श्रीमद भागवत कथा में सभी देवों व स्वयं भगवान के रूप में दर्शाया गया श्री कृष्ण को: व्यास केशव कृष्ण महाराज
– शुक्रवार को होगा ध्रुव चरित्र, शिव विवाह का आयोजन
अशोक झा, सिलीगुड़ी: धर्म नगरी सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में डालमिया परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का शुभारंभ आज से भक्तिमय माहौल में प्रारंभ हुआ। कथा व्यास पर वृंदावन से आए केशव कृष्ण महाराज वाचक होंगे। कथा के पूर्व आज गुरुवार की सुबह श्री घाटा जी बालाजी मंदिर से गाजा बाजा के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। यह शोभायात्रा शहर का परिक्रमा कर अग्रसेन भवन पहुंची। इस मौके पर पूरा डालमिया परिवार समेत समाज के गणमान्य भक्ति परायण लोग उपस्थित थे। कथा व्यास केशव कृष्ण महाराज
ने बताया की श्रीमद् भागवत पुराण में सभी ग्रंथों का सार है। उन्होंने कहा की श्रीमद् भागवत कथा को प्रारंभ करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। यह भागवत की कथा भगवान की कृपा से प्राप्त हो पाती है। पहले दिन भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अधिक मास में इसके श्रवण का महत्व है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। ह कथा मृत्यु के भय को दूर करके भगवान की और आगे बढ़ाती है और भक्ति के साथ-साथ हमारे ज्ञान वैराग्य को बल देती है। श्रीमद्भागवत की कथा सात दिन का एक ऐसा आयोजन है। जिसमें सात सौपान है जिनके माध्यम से एक-एक करके हम प्रत्येक सोपान पर बढ़ते जाते हैं। अंत में अपने जीवन का लक्ष्य जान जाते हैं श्रीमद्भागवत में भक्तों की ऐसी दिव्य कथाएं हैं जिनको सुनकर हृदय में भक्ति का उदय होता है और साथ ही साथ मनुष्य के जीवन में सुधार होता है। वह मनुष्य अपना जीवन तभी पूर्ण कर सकता है जब वह भगवान की भक्ति करेगा। कहा कि कलयुग में सभी जीवों की मुक्ति का एक ही साधन है। भगवान के नाम से हम सभी अपनी जीवात्मा का कल्याण कर सकते हैं। 84 लाख योनि में एक मानव योनि ही ऐसी हैं, जो स्वर्ग की सीढ़ी है। इस सीढ़ी के माध्यम से हम अपनी जीवात्मा का मोक्ष करवा सकते हैं, भगवान के सत्संग से। इसलिए सभी भक्तों को भगवान के नाम का सत्संग अवश्य करना चाहिए।श्रीमद भागवत कथा हिन्दू धर्म के 18 पुराणों में से एक है। इसे भगवतम भी कहते है। इसका मुख्य उद्देश्य भक्ति मार्ग या योग है। श्रीमद भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण को सभी देवों व स्वयं भगवान के रूप में दर्शाया गया है। भागवत कथा में रस भाव की भक्ति को भी बताया गया है। इसमें भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओं का वर्णन किया गया है जिसके सार को सुनकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। भागवत कथा का श्रवण करके ही राजा परीक्षित को मुक्ति की प्राप्ति हुई थी। और इस बात का कलियुग में आज भी प्रमाण मिलता है। कहते है श्रीमद भागवत कथा सुनने से प्राणों को मुक्ति मिलती है। सत्संग और कथा के माध्यम से ही तो मनुष्य भगवान के चरणों में पहुँचता है। अगर मनुष्य कथा का श्रवण न करे तो इसी मोह माया से भरी दुनिया के चक्कर में रह जायेगा। इसीलिए मनुष्य को समय निकल श्रीमद भागवत कथा का अध्ययन करना चाहिए और भगवान निस्वार्थ सेवा करनी चाहिए। और अपने आने वाले पीढ़ियों को भी संस्कार सीखने चाहिए और उनको कथा सत्संग सुनाना चाहिए ताकि वो भी भक्ति के मार्ग पर बने रहे। और तो और हमारे प्यार श्री कृष्ण जी के रासलीला देखने के लिए देवों के देव यानी महादेव को भी एक गोपी का रूप धारण करना पड़ा। वैसे भागवत कथा हर मनुष्य के भाग्य में नहीं होती है बहुत भाग्यशाली ही होते है जिनके भाग्य में भागवत कथा श्रवण करने का अवसर होता है। देखा जाए तो भागवत कथा कलियुग में साक्षात् भगवान के दर्शन के बराबर होते है। श्रीमद भागवत कथा के स्मरण करने मात्र से हमारे सभी पाप नष्ट हो जाते है और अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने हेतु देवता गण भी तरसते रहते है। और मानव प्राणी को इस कथा का लाभ व आशीर्वाद आसानी से भी मिल सकता है। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से मानव जीवन का पूरी तरह से कल्याण हो जाता है। और कष्ट दूर हो जाते है।शुक्रवार को ध्रुव चरित्र, शिव विवाह का आयोजन होगा। कथा अपराह्न 3 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।