ट्रेनी डॉक्टर दुराचार और हत्या मामले में फंसती जा रही टीएमसी, अभिषेक बनर्जी की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

अशोक झा, कोलकाता: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद जारी सियासी हलचल में टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। उनके मौन को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि टीएमसी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वहीं कई नेताओं ने आरजी कर अस्पताल में हत्या और फिर तोड़फोड़ की घटना को लेकर प्रशासन के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं। वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का चुप्पी साधे रहना भी नेताओं को रास नहीं आ रहा है। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने शनिवार को एक्स पर लिखा. लेफ्ट और कांग्रेस साजिश कर रहे हैं। हम लोग ममता बनर्जी के अंडर में लड़ेंगे। हमें कुछ गलतियां सुधारने की जरूरत है। हम लड़ेंगे लेकिन अभिषेक बनर्जी को भी सक्रिय होने की जरूरत है। बता दें कि जिस दिन अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना हुई थी उसी दिन अभिषेक बनर्जी ने एक्स पर कहा था कि घटना के पीछे जो लोग भी जिम्मेदार हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने लिखा था, आरजी कर में गुंडागर्दी और तोड़फोड़ ने सारी हदों को पार कर दिया है। एक जन प्रतिनिधि के तौर पर मैंने कोलकाता पुलिस कमिश्नर से बात की और कहा कि जो लोग भी हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार किया जाए। इसमें किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े लोगों को भी बख्शा ना जाए।उन्होंने कहा था कि प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांग सही है। उनकी सुरक्षा का प्राथमिकता देना चाहिए। वहीं जब ममता बनर्जी की अगुआई में आरोपी को फांसी की मांग करते हुए रैली निकाली गई तो उसमें अभिषेक बनर्जी दिखाई नहीं दिए। क्या लोकसभा चुनाव के बाद हो गया मतभेद? मतभेद की वजह
टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद यह साफ हो गया कि शहरी इलाकों में टीएमसी का प्रदर्शन खराब रहा है. तब अभिषेक बनर्जी चाहते थे कि पार्टी या प्रशासन में काम न करने वाले लोगों को हटाया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से वे संसद और अपनी कंस्‍टीट्यूएंसी में तो काफी मुखर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अंदर कम एक्‍ट‍िव नजर आते हैं। सूत्रों का दावा है क‍ि पार्टी की सीनियर लीडरश‍िप और सेकेंड लाइन लीडरश‍िप के एक वर्ग में हमेशा से मतभेद रहा है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि 2026 के व‍िधानसभा चुनाव में पार्टी को काफी मुश्क‍िलें हो सकती हैं, क्‍योंक‍ि 15 साल का एंटी इनकमबेंसी होगी। ऐसे में अभ‍िषेक बनर्जी के करीबी नेता चाहते हैं क‍ि सुशासन ही पार्टी को तब जीत पाएगा। प्रशासन के स्‍तर पर जो समस्‍याएं हैं, वो पार्टी को कमजोर कर रही हैं।
मीडिया से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने मांग की है कि केंद्र सरकार को ऐसा कानून बनाना चाह‍िए, ज‍िसमें सबूत होने पर ऐसे मामलों में अपराधी को फांसी दी जा सके। हालांक‍ि, सूत्रों का कहना है क‍ि ये पोस्‍ट रणनीत‍ि के तहत नहीं की गई। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने न्यूज18 से कहा, ‘हम चाहते हैं कि वो एक्‍टि‍व रहें। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि प्रशासन के गलत कदमों और वरिष्ठ नेताओं के व्यवहार के कारण वो नाराज हैं और इसी वजह से एक्‍ट‍िव नजर नहीं आ रहे हैं।
आरजी कर मामले में टीएमसी नेताओं के बयान देख‍िए…शांतनु सेन: सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी नेता शांतनु सेन को आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से हमेशा दिक्कत रहती थी। अस्‍पताल के डॉक्‍टर इतने ताकतवर हो गए थे क‍ि इस इलाके का जनप्रत‍िन‍िध‍ि होने के बावजूद सेन को वो भाव नहीं मिलता था। इसल‍िए जैसे ही मामला सामने आया, डॉ. घोष ने सवाल उठाया। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा क‍ि कुछ जानकारियां मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी तक नहीं पहुंच पातीं। लेकिन नतीजा क्‍या हुआ, इसके तुरंत बाद उन्हें प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया।कुणाल घोष: टीएमसी नेता कुणाल घोष ने सरकार पर तीखे हमले क‍िए. कहा कि डॉ. संदीप घोष को उनके मौजूदा पद से हटा देना चाहिए। उन्होंने टीएमसी की तीन गलतियां गिनाईं. सबसे पहले, डॉ. घोष को बहाल नहीं किया जाना चाहिए था. दूसरे, अस्पताल को महिला के माता-पिता से बिना किसी दबाव के उचित तरीके से संवाद करना चाहिए था।जहां पर जूनियर डॉक्‍टर के साथ दरिंदगी की गई, वहां पर निर्माण कार्य नहीं शुरू करना चाह‍िए था। रविवार को कोलकाता में ईस्ट बंगाल बनाम मोहन बागान फुटबाल मैच को रोक दिया गया, क्योंकि पुलिस ने कहा था कि वह पर्याप्त बल नहीं दे सकती, घोष ने इस कदम की भी आलोचना की। उन्होंने पूछा, अगर कोई प्रदर्शन करने के ल‍िए तख्तियां लेकर आता, तो उस पर कोई रोक नहीं। डर्बी को क्यों रोका गया।जानकारों का कहना है कि पार्टी नेताओं के व्यवहार से अभिषेक बनर्जी खुश नहीं हैं और इसीलिए पार्टी में ऐक्टिव नहीं रहते हैं। आरजी कर अस्पताल के मामले में भी कई नेताओं ने सरकार पर ही सवाल उठाए हैं। शांतनु सेन ने अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पर सवाल उठाए थे। वहीं कुणाल घोष ने भी सरकार पर तीखी टिप्पणी की थी और कहा था कि संदीप गोष को तुंरत पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कहा था की टीएमसी ने कुछ गलतियां की हैं। टीएमसी सरकार पर जब अपने ही नेताओं ने टिप्पणी की तो बीजेपी को भी हमला करने का मौका मिल गया।

Back to top button