने का आदर्श प्रस्तुत किया।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने समावेशी भारत अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति समावेशी है। किसी को किसी भी तरह से संस्कृति से न अलग किया जा सकता है और न उनको अस्वीकार किया जा सकता है। जिन वजहों से हम एक हो सकते हैं, उनको इतिहास की किताबों से निकालकर लाना होगा और सबको एक सूत्र में बांधना ही सनातन संस्कृति का मूल उद्देश्य है।

जगद्गुरु बालक देवाचार्य ने अपने आशीर्वचन में कहा कि ऊंच नीच के भेदभाव से ग्रसित लोग सनातन संस्कृति को नहीं समझ सकते। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल है। कोई मजहब, जाति और लिंग को भेद का आधार न बनाए। केवल स्त्री रक्षा के लिए रामायण हुआ। जिस देश में एक स्त्री की रक्षा के लिए बड़े से बड़े युद्ध हो जाते हो, उस देश में महिला अपमान की बात करना भी पाप है। जब भगवान राम ने पशु पक्षियों में भेद नहीं किया, तो इंसानों में भेद कैसे हो सकता है। प्रेम, सौहार्द, करुणा, दया और सम्मान यह राम नाम से ही सम्भव है। हमारे वेद में महिलाओं को वो अधिकार दिया गया है, जो आज सम्भव नहीं हो पा रहा। भारत की महान संस्कृति को बचाने के लिए छुआछूत, भेदभाव मिटाना होगा। हम शीघ्र ही धर्म कैबिनेट बनाएंगे, जिसमें दुनियां भर के लोग शामिल किए जाएंगे। हमारे कैबिनेट में मुसलमानों, महिलाओं, दलितों, वनवासियों को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। अब विवाद से नहीं, संवाद से लोगों को जोड़ा जाएगा।

युवा परिषद के प्रदेश प्रमुख विवेकानन्द सिंह ने कहा कि युवा अब धर्म और संस्कृति के लिये काम करना चाहता है। राजनीतिक नेताओं के जिन्दाबाद से ज्यादा बेहतर है जगद्गुरु की जय। भारत भूमि को बचाने और समावेशी समाज बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

विशाल भारत संस्थान जौनपुर के जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे ने कहा कि हम लोगों का सौभाग्य है कि इस महान सांस्कृतिक आन्दोलन का हिस्सा बने। पूर्वजों की संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे, न किसी विदेशी संस्कृति को।

संचालन डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया। इस अवसर पर डॉ० मृदुला जायसवाल, नाज़नीन अंसारी, डॉ० नजमा परवीन, आभा भारतवंशी, खुर्शीदा बानो, नगीना बेगम, हफ़िजुननिशा, गुलशन खातून, इरमसबा, शंकर पाण्डेय, मयंक श्रीवास्तव, सत्यम राय, सौरभ पाण्डेय, सत्यम सिंह, सुधीर सिंह, शमशाद, शिवशरण सिंह, श्रियम सिंह, आकाश यादव, सोनू यादव, अब्दुल्ला दूबे, शक्ति सिंह, शिवम राय, सरोज, गीता, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, अफ़रोज पाण्डेय आदि लोग मौजूद रहे।

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