बांग्लादेश में क्यों हिंदुओं पर हो रहे है हमले, कहां गायब हो गए 10 लाख हिंदू परिवार
भारत बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा:
पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां हिंदूओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं जिससे उनका भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। इसकी जितनी निंदा की जाय कम है। विश्व हिंदू परिषद के सिलीगुड़ी प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने कहा की ऐसे में बड़ा सवाल है कि, इस हालात में क्या होगा हिंदुओं का भविष्य ? हालांकि, यह कोई पहला हिंसा नहीं जिसमें हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है, बल्कि बांग्लादेश में हिन्दू हमेशा से ही कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा है। वहीं, 2011 की जनगणना से पता चला कि 2000 से 2010 के बीच 10 लाख हिंदू बांग्लादेश से गायब हो गए हैं। वह कहां गए हैं इसकी किसी को कोई खबर ही नहीं है। साथ ही जमात-ए-इस्लामी पार्टी के कई नेताओं पर हिंदुओं को दुर्व्यवहार करने का आरोप है। अब यही पार्टी नई बांग्लादेशी सरकार में शामिल होगी, ऐसे में हिंदू समुदाय का भविष्य बड़ा सवाल है ? हाल ही में सर्वदलीय बैठक के दौरान बांग्लादेश की हिंसा पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की घटती आबादी के आंकड़ों का जिक्र करते हुए चौंका देने वाला खुलासा किया। इसमें उन्होंने बताया था कि, “वहां हिंदू अल्परसंख्यंकों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदुओं की आबादी बांग्लादेश में लगातार घटती रही है। पूर्वी बंगाल (पूर्वी पाकिस्तान) के लिए 1951 में की गई आधिकारिक जनगणना के अनुसार, यहां कुल आबादी में हिंदू 22 प्रतिशत थे। 1991 में यह आबादी घटकर 15 प्रतिशत रह गई थी। साल 2011 की जनगणना में यह संख्या सिर्फ 8।5 प्रतिशत रह गई। वहीं, मुस्लिम आबादी यहां लगातार बढ़ रही है। 1951 में मुस्लिमों की संख्या कुल जनसंख्याा का 76 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 91 फीसदी हो गई है। इसके बावजूद हिंदू, बांग्लादेश में सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है।हिंदुओं पर लंबे समय से बांग्लादेश में अत्याचार का शिकार होता आ रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार की ऐसी-ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्हें सुनकर किसी की भी रूह कांप जाना लाजमी है। इसमें मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंदू लड़कियों के रेप करने के कई मामले सामने आ चुके हैं। वहीं हिंदू अमेरिकन संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच एक करोड़ से अधिक हिंदूओं ने धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश छोड़ दिया था। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह है कि बांग्लादेश से हर साल दो लाख से अधिक हिंदू भाग जाते हैं। 5 अगस्त 2024 तक बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की नेतृत्व में ‘धर्मनिरपेक्ष ‘अवामी लीग सरकार सत्ता में रही, जो पिछले 15 वर्षों से शासन कर रही है। फिर भी हिंदुओं का धार्मिक शोषण कम नहीं हुआ। अब आप सोच सकते हैं कि मौजूदा हालात में हिंदुओं के साथ होने वाले धार्मिक उत्पीड़न का स्तर कितना बढ़ जाएगा, जब शेख हसीना के बाहर होने और उनकी कट्टरपंथी पार्टियां मिलकर सरकार बनाने जा रही हैं। इसका ट्रेलर भी दिखने लगा है। बांग्लादेश की स्थिति लगातार खराब हो रही है, हिंदू लोग निशाना बनाए जा रहे हैं। हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र भी उपद्रवियों के निशाने पर है। बताया जाता है कि इस समय अभी तक पूरे देश अराजकता का माहौल है। सड़कों, थानों से पुलिसवाले गायब हैं। मंगलवार की रात ढाका के कई इलाकों में दंगाइयों ने लूटपाट और आगज़नी की। सेना के एक मेजर जनरल को बर्खास्त कर दिया गया है। बड़ी बात ये है कि बांग्लादेश में राष्ट्रपति ने हिंसक प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार किए गए दंगाईयों को भी रिहा करने के आदेश भी दे दिए हैं। प्रदर्शनकारियों की ये बड़ी मांग थी जिसे बांग्लादेश की सेना की सलाह पर राष्ट्रपति ने मान लिया, लेकिन इसके बाद भी हालात बिगड़ रहे हैं। विदेश मंत्री एस .जयशंकर के अनुसार भारत सरकार डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए बांग्लादेश की सेना के साथ सम्पर्क में हैं, सेना से कहा गया है कि वो जल्दी हालात को काबू में करें और बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों और बांग्लादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस वक़्त बांग्लादेश में लगभग 19 हज़ार भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से 9 हज़ार छात्र हैं। बांग्लादेश में रहने वाले ज़्यादातर भारतीय छात्र भारतीय उच्चायोग की सलाह पर जुलाई महीने में ही अपने देश लौट आए थे। ये बात सही है कि भारत की इस वक्त दो चिंताएं हैं। पहली ये है कि बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों और वहां रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और दूसरी बात, बांग्लादेश से भारत आने वाले लोगों को रोकने की कोशिश करना, अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना। सरकार का फोकस अभी इस बात पर नहीं है कि बांग्लादेश में जो हुआ उसके पीछे कौन है। सरकार को चिंता बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा की है क्योंकि वहां हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में बांग्लादेश के 39 ज़िलों से हिंदुओं के घरों, दुकानों, मंदिरों पर हमले किए गए, तोड़फोड़ करने और लूट-पाट के साथ आग लगाने की खबरें आई हैं।पुलिस हिंदुओं पर हमले करने वालों को रोक पाने में नाकाम रही है। खुलना डिविज़न के मेहरपुर क़स्बे में दंगाइयों ने इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया। मूर्तियां: भले ही कट्टरपंथियों के हमलों की वजह से एक करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश से भागकर भारत आ चुके है । अब एक बार फिर से ऐसा ही ख़तरा मंडरा रहा है। बांग्लादेश में बरीशाल डिवीज़न के फिरोज़पुर ज़िले में दंगाइयों ने हिंदू बस्ती पर हमला किया, हिन्दुओं के घरों पर पथराव हुआ, लूटपाट हुई और फिर कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया। लोग जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भागे। इसी तरह के तमाम वीडियो बांग्लादेश से आ रहे हैं। इसीलिए हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। विश्व हिंदू महासंघ अस्मिता भंडारीकार्यवाहक अध्यक्ष विश्व हिंदू महासंघ (अंतर्राष्ट्रीय) ने कहा की इस घटना पर गंभीरता से ध्यान आकर्षित किया है, जो बेहद निंदनीय और बर्बर है और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शनकारियों की हिंसक गतिविधियां बेहद निंदनीय हैं। बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद, घटना वर्तमान में बदतर होती जा रही है। हिंदू मठों, मंदिरों, दुकानों और घरों पर हमलों की खबर से दुनिया भर के हिंदू दुखी हैं। लगभग 150 मिलियन हिंदुओं के खिलाफ यह हमला बांग्लादेशी हिंदुओं के मानवाधिकारों के खिलाफ हमला है। इसलिए, हम संपूर्ण हिंदू समुदाय से अनुरोध करते हैं कि वे बांग्लादेश के निर्दोष हिंदू समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं और अल्पसंख्यक लोगों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होने के लिए बांग्लादेश सरकार का ध्यान आकर्षित करें। साथ ही हम विश्व हिंदू महासंघ बांग्लादेश चैप्टर और उसके सभी हिंदू भाइयों और बहनों से अनुरोध करते हैं कि वे इस विपदा की घड़ी में एकजुट होकर सुरक्षित रहें और इस हिंसक घटना के प्रति सचेत रहें।इसलिए, सभी हिंदू परिवार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और बांग्लादेश सेना सरकार एकजुट होकर बांग्लादेश के हिंदू भाइयों और बहनों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए गंभीर हों। बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं के मंदिरों और घरों को निशाना बनाया जा रहा है, उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से लेना चाहिए। जितेंद्र सरीन ने कहा कि भारत को पूरी ताकत से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म का विरोध करना चाहिए, उनकी हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए। उन्होंने घोषणा की है की वहां से लौटने वाले सभी हिंदू भाइयों को मुफ्त में भोजन कराते रहेंगे। आरएसएस की ओर से भी सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाए। समाजसेवी और कई संगठन से जुड़े सीताराम डालमिया ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की जो ख़बरें आ रही हैं, वो चिंताजनक हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार हिंदुओं की रक्षा के लिए क़दम ज़रूर उठाएगी। संघ की चिंता जायज़ है। बांग्लादेश में जो हालात है, उससे सतर्क रहने की जरूरत है। सबको एक साथ मिलकर बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए खड़े होने की जरूरत है क्योंकि बांग्लादेश में इस वक्त कानून और व्यवस्था पूरी तरह ठप हो चुकी है। कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि इसके पीछे पाकिस्तान की आईएसआई का हाथ है। कहा कि भारत सरकार, बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए हर मुमकिन क़दम उठाए। भारत सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश के प्रताड़ित हिंदुओं की रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए और जो हिन्दू बांग्लादेश से भारत आना चाहते हैं, हमारी सरकार उनके लिए दरवाजे खोल दे। बांग्लादेश में इस वक्त हिन्दू खौफ के साये में जी रहे हैं। कट्टरपंथी और जमात-ए-इस्लामी के समर्थक हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं, उनकी संपत्तियों को लूट रहे हैं, मंदिरों को आग लगा रहे हैं, हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं। जो तस्वीरें वहां से आ रही हैं वो वाकई परेशान करने वाली हैं। मुसीबत ये है कि हिन्दू इस वक्त बांग्लादेश से भागकर भारत भी नहीं आ सकते क्योंकि हर तरफ सड़कों पर खून के प्यासे दंगाई घूम रहे हैं। अब वे लोग खामोश हैं जो पिछले एक साल से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे थे। हालांकि सरकार ने बांग्लादेश के फौजी अफसरों से संपर्क किया है, डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है लेकिन मुश्किल ये है कि बांग्लादेश में फिलहाल न तो कोई सरकार है, पुलिस नाम की कोई चीज नहीं है। क्योंकि दंगाईयों ने तमाम पुलिस थाने फूंक डाले हैं। पुलिस वाले या तो खुद जान बचाकर भाग रहे हैं या फिर दंगाईयों की भीड़ में शामिल हो गए हैं। सेना के अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि वो करें तो क्या करें क्योंकि एक तरफ अंतरिम सरकार के गठन का रास्ता निकालना है, दूसरी तरफ कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की मांगें भी सुननी है, जो उन अफसरों को हटाने की मांग कर रही है, जिन्हें शेख हसीना का करीबी माना जाता है। बहरहाल हमारे देश में लोगों की और सरकार की एक ही प्राथमिकता है, वहाँ रहने वाले हिन्दू भाई बहनों की जान कैसे बचाई जाए।